पैदा होते ही मां को खोया, ड्रग्स का हुआ शिकार, आमिर खान की फिल्म से जब चमक गई इस नेपो किड की किस्मत

बॉलीवुड की इस चमकती हुई दुनिया में दूर से सब सही और चमकीला लगता है, लेकिन जैसे-जैसे आप इसके करीब जाते हैं, वैसे-वैसे पता लगता है कि यहां जितनी चमक है उतना ही अंधेरा भी है. हिंदी सिनेमा में कई ऐसे सितारें हैं जिनकी कामयाबी को लोग आज भी याद करते हैं वहीं उनके बच्चों को इस बात का दंश भी झेलना पड़ता है कि वो एक कामयाब सितारे के बेटे या फिर बेटी हैं और ऐसे में उन्हें भी उतना ही कामयाब होना जरूरी हो जाता है. कई ऐसा कर भी जाते हैं… वहीं कई ऐसे भी होते हैं जो टैलेंट के बावजूद वो मुकाम हासिल नहीं कर पाते. आज हम आपको एक ऐसे ही एक्टर की कहानी बताने जा रहे हैं.
हिंदी सिनेमा में राज बब्बर की एक अलह पहचान है. राज बब्बर ने कई ऐसी कल्ट फिल्में दीं जिन्हें आज भी याद किया जाता है. वहीं राज की पत्नी और अपने जमाने की एक बेहतरीन अदाकार स्मिता पाटिल को उनकी आर्ट फिल्मों और शानदार अभिनय के लिए लोग आज भी याद करते हैं. लेकिन जहां राज और स्मिता इतने कामयाब थे, वहीं उनके बेटे के हिस्से ये कामयाबी उस तरह से नहीं आ पाई. हम बात कर रहे हैं राज बब्बर और स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बब्बर की.
प्रतीक बब्बर का 38th बर्थडे
आज प्रतीक का 38th बर्थडे है. प्रतीक को कई लोग ‘होसाना’ सॉन्ग से जानते हैं. लेकिन प्रतीक के स्ट्रगल और लाइफ जर्नी के बारे में हार्डिली ही किसी को पता है. वो लाइमलाइट से काफी दूर रहते हैं. 28 नवंबर 1986 को मुंबई में पैदा हुए प्रतीक बब्बर की परवरिश उनके नाना-नानी ने की है. खास बात ये कि एक वक्त प्रतीक अपने पिता राज बब्बर से बेहद नफरत करते थे. प्रतीक ने भले ही कोई सोलो फिल्म नहीं की हो लेकिन कई फिल्मों में दमदार एक्टिंग कर के अपना कैलिबर जरूर साबित किया है.

प्रतीक का बचपन बेहद मुश्किलों भरा रहा. पहले मां का साया सिर से उठ गया और फिर ड्रग्स की लत, प्रतीक ने बहुत कुछ झेला. प्रतीक बब्बर ने बहुत छोटी सी उम्र में ही अपनी मां स्मिता पाटिल को खो दिया था. इस बात का गम उन्हें आज भी है. प्रतीक की जिंदगी में मां के जाने की वजह से जो अकेलापन आया उसने उन्हें पूरी तरह से अपनी ज़द में ले लिया था और गलत रास्ते पर भी धकेल दिया था. वो ड्रग्स की लत के शिकार हो गए.
2008 में की थी करियर की शुरुआत

प्रतीक ने साल 2008 में बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी. जाने तू या जाने ना फिल्म में उन्होंने जेनेलिया के भाई का किरदार निभाया था. उनका किरदार काफी छोटा सा था लेकिन वो लोगों पर एक अलग ही प्रभाव छोड़कर गया था. प्रतीक का किरदार फिल्म में भी अपनी ही एक अलग दुनिया में रहता है, प्रतीक ने शायद उस किरदार की कहानी से काफी रिलेट किया और इसलिए वो इतनी सफाई से वो रोल कर पाए.
इसके बाद उन्होंने एक दीवाना था और धोबी घाट जैसी फिल्मों के जरिए अपनी एक्टिंग भी साबित की. फिर एक्टर मुल्क, बागी-2 और छिछोरे जैसी फिल्मों के जरिए वो बॉलीवुड में काम करते रहे. प्रतीक ने बताया था कि उनका करियर उनकी बुरी आदतों ने खराब किया था, लेकिन अब उन्होंने खुद को संभाल लिया है.

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