प्री-बजट मीटिंग में टैक्स बेनिफिट्स को लेकर हुई चर्चा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगे जुलाई में बजट?
पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट जुलाई 2024 में पेश होने जा रहा है. इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण काम में लग गई हैं. वह अलग-अलग इंडस्ट्री एक्सपर्ट से इसको लेकर मीटिंग कर रही हैं. इसी कड़ी में उन्होंने आज देश के अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की है, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई है.
वित्तीय और पूंजी बाजार के विशेषज्ञों ने बाजार को व्यापक बनाने के लिए आगामी 2024-25 के पूर्ण बजट में टैक्स प्रोत्साहन देने की वकालत की. यहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने सरकार से टैक्स कानून और दरों में विसंगतियों को दूर करने की भी अपील की है. वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा है कि यह बजट पेश होने से पहले दूसरी बैठक थी. इसमें आगामी आम बजट 2024-25 के संबंध में वित्तीय और पूंजी बाजार क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया. वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट अगले महीने संसद में पेश किये जाने की उम्मीद है.
Union Minister for Finance & Corporate Affairs Smt. @nsitharaman chairs the second Pre-Budget Consultation with leading experts of the financial and capital markets sector in connection with the forthcoming General Budget 2024-25 in New Delhi, today.
The #PreBudget consultation pic.twitter.com/brDpwFGC80
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 20, 2024
वित्त मंत्री के साथ दो घंटे की बैठक के बाद मॉर्गन स्टेनली इंडिया कंपनी के प्रबंध निदेशक और क्षेत्रीय प्रमुख (कंट्री हेड) अरुण कोहली ने कहा कि टैक्स नीतियों को स्थिर और दीर्घकालिक बनाये जाने की जरूरत है. विशेषज्ञों ने पूंजीगत लाभ टैक्स और सिक्योरिटी लेनदेन पर लागू होने वाले टैक्स पर भी अपने सुझाव दिए हैं.
एनबीएफसी लोन पर हुई चर्चा
मुथूट ग्रुप के प्रबंध निदेशक जॉर्ज अलेक्जेंडर मुथूट के अनुसार, कुछ कंपनियों ने बाजार को व्यापक बनाने और कुछ टैक्स प्रोत्साहन दिये जाने की वकालत की. एफआईडीसी के निदेशक रमन अग्रवाल ने कहा कि हमने सुझाव दिया है कि चूंकि एनबीएफसी लोन में वृद्धि हुई है और आरबीआई ने बैंकों पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंता जताई है, इसलिए एनबीएफसी के पुनर्वित्त के लिए सिडबी और नाबार्ड से धन का आवंटन बढ़ सकता है.
अग्रवाल ने कहा कि एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) ने सामूहिक रूप से दिये जाने वाले कर्ज और सेवा शुल्क पर जीएसटी को लेकर स्पष्टता की मांग की है. उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों ने गिफ्ट सिटी से जुड़े मुद्दों और देश के भीतर पूंजी बनाए रखने के तरीकों पर भी चर्चा की है.