फिर आ सकते हैं फिक्स्ड डिपॉजिट के अच्छे दिन, वित्त मंत्री के टैक्स वाले फैसले का होगा असर
भारत में हाल के सालों में लोगों का रूझान शेयर मार्केट में इंवेस्ट करने को लेकर बढ़ा है. वहीं लोगों के अंदर कर्ज लेने की आदत भी बढ़ रही है. इससे बैंकों के पास डिपॉजिट की कमी होने लगी है, लेकिन अबकी बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कैपिटल गेन टैक्स को लेकर जो बदलाव किया है, उससे उम्मीद की जा रही है कि एफडी के फिर से अच्छे दिन आ सकते हैं.
इस बार बजट में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को भी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया है. इतना ही नहीं सरकार ने प्रॉपर्टी से लेकर गोल्ड जैसे एसेट क्लास पर मिलने वाले इंडेक्सेशन (महंगाई का कैलकुलेशन) बेनेफिट को भी खत्म कर दिया. इस पर टैक्स की लिमिट 20 प्रतिशत से घटाकर फ्लैट 12.5 प्रतिशत कर दी गई है.
घटेगा इक्विटी मार्केट में निवेश
सरकार के शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी से लोगों का इक्विटी मार्केट में निवेश करने का रूझान कम होगा. इसकी वजह भी साफ नजर आती है. अभी लोगों के पास जो कैश सेविंग बच जाती है, तो वह शेयर मार्केट में लगाकर उस पर प्रॉफिट बुकिंग करने की कोशिश करते हैं. लेकिन अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़ने इंट्रा डे ट्रेडिंग की मात्रा सीमित होने की उम्मीद है.
हाल में आई सेबी की एक रिपोर्ट भी बताती है कि देश में हर 10 में से 7 इंट्रा डे ट्रेडर्स निवेशकों को शेयर मार्केट में नुकसान उठाना पड़ा है. भारत जैसे कम आय वर्ग वाले देश के लिए ये अच्छी सिचुएशन नहीं है. ये खतरे की घंटी इसलिए है क्योंकि इसमें अधिकतर निवेशक 30 साल की आयु वर्ग वाले हैं.
वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में भी सरकार ने टैक्स की दर 12.5 प्रतिशत कर दिया है. साथ ही इंडेक्सेशन के फायदे को भी हटा दिया गया है. इससे लोगों के अन्य एसेट क्लास में निवेश करने को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा. वहीं इन एसेट में निवेश करके मोटा रिटर्न कमाने वाले निवेशकों की प्रॉफिटेबिलिटी पर भी असर होगा.
इसलिए लोगों का अन्य ट्रेडिशनल सेविंग ऑप्शन में निवेश बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है. वहीं ये बैंकों की डिपॉजिट की समस्या को कम करने के साथ-साथ देश में हाउसहोल्ड सेविंग्स को भी बढ़ाने का काम करेगी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट और आंकडे़?
यस सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च शिवाजी थपलियाल के हवाले से ईटी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बजट का ये प्रावधान इनडायरेक्टली बैंकों के लिए अच्छा है. ये फिजिकल एसेट जैसे कि गोल्ड और प्रॉपर्टी एवं इक्विटी इंवेस्टमेंट पर निगेटिव असर डालेंगे.
उधर भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े दिखाते हैं कि बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ सालाना आधार पर 11.1 प्रतिशत है, जबकि उनके कर्ज वितरण की ग्रोथ 17.4 प्रतिशत हो चुकी है. इस तरह उनकी डिपॉजिट ग्रोथ काफी कम है और उनका जमा का संकट बीते दो दशक में सबसे गहरा. ऐसे में सरकार के इस कदम से बैंकों की जमा बढ़ने में मदद मिल सकती है.