फॉरेक्स रिजर्व पहली बार 700 अरब डॉलर पार, यह रिकॉर्ड बनाने वाला दुनिया का चौथा देश बना भारत

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) लगातार सातवें हफ्ते तक बढ़ने के बाद पहली बार 700 अरब डॉलर का रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया. फॉरेक्स रिजर्व में इस बढ़ोतरी के पीछे रिजर्व बैंक की डॉलर समेत अन्य विदेशी मुद्राओं की खरीद और रुपये के मूल्य में बढ़ोतरी वजह है. बड़ी बात यह है कि भारत के अलावा दुनिया में सिर्फ तीन ही देश हैं, जिनका फॉरेक्स रिजर्व 700 अरब डॉलर से ज्यादा का है.
दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार के आंकड़ों के मुताबिक 27 सितंबर को खत्म हफ्ते में 12.6 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ, यह 704.89 बिलियन डॉलर पर था. यह जुलाई 2023 के बाद से उनकी सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि है.
चीन, जापान और स्विटजरलैंड के बाद भारत 700 अरब डॉलर के भंडार को पार करने वाली विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था है. देश 2013 से अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ा रहा है. उस वक्त कमजोर आर्थिक बुनियाद के कारण विदेशी निवेशकों ने निवेश निकाल लिया था. तब से, मुद्रास्फीति पर सख्त नियंत्रण, उच्च आर्थिक विकास के साथ-साथ राजकोषीय और चालू खाता घाटे में कमी ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में मदद की है, जिससे भंडार बढ़ा है.
इस साल अब तक विदेशी निवेश 30 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जिसका मुख्य कारण स्थानीय ऋण में निवेश है, जिसे प्रमुख जेपी मॉर्गन सूचकांक में शामिल किया गया है. आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार से मुद्रा की अस्थिरता कम होती है, क्योंकि जरूरत पड़ने पर आरबीआई के पास हस्तक्षेप करने की पर्याप्त शक्ति होती है. इसके अलावा इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है, जिससे अचानक पूंजी के बाहर जाने का जोखिम कम हो जाता है.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2024 में अब तक 87.6 बिलियन डॉलर तक बढ़ चुका है, जो कि पिछले पूरे साल की 62 बिलियन डॉलर की वृद्धि से कहीं अधिक है. गौरा सेन गुप्ता के अनुसार, पिछले हफ्ते यह वृद्धि आरबीआई द्वारा 7.8 बिलियन डॉलर की डॉलर खरीद और 4.8 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन लाभ के कारण हुई. उन्होंने कहा कि मूल्यांकन में यह वृद्धि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में गिरावट, कमजोर डॉलर और सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई.
नए रिजर्व आंकड़ों से संबंधित सप्ताह में रुपया डॉलर के मुकाबले 83.50 के स्तर को पार कर गया, जिससे संभवतः आरबीआई को अपने रिजर्व को बढ़ाने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया. कई महीनों से, भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को एक सीमित व्यापारिक दायरे में रखने के लिए बाजार के दोनों तरफ हस्तक्षेप किया है, जिससे यह उभरते बाजारों की मुद्राओं में सबसे कम अस्थिर हो गया है. पिछले महीने रुपये में अस्थिरता कम होने के बारे में पूछे जाने पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अधिक अस्थिरता से अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होता.

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