बंगाल में मां दुर्गा की 112 फीट ऊंची प्रतिमा! जानें क्यों मचा है घमासान
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के राणाघाट में 112 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा को लेकर काफी चर्चा है और पूजा के आयोजन को लेकर शुरू हुई चर्चा अब विवाद के रूप ले लिया है. सीएम ममता बनर्जी ने खुद पूजा के आयोजन पर आपत्ति जताई तो विभिन्न विभागों ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया. मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने पूजा के आयोजन पर विभागों की आपत्ति पर जिलाधिकारी से पुनर्विचार का आग्रह किया, लेकिन अंततः पूजा आयोजकों ने हार मान ली है और इस साल दुर्गा पूजा का आयोजन करने का फैसला नहीं किया है.
महालया मां दुर्गा के आगमन की तिथि है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां दुर्गा कैलाश से पृथ्वी पर आती हैं, लेकिन इस दिन ही 112 फीट मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर पूजा करने की घोषणा करने वाले पूजा आयोजक राणाघाट अभियान संघ के सदस्यों ने फैसला किया कि इस साल वे लोग पूजा का आयोजन नहीं करेंगे और इस तरह से 112 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा का बनना अब खटाई में पड़ गया है.
इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर कोई 112 फीट की मूर्ति बनती है और भगदड़ मचती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? मुख्यमंत्री ने कहा था कि मूर्ति से लेकर पंडाल तक को लेकर एक महीने पहले बैठक हुई थी. अगर कोई 112 फीट की मूर्ति बनाना चाहता है, लेकिन अगर इसे देखते वक्त कोई हादसा हो जाए तो क्या होगा? ममता बनर्जी ने कहा था कि पूजा कराने वाले क्लब की जिम्मेदारी भी उनकी है, लेकिन ऐसा कुछ भी न करें जिससे लोगों को किसी भी तरह से खतरा हो.
दुनिया की सबसे ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने का प्लान
नदिया जिले के राणाघाट के कमालपुर इलाके के अभियान संघ के सदस्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी दुर्गा मूर्ति बनाना चाहते थे और इसी इच्छा से विवाद भी शुरू हुआ. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से इस पर आपत्ति जताई गयी.
मूर्ति बनाने का काम करीब एक महीने पहले ही शुरू हो गया है. हालांकि, 112 फीट ऊंची प्रतिमा की पूजा की अनुमति के लिए पूजा आयोजकों को अदालत में जाना पड़ा. नदिया के जिला मजिस्ट्रेट को अदालत ने कई बार इस मामले को देखने का निर्देश दिया था.
जिलाधिकारी कार्यालय ने दावा किया कि बिजली विभाग से लेकर अग्निशमन विभाग तक से आवश्यक अनुमति नहीं ली गयी है. इतना ही नहीं उनका दावा है कि वे पिछले साल का अनुमति पत्र भी नहीं दिखा सके.
यह भी बताया गया है कि पूजा आयोजकों ने बिजली विभाग से अपील की थी कि इस ऊंची दुर्गा प्रतिमा को बनाने में केवल तीन किलोवाट बिजली की खपत होगी. अंत में जिलाधिकारी ने कहा कि वे सरकारी अनुमति नहीं देंगे. जिलाधिकारी के आदेश के बाद पूजा आयोजन का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया.
केस लड़ने के पैसे नहीं, पूजा का आयोजन टला
लेकिन लंबी खींचतान के बाद पूजा आयोजकों ने बताया कि हाईकोर्ट में केस लड़ने तक उनके पास पैसे नहीं हैं. इस कारण वे लोग इस साल पूजा का आयोजन नहीं कर रहे हैं. पूजा के आयोजक सुजॉय बिस्वास ने कहा कि ग्रामीणों के पास कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए आवश्यक पैसे नहीं है. जिलाधिकारी को दो बार निर्णय लेने के लिए कहा जा चुका है. यह पूरी तरह से असहयोग है.
जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार, बिजली विभाग, अग्निशमन विभाग, पुलिस, बीडीओ और राणाघाट उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीओ) ने आवेदन खारिज कर दिया है, लेकिन पूजा आयोजक ने कहा कि संरचना के साथ कोई बिजली का कनेक्शन नहीं है, क्योंकि पंडाल दूर से ही देखा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि पंडाल 150 फीट का होगा. सड़क को खुला रखने के लिए वन-वे बनाने की बात कही. खुले खेत की जमीन दी गई. किसानों ने कहा कि अगर उन्हें और जगह चाहिए तो वे और देंगे. यदि बहुत भीड़ हो तो वह उस रास्ते से निकल जाएगा. आग के लिए पानी की व्यवस्था थी, तालाब है. वहां एक पंप है, जिसका उपयोग आग लगने की स्थिति में किया जा सकता था.