बजट में इसलिए बढ़ा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स, वजह जानकर भौंचक्के रह जाएंगे आप
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का बजट पेश करते समय लगभग हर वर्ग को खुश करने की कोशिश की, लेकिन शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने वाले मायूस हुए. इसकी बड़ी वजह सरकार का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG Tax) की दर को बढ़ाना है. इस टैक्स रेट का सबसे ज्यादा फायदा स्टॉक मार्केट में इंट्रा डे ट्रेडिंग करने वालों पर पड़ता है. फिर भी जब आप शेयर मार्केट के रेग्युलेटर सेबी की इस रिपोर्ट के बारे में जानेंगे, तब आपको समझ आएगा कि आखिर सरकार ने इस टैक्स को बढ़ाने का फैसला क्यों लिया?
सेबी ने हाल में एक स्टडी की जिसमें पाया कि इक्विटी कैश सेगमेंट में जो लोग इंट्रा डे (एक ही ट्रेडिंग सेशन में शेयर खरीद कर बेचने का काम) ट्रेडिंग करते हैं. उनमें से अधिकतर को नुकसान उठाना पड़ता है. इक्विटी कैश सेगमेंट आम तौर पर ऐसे शेयर को कहा जाता है, जिन्हें बेचकर जल्द से जल्द लाभ कमाया जा सके. इसमें अधिकतर बड़ी कंपनियों के शेयर को शामिल किया जाता है.
इंट्रा डे ट्रेडर्स बढ़े 300%, नुकसान उठाया 70% ने
सेबी ने अपनी स्टडी की रिपोर्ट बुधवार को रिलीज की. इसके हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 में जितने भी लोगों ने इक्विटी कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग की है, उनमें हर 10 में से 7 ट्रेडर्स यानी करीब 70% को नुकसान उठाना पड़ा है. जबकि 2022-23 में इस सेगमेंट इंट्रा डे ट्रेड करने वाले ट्रेडर्स की संख्या में 300 प्रतिशत की ग्रोथ देखी गई है. सेबी ने ये स्टडी कोविड से पहले और कोविड के बाद लोगों के इक्विटी कैश सेगमेंट में शेयर ट्रेडिंग को बदले रूझान को समझने के लिए की थी. इसलिए आंकड़ों की तुलना 2018-19 के आंकड़ों से की गई.
नुकसान उठाने वाले ट्रेडर्स ने की ज्यादा डील्स
इस स्टडी में एक दिलचस्प पहलू यह भी सामने आया कि लाभ में रहने वाले ट्रेडर्स की तुलना में घाटे में चलने वालों ने औसत से कहीं ज्यादा संख्या में सौदे किए. इसके अलावा 30 वर्ष से कम आयु के युवा इंट्राडे ट्रेडर्स की हिस्सेदारी इस अवधि में काफी बढ़ी है. सेबी ने अपनी रिपोर्ट के लिए वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी कैश सेगमेंट में इंडिविजुअल ट्रेडर्स के डेटा का अध्ययन किया. इसके लिए मार्केट में काम करने वाली टॉप-10 ब्रोकिंग फर्म्स के इंडिविजुअल कस्टमर्स के डेटा का एनालिसिस किया गया. इन फर्म्स के पास ही टोटल इंडिविजुअल ट्रेडर्स की करीब 86 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
सरकार ने बजट में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को भी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया गया है. जिन आंकड़ों की जानकारी सेबी ने बुधवार को रिलीज किया है, सरकार खुद भी इस तरह के ट्रेंड को आब्जर्व कर रही होगी. शायद यही वजह है कि सरकार ने शेयर ट्रेडिंग पर लगने वाले टैक्स की दर बढ़ाई है.