बजट में घर खरीदने वालों को मिल सकती है बड़ी राहत, 5 लाख तक का ब्याज हो सकता है टैक्स फ्री
इस बार में बजट में होम लोन लेने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलती हुई दिखाई दे सकती है. खबर है कि सरकार बजट में 5 लाख रुपए तक के ब्याज को टैक्स फ्री कर सकती है. इसके लिए नारेडको और रियल एस्टेट से जुड़े लोगों ने आगामी बजट में हाउसिंग लोन पर ब्याज भुगतान के लिए कटौती की लिमिट को दो लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए किए जाने का सुझाव दिया है. उसने कहा कि इससे माकनों की कीमतों तथा ब्याज दर में वृद्धि के बीच मकानों की डिमांड में बढ़ावा देखने को मिलेगा. रियल एस्टेट कंपनियां किफायती मकानों की मांग और आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए कुछ कर प्रोत्साहन की भी मांग कर रहे हैं.
होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट में हो इजाफा
नारेडको ने एक बयान में कहा कि इनकम टैक्स कानून की धारा 24 के तहत खुद के रहने वाली संपत्ति के लिए कर्ज पर ब्याज कटौती की सीमा दो लाख रुपए तक है. बयान के अनुसार संपत्ति की बढ़ती कीमतों और ब्याज दर को देखते हुए इस सीमा को बढ़ाकर कम-से-कम पांच लाख रुपए करने की जरूरत है. नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारडेको) के अध्यक्ष जी. हरि बाबू ने कहा कि यदि इन सिफारिशों को लागू किया गया तो इससे न केवल क्षेत्र की कंपनियों को जरूरी राहत मिलेगी बल्कि आवास क्षेत्र में मांग भी बढ़ेगी.
डिमांड और सप्लाई में उतार चढ़ाव
हाउसिंग डॉट कॉम और प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (समूह) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि महानगरों तथा मझोले शहरों में पिछले तीन साल में किफायती मकानों की मांग और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव का रुझान देखा गया है. उन्होंने कहा कि इसलिए आगामी बजट में 15-75 लाख रुपए प्रति यूनिट कीमत वाले मकानों की डिमांड और सप्लाई दोनों को पटरी पर लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. ब्याज सब्सिडी कार्यक्रम शुरू करने से संभावित मकान खरीदारों को प्रभावी रूप से प्रोत्साहित किया जा सकता है.
क्या कहते हैं कि रियल एस्टेट के जानकार
एमआरजी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर रजत गोयल ने कहा कि रियल एस्टेट देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है. ऐसे में क्षेत्र की वृद्धि को गति देने के लिए आगामी बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि साथ ही सिंगल-विंडो मंजूरी प्रणाली देने से भी क्षेत्र को गति मिलेगी…. एस्कॉन इंफ्रा रियलटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज शर्मा ने भी कहा कि उद्योग का दर्जा और एकल-खिड़की मंजूरी प्रणाली की लंबित मांग पर गौर करने से कंपनियों को कम ब्याज पर ऋण प्राप्त करने और कर प्रोत्साहन से लाभ उठाने में मदद मिलेगी.