बजट से पहले विदेशियों ने खोली तिजोरी, 5 दिन भारत पर खर्च किए 8 हजार करोड़

बजट पेश होने में अभी ढाई हफ्तों का समय बाकी है. उससे पहले ही विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में पैसों की बरसात कर दी है. खास बात तो ये है कि जुलाई के पहले हफ्ते में एफपीआई ने शेयर बाजार में 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर दिया है. जबकि करीब 5 साल पहले जुलाई में बजट आया था तो निवेशकों ने 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा निकाल दिया था. जबकि साल 2014 जुलाई महीने की परिस्थितियां पूरी तरह से अलग थी. इस बार बजट जुलाई के आखिरी हफ्ते में आ रहा है. जबकि बीते बार जुलाई के पहले हफ्ते में में बजट पेश हुआ था. देखने वाली बात होगी कि बजट के इस महीने में विदेशी निवेशकों आने वाले दिनों में किस तरह का रिस्पांस देखने को मिलता है.
लगातार दूसरे महीने पॉजिटिव रिस्पांस
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने अबतक (पांच जुलाई तक) शेयरों में शुद्ध रूप से 7,962 करोड़ रुपए का निवेश किया है. आर्थिक मोर्चे पर मजबूती के बीच एफपीआई का भारतीय बाजार के प्रति भरोसा बढ़ा है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में कुल एफपीआई निवेश 11,163 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. इससे पहले जून में एफपीआई ने शेयरों में 26,565 करोड़ रुपए डाले थे. वहीं चुनाव को लेकर असमंजस की वजह से विदेशी निवेशकों ने मई में शेयर बाजार से 25,586 करोड़ रुपए की निकासी की थी. मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने की चिंता के कारण एफपीआई ने अप्रैल में शेयरों से 8,700 करोड़ रुपए से अधिक निकाले थे.
बॉन्ड में कितना किया निवेश
इसी दौरान एफपीआई ने शेयरों के अलावा डेट या बॉन्ड मार्केट में भी 6,304 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इस तरह इस साल अबतक एफपीआई बॉन्ड बाजार में 74,928 करोड़ रुपए डाल चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार यह लगातार तीसरा महीना है जब बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों का रिस्पांस काफी पॉजिटिव देखने को मिल रहा है. मई में 8761 करोड़, जून में 14,955 करोड़ रुपए का निवेश किया था. मौजूदा साल में सिर्फ अप्रैल के महीने में विदेशी निवेशकों ने 10,949 करोड़ रुपए निकाले थे. वर्ना जनवरी में 19,837 करोड़ रुपए, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपए और मार्च के महीने में 13,602 करोड़ रुपए का निवेश किया है.
क्या कहते हैं जानकार
विशेषज्ञों का कहना है कि आगे चलकर कंपनियों के पहली तिमाही की कमाई के आंकड़े और आम बजट से एफपीआई के प्रवाह की दिशा तय होगी. जूलियस बेयर इंडिया के कार्यकारी निदेशक मिलिंद मुछाला ने कहा कि कुछ फंड संभवत: चुनाव संपन्न होने का इंतजार कर रहे थे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत में एफपीआई प्रवाह की महत्वपूर्ण वजह बाहरी कारक… मसलन अमेरिका में बढ़ता बॉन्ड प्रतिफल और अन्य उभरते बाजारों में निचला मूल्यांकन है.

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