बनारसी साड़ियों की ही शौकीन क्यों हैं नीता अंबानी, इन पांच बातों से समझें
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी को लेकर इस वक्त अंबानी फैमिली से एक के बाद एक नए अपडेट आ रहे हैं. वहीं नीता अंबानी अपने हर लुक से ध्यान खींच रही हैं. हाल ही में वह मनीष मल्होत्रा की डिजाइन की 28 चौक रंगकट बनारसी जाल साड़ी में नजर आईं. जिसमें बेहतरीन कलर कॉम्बिनेशन क्रिएट किया गया है, हालांकि यह पहली बार नहीं है…नीता अंबानी कई खास मौकों पर बनारसी साड़ी में नजर आती हैं. अनंत अंबानी की शादी में आउटफिट्स से लेकर फूड मेन्यू तक में बनारसी कनेक्शन देखने को मिला है. फिलहाल नीता अंबानी ने जो बनारसी रंगकट साड़ी पहनी है वह भी बहुत खास है.
फैशन चाहे जितना भी बदलता चला जाए, लेकिन बनारसी साड़ियां तो सभी की पसंदीदा होती हैं. हालांकि वक्त के साथ मार्केट में मशीन से तैयार की गई बनारसी साड़ियां आने लगीं और इस वजह से हाथों से काम करने वाले कारीगरों की आय पर काफी ज्यादा असर पड़ा. दरअसल इन साड़ियों को हाथ से तैयार करने में काफी समय और लागत लगती है, इस वजह से प्योर बनारसी साड़ियां काफी महंगी भी होती हैं. फिलहाल आज के वक्त में सेलिब्रिटीज के बीच भी बनारसी साड़ियों की काफी मांग है, जिससे इस विरासत को और भी ज्यादा पहचान मिल रही है. तो चलिए जान लेते हैं इस बारे में डिटेल के साथ.
नीता अंबानी की रंगकट साड़ी की खासियत
नीता अंबानी ने जो 28 चौक वाली रंगकट साड़ी पहनी है, वो फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा का डिजाइन है. इस साड़ी को तैयार करने में 6 महीने का वक्त लगा है. वहीं देश में कुछ गिने-चुने कारीगर ही हैं जो इस डिजाइन को बुन पाते हैं. इस साड़ी के जरिए बनारस की समृद्ध विरासत को ट्रिब्यूट दिया गया है.
नीता अंबानी को क्यों है बनारसी साड़ियों से लगाव
नीता अंबानी का लगाव बनारसी साड़ियों के प्रति ही नहीं बल्कि बनारस से भी उनका खास लगाव देखने को मिलता है. अनंत अंबानी की शादी से पहले नए जोड़े के लिए बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए अंबानी फैमिली बनारस पहुंची. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनंत अंबानी के वेडिंग मेन्यू में भी बनारस की मशहूर डिशेस को शामिल किया गया है और नीता अंबानी ने बनारस में बनारसी साड़ियों का ऑर्डर भी दिया है.
कल्चर को बढ़ावा देती हैं नीता अंबानी
अंबानी फैमिली न सिर्फ अपने कारोबार के लिए जानी जाती है, बल्कि उनकी फैमिली का हर एक सदस्य जमीन से जुड़ा हुआ है. खासतौर पर नीता अंबानी में हैंडलूम के प्रति प्यार दिखता है. वह अपने देश की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा देती हैं और इसलिए ही वह खास मौको पर बनारसी से लेकर पैठनी और कांजीवरम जैसी हैंडलूम साड़ियों में नजर आती हैं. भारतीय कल्चर को बढ़ावा देने के लिए ही नीता अंबानी ने एक साल पहले ‘नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर’ की शुरुआत भी की है.
शाही रहा है बनारसी साड़ियों का इतिहास
बनारसी साड़ियों का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है. इसकी शुरुआत 14वीं शताब्दी के आसपास मानी जाती है, जब मुगल काल के दौरान कारीगरों नें सोने और चांदी के धागों का इस्तेमाल करके ब्रोकेड डिजाइन तैयार किए. इन साड़ियों को 18वीं और 19वीं शताब्दी से ज्यादा पहचान मिलनी शुरू हुई. हाथों से बुनी गई प्योर बनारसी साड़ियां भारत की सबसे समृद्ध हस्तकला का एक बेहतरीन नमूना हैं.
रिच लुक देती हैं बनारसी साड़ियां
बनारसी साड़ियों पर हाथों से की गई कारीगरी उन्हें खास बनाती है. बनारसी में प्योर सिल्क के ऊपर धागों से एंब्रॉयडरी की जाती है. जिसमें आपस में जुड़े हुए फूल, पत्तियों, कलगा और बेल बनाई जाती है. खासतौर पर बनारसी साड़ियों के पल्लू में बने जटिल और हैवी पैटर्न इन साड़ियों को रिच लुक देते हैं, इसलिए किसी भी मौके पर बनारसी साड़ी एक रॉयल ठसक देती है.