बलूचिस्तान में लोगों को ‘गायब’ करने में जुटी PAK सेना, 12 जिलों में चला रही अभियान, कई की मौत
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अलग देश की मांग को लेकर लंबे समय से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसे में वहां के लोगों पर पाकिस्तान सेना की ओर से लगातार निरंकुश व्यवहार भी किया जाता है. अब एक रिपोर्ट आई है जिसके अनुसार, पाक सेना ने पिछले महीने जून में बलूचिस्तान के 12 जिलों में कथित तौर पर 54 लोगों को हिरासत में लिया, जिससे जबरन गायब होने के मामलों में वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ गई है.
बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) की मानवाधिकार शाखा PAANK की ओर से कल रविवार को पाकिस्तान में बलूच समुदाय द्वारा सामना किए जाने वाले मानवाधिकार मुद्दों से जुड़ी अपनी मासिक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट से पता चला है कि बलूचिस्तान प्रांत में पीड़ितों को प्रताड़ित करने की चार घटनाएं, न्यायेतर हत्याओं (Extrajudicial Killings) की 2 घटनाएं और जबरन गायब होने की 54 घटनाएं सामने आईं. न्यायेतर हत्या वह होती है जिसमें न्यायिक कार्यवाही द्वारा दिए गए वैध अधिकार के बिना ही किसी की जानबूझकर हत्या कर दी जाए.
यातना और गायब होने की घटनाएं बढ़ रहीं
रिपोर्ट कहता है कि पाकिस्तानी सेना की ओर से बलूचिस्तान के 12 जिलों में कथित तौर पर 54 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है. यही नहीं जून के तीसरे हफ्ते में तुर्बत जिले के मुलाई बाजार से पीड़ित अकील अहमद का अपहरण कर लिया गया और फिर बलूचिस्तान में जबरन गायब होने से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक आघात की वजह से खुदकुशी किए जाने की भी एक घटना भी देखी गई.
PAANK की ओर से रिपोर्ट में एक मनोवैज्ञानिक के बयान का हवाला दिया गया है, जिसने कहा कि बलूचिस्तान प्रांत में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) अब महामारी के लेवल पर पहुंच गया है. रिपोर्ट के अनुसार, जबरन गायब किए जाने, यातना और सैन्य अभियानों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और इस वजह से लोगों के संघर्ष और तकलीफ के स्तर में वृद्धि हुई है.
शुरुआती 6 महीने में 197 लोग लापता
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि बलूचिस्तान प्रांत में सभी न्यायेतर गतिविधियों, खासतौर पर मकरान डिवीजन में विरोध प्रदर्शनों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट कहता है कि बलूचिस्तान के केच, डेरा बुगती, मस्तुंग और अवारन जिलों में जबरन गायब किए जाने की सबसे अधिक संख्या मिली. यहां पर जबरन गायब किए जाने के 37 मामले सामने आए हैं.
स्थानीय अखबार डॉन के अनुसार, जबरन गायब किए जाने का मुद्दा पाकिस्तान के लोगों के लिए एक बड़ी समस्या रही है. साल 2024 की पहली छमाही में पाकिस्तान कमीशन ऑफ इंक्वायरी ऑन एनफोर्स्ड डिसअपीयरेंस (COIOED) को 197 लापता लोगों के मामले की रिपोर्ट सौंपी गई है. COIOED ने बताया कि 30 जून तक इस तरह के कुल मामलों की संख्या 10,285 थी, जबकि 8,015 मामलों का निपटारा कर दिया गया, जिसमें 6,464 लोगों का पता लगा लिया गया तो 1,551 केसों का निपटारा कर दिया गया.
डॉन का कहना है कि इस आयोग की स्थापना साल 2011 में लापता व्यक्तियों का पता लगाने और जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठनों पर जिम्मेदारी तय करने के लिए की गई थी. रिपोर्ट कहता है कि पिछले साल 2023 के शुरुआती 6 महीनों में 226 केस निपटा लिए गए. इसमें यह भी कहा गया कि 2,270 केस छोड़ दिया गया, जबकि 4,514 लोग घर लौट आए तो वहीं 1,002 नजरबंदी केंद्रों में, 671 जेलों में और 277 मृत मिले.
इस साल जून में अब 47 केस सामने आए. 28 केस का निपटारा कर दिया गया, जिनमें से 13 मामले जबरन गायब किए जाने से जुड़ा नहीं था, 9 अपने घरों को लौट आए, जबकि 3 नजरबंदी केंद्रों में रखे गए, 2 को जेलों में रखा गया और एक शख्स का शव मिला था.