बांग्लादेश में तख्तापलट और खालिदा जिया की वापसी… भारत के लिए कितनी बड़ी टेंशन?

तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना भारत आ गईं. हिंसा के थोड़ा शांत पड़ते ही और तख्तापलट के बाद हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया, जो पूर्व प्रधानमंत्री हैं और जिनकी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) देश में मुख्य विपक्षी पार्टी है, उन्हें कई सालों बाद नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी पार्टी के चुनाव जीतने की संभावना है. जिसे अब अंतरिम सरकार आयोजित करेगी.
लेकिन जिया का सत्ता में वापस आना भारत के लिए चिंताजनक होगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका पाकिस्तान समर्थक रवैया रहा है. साथ ही उनकी पार्टी और उनके संभावित सहयोगी जमात-ए-इस्लामी का भी. लेकिन शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान अगर भारत-बांग्लादेश के संबंधों की चर्चा करें तो, दोनों देशों के बीच काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं.
शेख हसीना के कार्यकाल में सुधरे रिश्ते
हसीना लगातार 15 सालों तक सत्ता में रहीं और उन्होंने UPA और NDA दोनों सरकारों के साथ बेहतरीन संबंध बनाए रखे. बांग्लादेश में तख्तापलट होना भारत के लिए एक वाइल्ड कार्ड पल है, और ऐसा पल जिसकी उसने आने वाले भविष्य में कल्पना भी नहीं की थी. BNP ने पहले ही भारत द्वारा हसीना की मेजबानी पर अपनी नाखुशी जाहिर कर दी है.
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पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “बीएनपी का मानना है कि बांग्लादेश और भारत को आपसी सहयोग करना चाहिए. लेकिन अगर आप हमारे दुश्मन की मदद करते हैं तो उस आपसी सहयोग का सम्मान करना मुश्किल हो जाता है”
“बेगमों की लड़ाई”
बांग्लादेश के इन दोनों ही नेताओं की बीच की लड़ाई “बेगमों की लड़ाई” के रूप में जाना जाता है. दोनों ने देश की राजनीति को कई दशकों तक आकार दिया है. शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान भी देश की राजनीतिक का मुख्य चेहरा रहे हैं. जिया के पति, जियाउर रहमान, उस समय उप सेना प्रमुख थे और तीन महीने बाद उन्होंने सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था. उन्होंने गरीब देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की थी.
खालिदा जिया का शासन भारत के लिए खतरा?
जिया के कार्यकाल के दौरान, भारत विरोधी ताकतों को खुली छूट थी गई थी. साल 2001 और 2006 के बीच जिया के सत्ता में आखिरी सालों के दौरान पाकिस्तान की आईएसआई ने ढाका में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी और आतंकवादी समूहों के माध्यम से भारत में कई आतंकवादी हमलों के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लेकिन, हसीना के सत्ता में लौटने के बाद उन्होंने कार्रवाई का आदेश दिया और विद्रोही नेताओं को भारत को सौंप दिया.

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