बांग्लादेश में बढ़ गए जमात के हौसले, क्या बंगाल की अस्थिरता से कोई कनेक्शन?

क्या बांग्लादेश में जमात-ए इस्लाम पूरा बंगाल हड़पने की योजना बना रहा है. यह सवाल अब भारत के बंगाल में भी सब को परेशान कर रहा है. कोलकाता के दैनिक बर्तमान ने जमायत द्वारा जारी एक नक़्शा छापा है, जिसमें भारत के बंगाल, झारखंड, उत्तरी बिहार, पूर्वोत्तर राज्य और नेपाल व म्यांमार के कुछ हिस्सों को वृहत्तर बांग्लादेश का हिस्सा बताया गया है. इसका नाम इस्लामिक बांग्लास्तान रखा है. सोशल मीडिया में तो यह मैप खूब वायरल हो रहा है.
इसके चलते पश्चिम बंगाल का शासन और प्रशासन भी सतर्क हो गया है. साथ ही केंद्र सरकार भी. इसीलिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के दिन से ही पश्चिम बंगाल की जनता से अपील कर रही हैं कि शांति बनाये रखें. स्वतंत्र राष्ट्र बांग्ला देश और भारत के पश्चिम बंगाल में बंटवारा भले धर्म के आधार पर हुआ हो पर दोनों बंगाल की संस्कृति समान है. दोनों के रीति-रिवाज और बोली-बानी भी एक जैसी हैं.
BNP में कट्टरपंथी
यह आश्चर्य की बात है कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश के क्षेत्रीय त्योहार समान हैं. मसलन वहां भी पोयला बैशाख (14 अप्रैल) ही बांग्ला कैलेंडर का नव वर्ष है. दुर्गा पूजा के पूजा पंडाल ढाका में भी लगते हैं और मुस्लिम भी इन पंडालों में आते हैं, लेकिन कट्टर मुस्लिम तत्त्व इस माहौल को सदैव खराब करते रहते हैं. सच यह है कि जैसे भारत के पंजाब और पाकिस्तान के पंजाब का खान-पान और बोली समान है, ठीक वैसा ही बंगाल में है. वहां भी उपद्रवी तत्त्व हैं और बांग्लादेश में भी, लेकिन पाकिस्तान की तुलना में बांग्लादेश में सैनिक शासन कभी भी लंबा नहीं चला इसलिए वहां अमन-चैन बना ही रहता है. बांग्लादेश में सैनिक शासन जल्द ही चुनाव करवा लेता है. मगर दिक्कत यह भी है कि इस वजह से बांग्लादेश में कट्टर मौलानाओं को इस क्षेत्र में अपने पर फैलाने के लिए अधिक क्षेत्र मिल जाता है, क्योंकि वहां की एक राजनीतिक पार्टी BNP को सरकार बनाने के लिए अक्सर उनसे हाथ भी मिलाना पड़ता है.
बांग्लादेश में कट्टरपंथी अधिक उग्र क्यों
बांग्लादेश में अवामी लीग की शेख मुजीबुर्रहमान के समय से ही यह प्रतिष्ठा रही है, कि वह भारत से साथ मिल कर चलने वाली पार्टी है इसलिए वह हिंदू हितैषी है. बस इसी वजह से उसकी प्रतिद्वंदी और जनरल जियाऊर्रहमान की पार्टी BNP कट्टर इस्लामिक तत्त्वों को सपोर्ट करती है. आज अवामी लीग की प्रधान शेख़ हसीना वाज़ेद हैं और BNP की कमान ख़ालिदा जिया के पास है. पाकिस्तान में हर राजनीतिक दल की पॉलिटिक्स भारत विरोध पर आधारित है इसलिए वहां कट्टरपंथी बंटे हुए हैं. जबकि बांग्लादेश में वे सब BNP को ताकत देते हैं. शेख हसीना के पतन के साथ ही वे खालिदा जिया के राज में मनमानी करने लगते हैं. इसलिए हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा के मामले में बांग्लादेश पाकिस्तान की तुलना में ज़्यादा हिंसक है. यही कारण रहा कि शेख हसीना सरकार का इस्तीफा होते ही वे उग्र हो उठे.
पश्चिम बंगाल में बढ़ती मुस्लिम आबादी
जून के महीने से बांग्लादेश के छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री शेख हसीना वाज़ेद सरकार के विरुद्ध शुरू किया गया आंदोलन अब उनके हाथ से निकल कर पाकिस्तान परस्त कट्टरपंथियों और जमायत इस्लाम ऑफ बांग्लादेश के हाथों में आ गया है. अंतरिम सरकार ने तो हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के लिए माफी मांगी तो फौरन जमायत के लोगों ने एक ऐसा नक़्शा जारी कर दिया, जिससे कट्टरपंथी ताकतों का हौसला बढ़ गया. हालांकि यह नक़्शा उनका खयाली पुलाव है लेकिन इससे भारत के बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर पूर्वी राज्यों में स्थिति संवेदनशील हो गई. इनमें सबसे बड़ा राज्य पश्चिम बंगाल है और मुस्लिम आबादी वहां 28.9 प्रतिशत है. जबकि बिहार और झारखंड में यह 16.87 और 14.53 पर्सेंट है. सबसे नाजुक स्थिति तो असम में है, जहां मुस्लिम 41 प्रतिशत हैं. इसलिए जमायत के हौसले देख सभी जगह लोगों में अफरा-तफरी फैली है.
जूनियर डॉक्टर की रेप के बाद हत्या और पुलिस की ढिलाई
पश्चिम बंगाल में इसलिए भी कि वहां पर ममता बनर्जी पूरी ताकत के साथ केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ खड़ी हैं, बीजेपी पूरी शक्ति लगा कर भी उन्हें उखाड़ नहीं पाई. पर उसकी कमजोर नस एक तो शुभेंदु अधिकारी हैं, जो एक जमाने में तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता थे और ममता बनर्जी के करीबी थे. वे आज राज्य भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं. दूसरे वहां के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस भी ममता बनर्जी की नस दबाए रहते हैं. राज्यपाल महोदय ममता बनर्जी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अभी पिछले दिनों कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के रेप के बाद हत्या कर दी गई. इससे पश्चिम बंगाल समेत देश भर के रेजीडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. सभी ओपीडी बंड हो गईं. दरअसल इस मामले में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की पुलिस ने ढिलाई बरती थी.
ममता की तुष्टिकरण की नीति
इस मामले में पश्चिम बंगाल हाई कोर्ट ने जांच CBI को सौंप दी है. इससे ममता सरकार की साख पर बट्टा लगा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगता है, कि CBI के जरिए केंद्र सरकार उनको फंसाने का पूरा उपक्रम करेगी. इस वजह से राज्य की जनता के बीच उनकी छवि खराब होगी. यूं भी ममता बनर्जी द्वारा मुस्लिम धर्म-गुरुओं के साथ अधिक उठक-बैठक भी बंगाली भद्र लोक को रास नहीं आती रही. वहां के भद्र लोक को लगता है कि ममता मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाती हैं. शुभेंदु अधिकारी लगातार कई वर्षों से ममता की इस नीति पर हमले करते रहे हैं. जबकि पश्चिम बंगाल में ममता की पूर्ववर्ती वाम मोर्चे की सरकार ने न हिंदुओं को रिझाने के लिए ऐसा कोई दिखवा किया न मुस्लिमों के लिए. लेकिन वाम मोर्चा सरकार के 34 वर्ष (1977-2001) के शासन में कभी कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ.
नेपाल की तराई से पाक आतंकियों की भारत में घुसपैठ
कोलकाता के बंगाली दैनिक बर्तमान ने इस मैप को प्रकाशित किया है. इसके छपते ही लोग सशंकित हो गए. केंद्र सरकार भी भारत के सीमवर्ती इलाकों में सक्रिय मुस्लिम आतंकी तत्त्वों की सघन पड़ताल में जुट गई है. चूंकि इस इस्लामिक बांग्लास्तान में नेपाल और म्यांमार के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है इसलिए केंद्र की खुफिया एजेंसियों को शक है, कि नेपाल की तराई में भी मुस्लिम आबादी ऐसे आतंकी तत्त्वों के संपर्क में है. इसीलिए इस तरह का वृहत्तर बांग्लादेश बनाने का ख्याल उनके दिमाग में आया. यूं वाया नेपाल पाकिस्तान के खुराफाती तत्त्वों का भारत में आना सबसे आसान जरिया है. ऐसा इसलिए भी कि नेपाल की सीमा को पार करना बहुत आसान है. नेपाल में फौजियों की संख्या और सीमित आधुनिक हथियारों है. इसलिए ऐसा होता रहा है. भारत और नेपाल की सीमा पर दोस्ताना रिश्तों के चलते कभी कोई पड़ताल नहीं होती.
जमायत की साजिश
कोलकाता में बेलारूस के कांसुलेट जनरल सीताराम शर्मा का कहना है, कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्त्व ऐसी हरकतें करते रहे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल इनसे अछूता रहा, लेकिन अब चूंकि ममता सरकार को कमजोर करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं इसलिए हो सकता है कि जमायत भी पश्चिम बंगाल में ममता सरकार को अस्थिर करने में अपना भला समझ रही हो. यूं भी पश्चिम बंगाल की कुल आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा मुस्लिम हैं और उनका दबाव बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर भी पड़ता है और हिंदुओं के साथ हिंसा यहां के मुसलमानों के लिए हितकर नहीं होगी. जाहिर है, ऐसी स्थिति में जमायत भी ममता के विरुद्ध कोई कुचक्र रच रही हो. सीताराम शर्मा चूंकि एक डिप्लोमैट हैं इसलिए उनकी नज़र में बांग्लादेश से रिश्ते बेहतर रहना भारत और बंगाल के लिए हितकर है.
ममता में बेचैनी
कोलकाता में कई वर्षों से बसे भारत सरकार के पूर्व अधिकारी और जाने-माने साहित्यकार प्रियंकर पालीवाल के मुताबिक ममता बनर्जी की लोकप्रियता राज्य में बहुत अधिक है. हिंदू भद्र लोक में वे प्रिय हैं और मुस्लिम भी उन्हें पसंद करते हैं, लेकिन अक्सर अपने बड़बोलेपन के कारण वे कोई न कोई गड़बड़ कर देती हैं. तृणमूल देश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी है और देश के स्तर पर वह इंडिया गठबंधन के साथ है. ऐसे में केंद्र की उस पर टेढ़ी नज़र तो रहती है. ऐसी स्थिति में जमायत-इस्लाम ऑफ बांग्लादेश का इस्लामिक बांग्लास्तान उनको परेशानी में तो डालेगा ही. इसीलिए वे इस बार खुद को बेचैन महसूस कर रही हैं.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *