बांग्लादेश में मोहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार कैसे है रोचक और अलग, जानिए

बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ और नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. मोहम्मद युनुस गुरुवार दोपहर को पेरिस से बांग्लादेश लौटे और शाम को उन्हें राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने बंगभवन में आयोजित एक समारोह में अंतरिम सरकार के प्रधान सलाहाकार के रूप में शपथ दिलाई. शुक्रवार को मोहम्मद युनुस ने मंत्रियों के बीच मंत्रालयों के बंटवारा कर दिया है.
बांग्लादेश में आवामी लीग की शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट कर मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में आंदोलनरत छात्र संगठनों ने सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा था. सेना, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी सहित अन्य पार्टियों ने इसका समर्थन किया था. जैसा यह माना जा रहा था कि अंतरिम सरकार में सेना और बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों के ज्यादा प्रतिनिधि होंगे, लेकिन मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने सभी आकलनों को गलत साबित किया है.
बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ पार्थ मुखोपाध्याय बताते हैं कि बांग्लादेश में अभी तक जितनी भी सरकारें बनी हैं. यह सरकार उससे पूरी तरह से अलग और रोचक है. इस अंतरिम सरकार में देश की ऐसी हस्तियों को शामिल किया गया है, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ठ काम किया है और उन्हें राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिले हैं और उन लोगों की अपने क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान भी है. इसके साथ ही आंदोलनरत छात्रों ने साफ कर दिया है कि यह सरकार मात्र तीन महीनों की होगी. उसके बाद एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ही देश में शासन करेगी और उसका चयन चुनाव के माध्यम से होगा.
नोबेल पुरस्कार विजेता बना अतंरिम सरकार का मुखिया

सबसे पहले मोहम्मद युनूस की बात करते हैं, मोहम्मद युनुस की पहचान के दुनिया के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के रूप में होती है. उन्हें अपने माइक्रोफाइनेंस कार्य के लिए साल 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला था. ऐसा माना जाता है कि उनके काम की वजह से बांग्लादेश में गरीबी कम करने में मदद मिली और दुनिया भर में इसे व्यापक रूप से अपनाया गया. वह हसीना सरकार के कट्टर विरोधी माने जाते हैं और उनके पर किये गये केस के बाद उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा था और उन्होंने फ्रांस में शरण ले रखी थी. बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के बाद उन्हें पेरिस से वापस बुलाया गया और उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रधान सलाहाकर के रूप में शपथ ली है.
84 वर्षीय मोहम्मद युसुफ को राष्ट्रपति ने मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई है. यह पद प्रधानमंत्री के समकक्ष है. यह अपने आम में रोचक है कि मोहम्मद युनुस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ नहीं ली है, बल्कि वह मुख्य सलाहाकर हैं और उनके मंत्रिमंडल के एक दर्जन से अधिक सदस्यों – जिन्हें मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार का पद दिया गया है. इस अंतरिम सरकार में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है. जिनका बांग्लादेश में काफी नाम है. इस अंतरिम सरकार में केवल क सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर-जनरल को जगह मिली है.
सलाहाकार परिषद में विशेषज्ञों की भरमार

सलाहकार परिषद के सदस्यों में ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन, महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय, पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन, दक्षिणपंथी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप प्रमुख एएफएम खालिद हुसैन, ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी नूरजहां बेगम और स्वतंत्रता सेनानी शर्मीन मुर्शिद को शामिल किया गया है. ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में विशेज्ञता हासिल कर रखी है.
इसके अतिरिक्त सलाहाकार परिषद में आदिलुर रहमान खान, एएफ हसन आरिफ, सईदा रिजवाना हसन, मोहम्मद नजरुल इस्लाम, सुप्रदीप चकमा और फारूक-ए-आजम जैसी हस्तियों को भी जगह मिली है. बांग्लादेश में आंदोलन को नेतृत्व देने वाले स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन समूह के दो शीर्ष नेता नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को सलाहाकार परिषद में शामिल किया गया है. इस तरह से अंतरिम सरकार में आंदोलनरत छात्रों को भी जगह दी गई है.
युनुस खुद संभाल रहे हैं 27 मंत्रालय, विस्तार के आसार

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के 43 मंत्रालयों में से 27 की जिम्मेदारी अकेले मोहम्मद युनुस संभाल रहे हैं. रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बल, शिक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन और पुल मंत्रालय, खाद्य मंत्रालय, आवास और लोक निर्माण मंत्रालय, भूमि मंत्रालय, कपड़ा और जूट मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को मुखिया मुहम्मद यूनुस संभालेंगे. इसका सीधा अर्थ है कि वह अपने मंत्रिमंडल में और लोगों को शामिल कर सकते हैं.
कानूनी मामलों की विशेषज्ञ जलवायु एवं पर्यावरण कार्यकर्ता सईदा रिजवाना हसन को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन जैसे मंत्रालय दिये गये हैं. एक पर्यावरणविद् के रूप में काम करने के कारण साल 2009 में उन्हें गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें बांग्लादेश में न्यायिक सक्रियता के अभियान में उनके “अडिग साहस और जोशीले नेतृत्व” के लिए 2012 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
पूर्व चुनाव आयुक्त और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शखावत हुसैन के सामने व्यवस्था बहाल करने और पुलिस में विश्वास बहाल करने का महत्वपूर्ण कार्य होगा. वह एक लेख और वक्ता हैं. वे बांग्लादेश के पूर्व चुनाव आयुक्त और बांग्लादेश सेना में ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) के पद पर रह चुके हैं. उन्होंने 32 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं और सुरक्षा और रक्षा विश्लेषक के रूप में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टेलीविजन पर बहस में शामिल होते रहे हैं.
छात्र आंदोलन से निकले युवकों को अहम जिम्मेदारी

पूर्व विदेश सेवा अधिकारी तौहीद हुसैन सरकार के शीर्ष राजनयिक होंगे, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शर्मीन मुर्शिद को सामाजिक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी है, जबकि यूबीआईएनआईजी की फरीदा अख्तर मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय की जिम्मेदारी गयी है. ग्रामीण बैंक की पूर्व कार्यकारी प्रबंध निदेशक नूरजहां बेगम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की नई प्रमुख हैं.
दूसरी ओर आंदोलनकारी छात्रों के दो छात्र नेताओं को अंतरिम सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई है. नाहिद इस्लाम को दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. आसिफ महमूद साजिब भुइयां युवा और खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे। सूचना प्रौद्योगिकी और खेल, युवा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी दो छात्र नेताओं को दिए जाने को खास माना जा रहा है, क्योंकि बांग्लादेश में कोटा विरोधी आंदोलन से लेकर शेख हसीना सरकार तक में ढाका विश्वविद्यालय के छात्र और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयकों में से एक नाहिद इस्लाम ने खास भूमिका निभाई है.

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