बिहार में चुनावी मोड में RJD, बैठक पर बैठक कर रहे तेजस्वी, ऐसे दे रहे संगठन को धार
राज्य की प्रमुख विपक्षी दल राजद अपने संगठन को धार दे रही है, पार्टी ये धार ऐसे ही नहीं दे रही है दरअसल, पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में 2019 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. पार्टी नेता तेजस्वी यादव भी इस बात को समझकर करीब-करीब हर मंच से इस बात को कह रहे हैं. उनका कहना है कि पार्टी को बूथ लेवल तक मजबूत करना है ताकि, अगले विधानसभा में उनकी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हो सके.
दरअसल, पार्टी अपने मुख्य विंग के साथ अपने विभिन्न अनुषांगिक संगठन, प्रकोष्ठों की लगातार मीटिंग कर रही है, पिछले कुछ दिनों में पार्टी की अति पिछड़ा, चिकित्सा, अल्पसंख्यक, किसान और शिक्षक प्रकोष्ठ की बैठक हो चुकी है. पार्टी सूत्रों की मानें तो इसके अलावा कई अन्य प्रकोष्ठों की बैठक आने वाले दिनों में होनी है. इन सभी में पार्टी के शीर्ष नेताओं समेत तेजस्वी यादव ने हिस्सा लिया है, इन सभी मीटिंग में तेजस्वी यादव ने अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं को जीतने का मंत्र दिया है. तेजस्वी करीब-करीब इन सभी प्रकोष्ठों की बैठक में यह बात कह चुके हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में कोई चूक नहीं रहे, इसलिए सबको मेहतन करनी होगी.
करीब आधा दर्जन है प्रकोष्ठ
पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं, पार्टी की तरफ से आने वाले दिनों में एससी/एसटी प्रकोष्ठ, पंचायती राज प्रकोष्ठ के अलावा बुद्धिजीवी, पूर्व सैनिक की तरह ही अन्य प्रकोष्ठों की भी मीटिंग होनी हैं, जिसमें पार्टी का शीर्ष नेतृत्व के नेता हिस्सा लेंगे. इन सभी प्रकोष्ठों के प्रमुख के साथ ही सदस्यों की संख्या बढ़ी है. अगर ये सभी आम लोगों तक पार्टी की नीतियों के बारे में जानकारी देंगे तो आने वाले चुनाव में इसका सीधा लाभ मिलेगा. वह कहते हैं, राजद के करीब 17 प्रकोष्ठ हैं सभी का शेड्यूल तय किया जा रहा है, उसी के अनुरूप जल्द ही सबकी मीटिंग होगी.
अभी तक पार्टी के जिन संगठनों की मीटिंग हो चुकी है, उनमें तेजस्वी हर उस मुद्दे को उठाने का भरसक प्रयास करते हैं. जिससे उनको यह लगता है कि आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी को लाभ होगा. तेजस्वी अपने कार्यकाल में नौकरी देने की बात को उठाते हैं, तो साथ में ही लॉ एंड ऑर्डर की भी बातें उठाते हैं, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की बैठक में वो देश में राजनीति का केंद्र बने वक्फ बोर्ड के मुद्दे को प्रमुखता से उठा चुके हैं.
जोश भरने का करते हैं प्रयास
दरअसल, तेजस्वी इस बात को भी बताने से नहीं चूकते कि 2020 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिला था, लेकिन फिर अगले साल होने वाले चुनाव में वह राज्य में सरकार बनाने में सफल रहे. वो यह भी कहते हैं, तब शून्य सीट होने के बाद भी वह सरकार बनाने में सफल रहे, इस बार तो उनके पास लोकसभा में चार सीटें हैं. हाल ही में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की बैठक में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस बार चार सीटें मिलीं, अगर कार्यकर्ता जान लगा देंगे तो अगली सरकार राजद की सरकार होगी.
विभिन्न प्रकोष्ठों की बैठक के साथ ही पार्टी समीक्षा भी कर रही है, प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि गत लोकसभा चुनाव में पार्टी को मेहनत करने के बाद भी आशातीत सफलता नहीं मिली. पार्टी उन लोकसभा क्षेत्रों के जिलाध्यक्ष, जिला प्रधान महासचिव, पूर्व प्रत्याशी के साथ ही संबंधित जिलों से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश पदाधिकारी और प्रकोष्ठ अध्यक्ष के साथ समीक्षा भी कर रही है.
मीटिंग से कार्यकर्ताओं में भरता है जोश
पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता चितरंजन गगन का कहना है कि प्रकोष्ठों के कार्यक्रम लगातार चलते रहते हैं, हर दिन कोई न कोई मीटिंग होती है, जिसमें प्रदेश नेतृत्व या राष्ट्रीय नेतृत्व के नेता आते हैं. इससे कार्यकर्ताओं में जोश आता है और चुनाव नजदीक है, बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. चुनाव के पहले जो भी प्रकोष्ठ हैं, जो भी अनुषांगिक संगठन हैं, सभी के लोगों को चुनावी मूड में लाने के लिए, उनमें ऊर्जा भरने के लिए एक संवाद जरूरी होता है.
गगन कहते हैं, कई प्रकोष्ठ की बैठक हुई है, उसमें हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी अपना आर्शीवाद दिया है. तेजस्वी यादव ने भी संबोधित किया है, प्रदेश अध्यक्ष सब मीटिंग में रहते हैं इससे नया जोश आ जाता है और कार्यकर्ताओं में एक संवाद कायम होता है. हमारा हर बूथ पर काम चल रहा है जिला वार समीक्षा भी हो रही है जहां-जहां जिस बूथ पर हमारी स्थिति कमजोर महसूस की गई है या लोकसभा चुनाव में वहां पर हम अपेक्षा के अनुसार वोट नहीं आया तो हम उन कमियों के बीच समीक्षा कर रहे हैं. हर बूथ पर एक मजबूत कमेटी बनाने की दिशा में पार्टी लगी हुई है.
चुनावी मोड में है राजद, तैयारी में लगा
वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय कहते हैं, राजद चुनावी मोड में है, वह चुनाव की तैयारी में लगी हुई है. पार्टी पहले एमवाई समीकरण की बात करती थी, लेकिन अब वह अपने इस समीकरण के दायरे को बढ़ाना चाहती है. आगे उन्होंने कहा है कि जो भी ऐसे विधानसभा क्षेत्र, जहां फॉरवर्ड वोटरों की संख्या ज्यादा है वहां आरजेडी उसी जाति की प्रत्याशी को मौका दे सकती है. राजद की सबसे अधिक चिंता सीमांचल को लेकर कर है, उन इलाकों में कद्दावर यादव नेताओं का वर्चस्व है, जिसमें पप्पू यादव और विजेंद्र प्रसाद यादव शामिल है. गौर करने वाली बात है कि दोनों ही राजद में नहीं है. रुपौली विधानसभा क्षेत्र में एक तरह से आरजेडी इस बात का टेस्ट कर चुकी है. राजद को सबसे ज्यादा डर जन सुराज से है, वह जन सुराज को लेकर भी अपने संगठन को धार देने की कोशिश में है.