बीजिंग का गाजा प्लान एक्टिव, हमास-फतह के बीच हुए हस्ताक्षर के क्या हैं मायने?
बीजिंग का गाजा प्लान एक बार फिर से एक्टिव होता नजर आ रहा है. फिलिस्तीन का कट्टर विरोधी समूह माने जाने वाले समूह हमास, फतह और 14 अन्य फिलिस्तीनी संगठनों ने बीजिंग घोषणापत्र पर किया हस्ताक्षर किया है. चीन की सरकारी मीडिया ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इस प्रक्रिया के दौरान, बीजिंग में इस्माइल हानिया समेत सभी संगठनों के प्रमुख नेता मौजूद रहे. माना जा रहा है कि गाजा में हमास और फ़तह मिलकर शासन करेंगे. हालांकि, दोनों पक्षों में हुए समझौते के संबंध में कोई और जानकारी नहीं मिली है.
जानकारी के मुताबिक बीजिंग नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट बनाने का प्लान बना रही है. इजराइल को रोकने के लिए, इसे एक नई रणनीति के तौर पर भी देखा जा सकता है. अपनी ताकत बढ़ाने और इजराइल के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए, मध्य-पूर्व में चीन की ये एक और बड़ी चाल है. इसलिए, बीजिंग इज़राइल और अमेरिका के विरोध में सभी संगठनों को एकजुट कर रहा है. साथ ही, चीन अमेरिका को मध्यपूर्व में उलझा कर रखने में और ताइवान से अमेरिकन फोकस को हटाने में लगा हुआ है.
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संघर्ष-विराम पर सहमति कायम
दोनों ही प्रतिद्वंद्वी समूह के बीच घोषणापत्र पर हस्ताक्षर की खबर सामने आने के बाद दुनिया में खलबली मच गई है. वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच संघर्ष-विराम पर सहमति कायम होती नजर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों समूहों ने मतभेद खत्म करने और फिलिस्तीन एकता को मजबूत करने के संबंध में बीजिंग घोषणापत्र पर दस्तखत किए हैं.
इजराइल के शासन की आलोचना
इसके अलावा, इजराइल को एक और बड़ा झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजराइल की मौजूदगी को गैरकानूनी बताते हुए इसे खत्म करने को कहा. साथ ही कब्जा की गई जमीन पर इजराइल के शासन की आलोचना भी की. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के 15-जजों के पैनल के राय की निंदा की. उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र यहूदी लोगों की ऐतिहासिक मातृभूमि का हिस्सा हैं. लेकिन कोर्ट का निर्णय अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित कर सकती है और फिलिस्तीनी राज्य की एकतरफा मान्यता के लिए कदम बढ़ा सकती है