बुजुर्ग माता-पिता ने 30 साल के बेटे के लिए मांगी इच्छामृत्यु की इजाजत, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
एक बुजुर्ग माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट से अपने 30 साल के बेटे के लिए इच्छा मृत्यु की मांग की है. 60 साल की उम्र पार कर चुके माता-पिता ने अपनी याचिका में कहा है कि उनका बेटा हरीश राणा एक हादसे के बाद से 11 साल से बिस्तर पर बेसुध पड़ा है. याचिका में कहा गया है कि माता-पिता की उम्र ज्यादा हो गई है और वो अब अपने बेटे की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं. कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इच्छामृत्यु का आदेश नहीं दिया जा सकता, लेकिन वो मरीज़ को किसी और सरकारी अस्पताल में या किसी और जगह पर इलाज और देखभाल के लिए शिफ्ट करने के रास्ते की तलाश करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर सहमति जताई, जिसमें कोर्ट ने माता-पिता की बेटे की इच्छामृत्यु के लिए मेडिकल बोर्ड बनाने की मांग को ठुकरा दिया था.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चूंकि युवक 2013 से बिना किसी बाहरी जीवन रक्षक मशीनों के जी रहा है. लिहाजा हाईकोर्ट के उस आदेश में हमें कोई खामी नजर नहीं आती.
कैसे हुआ था हादसा?
साल 2013 में युवक एक बिल्डिंग की चौथी मंजिल से गिर गया था. इस घटना में युवक के सिर में चोट लग गई थी. उसके बाद 11 साल से युवक बिस्तर पर बेसुध पड़ा है. अब उसकी उम्र 30 साल हो गई है. हादसे के वक्त युवक पंजाब यूनिवर्सिटी का छात्र था.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा, “मरीज़ हरीश राणा वेंटीलेटर या किसी जान बचाने वाली मशीन पर नहीं है. उसे फूड पाइप के जरिए खाना भी दिया जा रहा है, इसलिए इसमें इच्छामृत्यु का कोई मामला नहीं बनता है. इस दौरान कोर्ट ने ये ज़रूर माना कि मां-बाप को इलाज के लिए जिंदगी बचाए रखने में दिक्कते आ रही हैं, क्योंकि उन्होंने अपना घर भी बेच दिया है.
मानवीय समाधान की तलाश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इच्छामृत्यु नहीं दी जा सकती, लेकिन मानवीय समाधान खोजा जा सकता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि एडिशनल सोलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से गुज़ारिश है कि वो मामले में सहायता करें. उन्होंने कहा कि ये बेहद मुश्किल केस है.