बेकार है हार्ट का एमआरआई कराना, लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की रिसर्च में हुआ खुलासा
बीमारियों का डर कहें या खुद को फिट रखने की होड़, अब बॉडी चेकअप कराने वालों का आंकड़ा पहले की तुलना में बढ़ रहा है. कोरोना महामारी के बाद से यह ज्यादा हुआ है. कई मामलों में तो लोग बिना डॉक्टर की सलाह के कई सारे चेकअप करा लेते हैं. कुछ मशहूर हस्तियां भी फुल बॉडी स्कैन का प्रचार करती हैं, लेकिन क्या वाकई सभी टेस्ट सही परिणाम देते हैं? इसका जवाब है नहीं. हाल ही में लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी में इस बारे में रिसर्च की गई है. रिसर्च में पता चला है की हार्ट संबंधी बीमारियों के लिए एमआरआई स्कैन कराने का कोई खास फायदा नहीं है.
रिसर्च में बताया गया है कि एमआरआई स्कैन कई बीमारियों का सही पता नहीं लगा सकता है. खासतौर पर जब बात हार्ट चेकअप की आती है तो ये टेस्ट बहुत फायदेमंद नहीं है. रिसर्च में बताया गया है की एमआरआई स्कैन शरीर में हो रहे कुछ बदलावों का तो पता लगा सकता है लेकिन अधिकांश लक्षणों का इससे सही पता नहीं लगता है.
एमआरआई स्कैन घातक बीमारियों का पता नहीं लगा सकता
लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की रिसर्च में 16,000 लोगों को शामिल किया गया है. इन सभी का एमआरआई किया गया. रिसर्च पूरी होने के बाद पता चला की एमआरआई स्कैन शरीर में गंभीर लक्षणों को बहुत कम दिखाता है. ब्रेन के मामले में तो यह सही है, लेकिन छाती से संबधित बीमारियों और हार्ट डिजीज के बारे में यह उतनी सही जानकारी नहीं देता है. जैसी जानकारी सीटी स्कैन या फिर सामान्य एक्स-रे से मिलती है.
एमआरआई फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट भी दिखाता है. ब्रेस्ट संबंधित बीमारियों के मामले में प्रति 1000 स्कैन में, कम से कम 97 गलत पॉजिटिव थे, जबकि प्रोस्टेट की जांच के लिए 100 स्कैन में, एमआरआई में 29 फॉल्स पॉजिटिव थे. फॉल्स पॉजिटिव यानी व्यक्ति की रिपोर्ट गलत आई है. रिसर्च में बताया गया है कि एमआरआई स्कैन हार्ट डिजीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का पता नहीं लगा पाता है. जिन बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है उनकी पहचान के मामले में एमआरआई उतना फायदेमंद नहीं है जितना दूसरे टेस्ट हैं.
कितना प्रभावशाली है एमआरआई स्कैन?
दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अजय कुमार बताते हैं स्किन के नीचे क्या समस्या है इसकी जानकारी के लिए एमआरआई फुल बॉडी स्कैन कराया जाता है. यह काफी महंगा होता है और इसकी रिपोर्ट में जो डिटेल आती है उसको आम आदमी के लिए समझना मुश्किल होता है. कई मामलों में एमआरआई के बाद कई अन्य टेस्ट भी कराने पड़ते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि एमआरआई टेस्ट कराने का कोई फायदा नहीं है. एमआरआई की मदद से ब्रेन संबंधित बीमारियों का आसानी से पता लगााया जा सकता है. स्ट्रोक और रीढ़ की हड्डी की चोटों का इससे आसानी से पता लग सकता है, लेकिन हार्ट डिजीज की पहचान के लिए एमआरआई की तुलना में सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी और ट्रेडमील टेस्ट ज्यादा फायदेमंंद है.
बढ़ रही टेस्ट कराने वालों की संख्या
देश की एक बड़ी पैथ लैब के डायरेक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट डॉ समीर भाटी बताते हैं की बीते कुछ सालों से फुल बॉडी चेकअप और अन्य बीमारियों की जांच कराने वाले मरीजों का आंकड़ा बढ़ा है. कोरोना के बाद इसमें 30 से 40 फीसदी का उछाल देखा गया है. इसका कारण है कि लोग बीमारियों को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं.