बेरोजगारी के मोर्चे पर आई ये बड़ी खबर, टूटा एक साल पहले का रिकॉर्ड
अमेरिका में मंदी की आहट से भारत के आईटी सेक्टर पर असर देखने को मिल सकता है. इससे कई सेक्टर्स में नौकरियां जा सकती हैं. अगर अमेरिका में स्थिति नहीं सुधरती है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी के गर्त में चली जाती है तो भारत पर भी असर पड़ेगा, जिसमें अमेरिका में डिमांड घटने से भारतीय निर्यात की डिमांड घट सकती है. यानी इससे रोजगार भी प्रभावित हो सकता है. अगर अभी के हाल की बात करें तो अभी स्थिति थोड़ी कंट्रोल में दिख रही है.
रिपोर्ट कहती है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जून तिमाही में शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर 6.6 प्रतिशत पर स्थिर रही है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अपने आंकड़ों में बताया है कि श्रम बल में बेरोजगार लोगों के प्रतिशत को बेरोजगारी दर कहते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 की जून तिमाही में बेरोजगारी दर 6.6 प्रतिशत ही थी.
क्या कहती है रिपोर्ट?
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, 23वें आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) से पता चलता है कि 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत थी. सर्वेक्षण के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2024 में नौ प्रतिशत रही, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 9.1 प्रतिशत थी. यह दर जनवरी-मार्च, 2024 में 8.5 प्रतिशत थी.
टूटा एक साल पहले का रिकॉर्ड
शहरी क्षेत्रों में पुरुषों में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून में घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 5.9 प्रतिशत थी. यह आंकड़ा जनवरी-मार्च, 2023 में 6.1 प्रतिशत था. दूसरी ओर 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए शहरी क्षेत्रों में चालू साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में श्रम बल भागीदारी दर अप्रैल-जून में बढ़कर 50.1 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 48.8 प्रतिशत थी. अखिल भारतीय स्तर पर, शहरी क्षेत्रों में अप्रैल-जून, 2024 के दौरान कुल 5,735 एफएसयू (शहरी फ्रेम सर्वेक्षण से निकाली गई शहरी नमूना इकाई) का सर्वेक्षण किया गया.