बैंकों का ‘काल’ बन सकते हैं म्यूचुअल फंड्स और शेयर बाजार, क्यों बनें ऐसे आसार?

मौजूदा समय में देश के शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या करीब 18.50 करोड़ पहुंच चुकी है. वहीं दूसरी ओर म्युचुअल फंड्स में पैसा लगाने वालों की संख्या 4.5 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी है. संकट इस बात का नहीं कि इन दोनों में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. घबराहट तो इस बात की है कि​ इन दोनों में ही जिस तरह से निवेश करने का चलन बढ़ रहा है.
उसकी वजह से देश के बैंकों की सेहत पर लगातार असर देखने को मिल रहा है. शेयर बाजार और म्युचुअल फंड बैंकों के लिए काल बनकर उभर सकते हैं. क्योंकि देश के लोग जितना ज्यादा पैसा कैपिटल मार्केट में इंवेस्ट कर रहे हैं. उसके मुकाबले बैंक ​डिपॉजिट्स स्कीम्स में नहीं.
हाल ही रिपोर्ट के अनुसा म्यूचुअल फंड निवेशकों ने इसमें 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है. वहीं दूसरी ओर बैंकों की डिपॉजिट्स स्कीम या यूं कहें कि डिपॉजिट्स उस तेजी के साथ नहीं बढ़ रहे हैं. एसबीआई और आरबीआई दोनों ने इस बार पर काफी गहरी चिंता जताई है.
आरबीआई गवर्नर ने खद इस बात को कहा कि जिस तरह से देश का रिटेल पैसा बैंक डिपॉजिट्स की जगह अल्टरनेटिव्स रूट्स की ओर मूव कर रहा है. उससे देश के बैंकों के लिए काफी बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई अपनी रिपोर्ट में और देश का बैंकिंग रेगुलेटर ऐसा क्यों कह रहा है?
आरबीबाई गवर्नर ने जताई चिंता
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर शक्तिकांत दास इस मोर्चे पर चिंता व्यक्त कहा कि मौजूदा दौर में रिटेल कस्टमर्स का रुख अल्टरनेटिव्स इंवेस्टमेंट की ओर देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से बैंकों को फंडिंग के मोर्चे पर कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि देश का क्रेडिट ग्रोथ तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन डिपॉजिट ग्रोथ में वैसी तेजी देखने को नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से बैंकों को लोन की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट्स और लाइबिलिटी के दूसरे रिसोर्स का सहारा लेना पड़ रहा है.
आरबीआई गवर्नर के अनुसार ये पूरा प्रोसेस बैंकिंग सिस्टम की स्ट्रक्चरल लिक्विडिटिली की परेशानियों और कमियों को उजाकर कर सकता है. आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को सलाह देते हुए कहार कि बैंकों अब अपने ब्रॉडर नेटवर्क का फायदा उठाना चाहीए और ऐसे प्रोडक्ट्स मार्केट में लॉन्च करने चाहिए ताकि रिटेल कस्टमर बैंकों में डिपॉजिट करने के लिए ज्यादा से ज्यादा आकर्षित हो सकें.
क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट
वहीं दूसरी ओर देश के सबसे बड़ा सरकारी लेंडर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कुछ इसी तरह की चिंता जाहिर की है, जैसी आरबीआई व्यक्त कर रहा है. एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में तो इजाफा हो रहा है, लेकिन डिपोजिट्स में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है.
अब निवेशक बैंक डिपॉजिट्स या यूं कहें कि बैंकिंग स्कीम्स में निवेश करने की जगह म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश करने को तरजीह दे रहे हैं. हाल ही में म्यूचुअल फंड में निवेशकों ने 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है. इस इंवेस्टमेंट की ग्रोथ रेट भी ज्यादा है. वहीं दूसरी ओर देश के बैंकों के डिपॉजिट्स की ग्रोथ में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है.
आरबीआई गवर्नर ने भी हाल हर में एक प्रोग्राम के दौरान कहा था कि इंवेस्टर्स अब अपनी सेविंग को बैंकों की ट्रेडिशनल स्कीम्स में इंवेस्ट नहीं कर रहे हैं. बल्कि कैपिटल मार्केट यानी शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में ज्यादा निवेश कर रहे हैं. अगर दोनों के फाइनेंशियल असेट्स की बात करें तो बैंक डिपॉजिट्स की हिस्सेदारी ज्यादा है, लेकिन अब इसके ग्रोथ में लगातार गिरावट देखने को मिल रहइी है. इंवेस्टर्स अब अपनी सेविंग म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस फंड और पेंशन फंड में ज्यादा इंवेस्ट कर रहे हैं.

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