बैंक डिपॉजिट में क्यों आ रही हैं कमी? आईबीए ने बता दिया कारण

बैंकों में घटते डिपॉजिट लेवल को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच भारतीय बैंक संघ यानी आईबीए ने गुरुवार को कहा कि आसान नियमों के कारण रिटेल डिपॉजिट बैंकों से म्यूचुअल फंड स्कीम्स में जा रही है. आईबीए के चेयरमैन एमवी राव ने यहां आयोजित सालाना फिबैक सम्मेलन में कहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए आसान नियमों की वजह से निवेशकों को अधिक रिटर्न दे पाना आसान होता है. हालांकि, कोटक म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ नीलेश शाह ने इस दावे को समझ पाने में असमर्थता जताई कि बैंकों की स्लो डिपॉजिट ग्रोथ का दोष म्यूचुअल फंड कंपनियों पर किस तरह डाला जा सकता है.
दरअसल, एक साल से अधिक समय से बैंकिंग सिस्टम में कम डिपॉजिट ग्रोथ देखी जा रही है. ऐसे में लोन डिमांड को बनाए रखने की इसकी क्षमता पर चिंता जताई जा रही है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास सहित उद्योग का मानना है कि बचतकर्ता अपना पैसा हाई यील्ड वाले म्यूचुअल फंड (एमएफ) में लगाना पसंद करते हैं और म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के मंथनी फ्लो में वृद्धि से इसकी पुष्टि भी होती है.
एमएफ को नहीं पड़ती वेरिफिकेशन की जरुरत
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख राव ने कहा कि बैंकों के लिए कोष का निवेश विनियमों से तय होता है जबकि एमएफ कंपनियों पर ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एमएफ कंपनियों को कोई अंतिम उपयोग सत्यापन का सामना नहीं करना पड़ता है और बैंक ग्राहकों को अपना फंड उनके पास रखने का निर्देश नहीं दे सकते हैं. राव ने यह भी कहा कि 99 प्रतिशत म्यूचुल फंड निवेशक कोई शोध नहीं करते हैं और अपने दांव लगाने के लिए एक समूह के रूप में कार्य करते हैं, जिसके जोखिम भरे नतीजे सामने आ सकते हैं.
अमेरिका में नहीं लगते एमएफ पर आरोप
इसके उलट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य शाह ने धीमी जमा वृद्धि के लिए सरकारी शेष राशि को बैंकिंग सिस्टम से बाहर ले जाने, स्मॉल सेविंग स्कीम्स की मौजूदगी और मुद्रा वितरण को बैंकों के विशेष अधिकार में रखने जैसे कारकों की ओर इशारा किया. शाह ने अमेरिका और अन्य बाजारों के अनुभव भी साझा किए, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जमा वृद्धि सुस्त पड़ने के ऐसे आरोप नहीं लगाए जाते हैं. हालांकि, शाह ने कहा कि उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी शेष राशि बैंकों में जमा हो जिससे सरकार को सालाना 12,000 करोड़ रुपए तक का ब्याज भी मिलेगा.

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