ब्रिटेन के PM की ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ सू ग्रे का इस्तीफा, वेतन से जुड़े मामले पर मचा था बवाल
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ सू ग्रे ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने यह फैसला अपने वेतन से जुड़े मामले पर हो रहे विरोध के बाद लिया है. ग्रे ने कहा कि इस्तीफा देने के बाद कहा कि उनके वेतन के बारे में मीडिया में आ रही खबरें सरकार के लिए ध्यान भटकाने वाली हो सकती हैं. इस मामले को लेकर खुद प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भी विरोध का सामना रह रहे थे.
हाल में आई कुछ खबरों में ग्रे और स्टार्मर के मुख्य सलाहकार मॉर्गन मैकस्वीनी के बीच तनाव की बात कही गई थी. कहा गया था कि वह प्रधानमंत्री से ज्यादा कमा रही हैं. बीबीसी के मुताबिक, ग्रे का वार्षिक वेतन 170,000 पाउंड था, जो स्टार्मर को मिलने वाले वेतन से लगभग 3 हजार पाउंड ज्यादा है.
मैकस्वीनी ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ की जगह लेंगे
वहीं, स्टार्मर की चीफ ऑफ स्टाफ के पद से इस्तीफा देने के बाद सू ग्रे को दूसरा कार्यभार सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि वह क्षेत्रों और देशों के लिए प्रधानमंत्री की दूत के रूप में एक नई भूमिका स्वीकार कर ली है. वहीं, मैकस्वीनी प्रधानमंत्री कार्यालय और आवास डाउनिंग स्ट्रीट में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में ग्रे की जगह लेंगे.
ग्रे ने एक बयान में कहा, ‘मेरे पूरे करियर में, मेरी पहली रुचि हमेशा सार्वजनिक सेवा रही है. हालांकि, हाल के हफ्तों में यह मेरे लिए स्पष्ट हो गया है कि मेरे पद के बारे में आ रही तीखी टिप्पणियां सरकार के महत्वपूर्ण कार्य में बाधा बन सकती हैं.’ ग्रे की गिनती ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के खास लोगों में होती है.
ग्रे 2022 में ब्रिटेन में सुर्खियों में रही थीं
पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह ग्रे 2022 में ब्रिटेन में सुर्खियों में रही थीं, जब उन्होंने पार्टीगेट की जांच का नेतृत्व किया. इस मामले में आरोप है कि कंजरवेटिव पार्टी की सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और उनके अधिकारी कोविड-19 लॉकडाउन प्रतिबंधों के बावजूद सरकारी कार्यालयों में आयोजित पार्टी में शामिल हुए.
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ग्रे ने पिछले साल स्टॉर्मर की ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में लेबर पार्टी में शामिल होने से पहले सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, कीर स्टार्मर इस साल जुलाई में यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. कीर स्टार्मर के नेतृत्व में 14 सालों के बाद लेबर पार्टी ने ब्रिटेन के चुनावों में भारी जीत हासिल की है.