ब्रिटेन में ऋषि सुनक की हार, क्या थम जाएगी भारत के साथ FTA की रफ्तार?
अबकी बार 400 पार… ब्रिटेन के चुनावों में इस बार विपक्ष के लिए ये नारा सच्चाई बन चुका है. ब्रिटेन की 650 सीट में से विपक्षी दल लेबर पार्टी को 412 सीट मिली हैं. वहीं सत्ता में बैठी कंजरवेटिव पार्टी के महज 121 सीट पर सिमट गई है. ऐसे में अब देखना ये होगा कि ऋषि सुनक की इस हार का असर भारत के साथ होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर तो नहीं पड़ने वाला है? कहीं इसकी रफ्तार कम तो नहीं पड़ जाएगी?
ब्रिटेन की संसद के हाउस कॉफ कॉमंस में बहुमत के लिए किसी पार्टी को कम से 326 सीटों पर जीत की जरूरत होती है. अगर विपक्ष जीतता है तो कीर स्टार्मर का प्रधानमंत्री बनना तय है.
क्या भारत के साथ FTA पर होगा असर?
भारत और ब्रिटेन बीते कुछ सालों से मुक्त व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. एक तरह से इस समझौते पर मुहर लगना ही बाकी रह गया है. हालांकि भारत के साथ एफटीए ब्रिटेन के दोनों दलों के ही मुख्य चुनावी एजेंडे में शामिल रहा है.
ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी ने अपने घोषणापत्र में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता को अंतिम रूप देने और रक्षा एवं तकनीकी क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को अधिक प्रगाढ़ बनाने की बात कही है.
स्कॉटलैंड के इलाके में पार्टी की ओर से कहा गया है कि वह अमेरिका में स्कॉच व्हिस्की पर टैरिफ को खत्म कराने के लिए काम करेगी. वहीं एफटीए के माध्यम से भारत में इस पर शुल्क दरों को कम कराने पर काम करेगी.
विपक्ष भी भारत के साथ एफटीए के पक्ष में
कंजरवेटिव पार्टी की तरह ही कीर स्टार्मर और लेबर पार्टी भी भारत के साथ एफीए के पक्ष में नजर आते हैं. उन्होंने सरकार बनने के बाद भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है.
ब्रिटेन में विपक्ष की ओर से शैडो मंत्री बनाने की परंपरा है. इस तरह लेबर पार्टी के उम्मीदवार और शैडो विदेश मंत्री डविड लैमी ने बीते दिनों चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि कई दिवाली आकर चली गईं लेकिन अब तक इस समझौते पर सहमति नहीं बन सकी. कितने सारे बिजनेस को इसका इंतजार है. उन्होंने कहा कि वह भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और व्यापार मंत्री पीयूष गोयल को ये संदेश देना चाहते हैं कि लेबर पार्टी इस समझौते को करने के लिए तैयार है.
वैसे भारत और ब्रिटेन के एफटीए की डेडलाइन 2022 की दिवाली थी. लेकिन इस पर अब तक अंतिम मुहर नहीं लग सकी है.