भाटी-बेनीवाल-रोत एक मंच पर आए नजर, राजस्थान में क्या पक रही नई सियासी खिचड़ी?
लोकसभा चुनाव के बाद से राजस्थान में नई सियासी खिचड़ी पकती नजर आ रही है, जिसका नजारा दो दिन पहले देखने को मिला है. बाड़मेर लोकसभा सीट पर एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने वाले कांग्रेस सांसद उम्मेदराम बेनीवाल और निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ही नहीं सांसद राजकुमार रोत एक साथ नजर आए हैं. विश्व आदिवासी आधिकार दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में तीनों ही नेता एक ही गाड़ी पर सवार होकर पहुंचे थे. साथ में सैकड़ों की संख्या में समर्थकों का हुजूम उनके काफिले के साथ रहा. इसके बाद से राजस्थान की राजनीति में कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या तीनों ही नेताओं के बीच कोई सियासी ताना बाना बुना जा रहा है?
कांग्रेस नेता उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी एक-दूसरे के आमने-सामने 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरे थे. इस दौरान दोनों ही नेताओं के बीच सियासी बयानबाजी भी जमकर हुई थी. लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया था, लेकिन सियासी बाजी उम्मेदाराम बेनीवाल ने मारी और सांसद चुने गए. रविंद्र सिंह भाटी को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन बीजेपी के दिग्गज नेता और मोदी सरकार के मंत्री रहे कैलाश चौधरी को हराने की इबारत भी दी थी. राजकुमार रोत बांसवाडा सीट से भारतीय आदिवासी पार्टी से सांसद चुने गए हैं, जिन्होंने भील प्रदेश को लेकर इन दिनों मोर्चा खोल रखा है.
तीनों नेता एक मंच पर आए नजर
राजस्थान के बाड़मेर में आयोजित हुए रोड शो के दौरान प्रदेश के तीनों ही दिग्गज नेता एक साथ एक मंच पर आने पर सुर्खियों में आए. इससे पहले रविंद्र भाटी और कांग्रेस के पूर्व विधायक अमीन खान की तस्वीर बीएमपी के पोस्टर में नजर आई थी. अब रविंद्र भाटी, अमीन खान की सियासी केमिस्ट्री राजकुमार रोत और उम्मेदराम बेनीवाल के बीच बनती नजर आ रही है. ऐसे में मंच साझा करने की तस्वीर तीनों के बीच नई राजनीतिक खिचड़ी पकने की ओर इशारा कर रही है.
रविंद्र भाटी का सियासी सफर
बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से रविंद्र भाटी वर्तमान में निर्दलीय विधायक है. भाटी वैचारिक रूप से बीजेपी के करीब थे. एबीवीपी के सदस्य रहे हैं, लेकिन बीजेपी के लिए चुनौती बन गए हैं. 2023 में निर्दलीय विधायक बने और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे थे. बाड़मेर इलाके के मुस्लिम नेता अमीन खान ने कांग्रेस के नेताओं पर भीतर घात कर विधानसभा चुनाव में हराने और कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान की पार्टी में वापसी का विरोध किया था, लेकिन पार्टी ने उनको नजरंदाज कर दिया था. इसके चलते अमीन खान ने कांग्रेस से बगावत कर रविंद्र सिंह भाटी का समर्थन किया था.
लोकसभा चुनाव में हार लगी हाथ
लोकसभा चुनाव में रविंद्र भाटी बाड़मेर क्षेत्र में ओबीसी और राजपूत वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे थे, लेकिन मुस्लिम समुदाय को साथ नहीं जोड़ सके. मुसलमानों ने कांग्रेस के पक्ष में 80 फीसदी वोटिंग की थी. जाट-मुस्लिम समीकरण के बदौलत उम्मेदराम बेनीवाल जीतने में कामयाब रहे. लोकसभा चुनाव में हार के बाद अमीन खान और रविंद्र सिंह भाटी दोनों ही नए समीकरण साधने में लगे थे. दलित नेता वामन मेश्राम की बीएमपी के साथ इन दिनों उनकी नजदीकियां बढ़ रही हैं. इसके चलते ही उन्होंने अगस्त में बीएमपी के पार्टी कार्यक्रम में शिरकत की थे.
नई सियासी चर्चा शुरू
बाड़मेर जिले के रामसर में आयोजित आदिवासी अधिकार दिवस कार्यक्रम में बांसवाड़ा डूंगरपुर सांसद और भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रमुख राजकुमार रोत, बाड़मेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी एक मंच पर दिखाई दिए. इस दौरान सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने भील समाज को 20 लाख रुपए देने की घोषणा की. इस तरह उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के सियासी समीकरण को जरूर दुरुस्त करने का दांव चला है, साथ ही नई सियासी चर्चा को भी बल दे दिया है.
क्या कहती है यह सियासी केमिस्ट्री
निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी का अब आदिवासी समुदाय के चेहरे सांसद राजकुमार रोत और कांग्रेस सांसद के साथ रोड शो में शामिल होना राजनीतिक संयोग है या फिर कोई सियासी प्रयोग की पठकथा लिखी जा रही है. यह बात इसीलिए भी कही जा रही है कि राजकुमार रोत ने इन दिनों भील प्रदेश बनाने की मांग को लेकर जिस तरह से अभियान चला रखा है, उसके पीछे आदिवासी समुदाय के बीच अपनी पैठ जमाना चाहते हैं. रविंद्र सिंह भाटी अब अलग सियासी पहचान बनाने में जुटे हैं. इस तरह से दोनों के एक साथ आने को लेकर भविष्य के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. अब देखना है कि आदिवासी आधिकार दिवस के बहाने एक मंच पर आए भाटी-अमीन-राजकुमार रोत और बेनीवाल क्या आगे भी ऐसे ही सियासी केमिस्ट्री के साथ रहेंगे.