भारत का मिला साथ तो टूट गया चीन का सपना, दुश्मन देश से मिलाया हाथ

पड़ोसी देशों पर अपनी धाक जमाने की चाह रखने वाले चीन को एक बड़ा झटका लगा है. ये झटका उसके एक पड़ोसी देश फिलीपींस ने ही दिया है. चीन और फिलीपींस के बीच दक्षिण चीन सागर में एक तट को लेकर काफी लंबे समय से भयंकर विवाद चल रहा था. इसको लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी इतनी बढ़ गई कि फिलीपींस ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत से ब्रह्मोस मिसाइल मांगी थी. बस यहीं से इस मामलें में चीन के पीछे हटने की कायवाद शुरू हो गई और टकराव से बचने के लिए उसने एक समझौता किया है.
दो फिलीपींस के अधिकारियों ने बताया कि मनीला और बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में एक भयंकर विवादित तट पर टकराव से बचने के लिए एक समझौता किया. उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई झड़पों ने बड़े संघर्षों की आशंकाओं को जन्म दिया है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हो सकता है.यह सौदा मनीला में फिलिपिनो और चीनी राजनयिकों के बीच बंद कमरे में हुई बैठकों और राजनयिक नोटों के आदान-प्रदान के बाद किया गया था. हालांकि अभी तक इस डील की सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई है.
दक्षिण चीन सागर में इस बात को लेकर विवाद
चीन दक्षिण चीन सागर के कई द्वीपों और यहां के चट्टानों पर लंबे समय दावा करता आया है. वहीं फिलीपींस इस सागर में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर पारंपरिक मछली पकड़ने के मैदानों पर दावा करता है. ये देश इसे वह पश्चिम फिलीपीन सागर भी कहता है. इस मामले में अमेरिका एक पुरानी संधि के कारण फिलीपींस का समर्थन करता है. इस संधि में है कि अगर फिलीपींस के सैनिक सशस्त्र हमले की चपेट में आते हैं तो उसे एशिया में अपने सबसे पुराने सहयोगी की रक्षा के लिए आना पड़ेगा.
गेम-चेंजर बन भारत की ब्रह्मोस मिसाइल
फिलीपींस के लिए ब्रह्मोस मिसाइल गेम-चेंजर बन गई. चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच इस मिसाइल ने तटीय सुरक्षा को मजबूती भी दी और इसके साथ ही चीन को झुकने पर मजबूर भी कर दिया. इस बात को आप ऐसे ही समझ सकते हैं कि इस साल अप्रैल में हीं भारत ने ये क्रूज मिसाइलों की पहली खेप पहुंचाई थी. मिसाइलों के पहुंचने के तीन महीने के अंदर ही युद्ध की धमकी देने वाले चीन ने अपने दुश्मन देश से ही समझौता कर लिया है.

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