भारत की इकोनॉमी को लेकर आई गुड न्यूज, मार्च के बाद सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा उछाल
बीते कुछ दिनों से भारत को इकोनॉमी को लेकर ज्यादा अच्छी खबर नहीं आई है. खासकर पहली तिमाही में जीडीपी के आंकड़ों ने काफी निराश किया है. वैसे आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के जीडीपी के आंकड़ों को लेकर आशावादिता दिखाई है. अब भारत के सर्विस सेक्टर से देश की इकोनॉमी को लेकर अच्छी खबर सुनने को मिली है. अगस्त के महीने में देश के सर्विस सेक्टर में मामूली ही सही इजाफा देखने को मिला है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सर्विस सेक्टर को लेकर किस तरह के आंकड़ें सामने आए हैं.
सर्विस सेक्टर में ग्रोथ
भारत के सर्विस सेक्टर की ग्रोथ अगस्त में जुलाई की तुलना में बढ़ी है. इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार देखा गया. मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सर्विस पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में 60.3 से बढ़कर अगस्त में 60.9 हो गया. यह मार्च के बाद सबसे तेज विस्तार है. इसे काफी हद तक उत्पादकता लाभ और सकारात्मक मांग के रुझान से समर्थन मिला. खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है.
मार्च के बाद सबसे तेज ग्रोथ
एचएसबीसी के चीफ इकोनॉमिस्ट (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत के लिए ओवरऑल पीएमआई में अगस्त में मजबूत वृद्धि रही जो सर्विस सेक्टर में त्वरित व्यावसायिक गतिविधि से प्रेरित है. इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार हुआ. यह वृद्धि मुख्य रूप से नए ठेकों खासकर घरेलू ठेकों में वृद्धि से प्रेरित रही. कीमतों की बात करें तो कच्चे माल की लागत में छह महीने में सबसे कम वृद्धि हुई, विनिर्माण तथा सेवा दोनों क्षेत्रों में भी यही रुख देखने को मिला. इससे अगस्त में आउटपुट मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई.
रोजगार का स्तर मजबूत
सर्वे में कहा गया कि भारत की सर्विस इकोनॉमी में शुल्क मुद्रास्फीति की समग्र दर मध्यम रही. जुलाई में देखी गई वृद्धि की तुलना में भी यह वृद्धि धीमी रही. वहीं रोजगार का स्तर मजबूत बना रहा, हालांकि जुलाई की तुलना में नियुक्ति की गति मामूली धीमी रही. इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई की तरह ही अगस्त में भी 60.7 रहा.
अगस्त के सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए दाम जुलाई की तुलना में कम बढ़े. विनिर्माण कंपनियों तथा उनकी सेवा समकक्षों दोनों ने अगस्त में लागत दबाव में कमी देखी. सर्वेक्षण में कहा गया कि मुद्रास्फीति की कुल दर छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है.