भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है ब्रुनेई, होता है इतना कारोबार

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही पूर्वी देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है. इसमें चाहें फिलीपींस हों या इंडोनेशिया या वियतनाम. मोदी सरकार ने बाकायदा ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ बनाकर आसियान और पूर्वी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया है. इसी क्रम में मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ब्रुनेई पहुंच रहे हैं, जिसके साथ भारत के संबंध उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए काफी अहम हैं.
पीएम मोदी राजधानी बंदर सेरी बेगवान पहुंचकर ब्रुनेई के सुल्तान और अपने समकक्ष हसनल बोल्किया से मुलाकात करेंगे. ब्रुनेई के सुल्तान की एक पहचान दुनिया में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासक की भी है. इस दौरान कई व्यापारिक और रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.
भारत और ब्रुनेई का व्यापार
भारत और ब्रूनेई के बीच अभी जो व्यापार होता है, वह ब्रुनेई के पक्ष में ज्यादा है. इसकी वजह ये है कि भारत का ब्रूनेई से इंपोर्ट, उसे किए जाने वाले एक्सपोर्ट के मुकाबले ज्यादा है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता भारत और ब्रूनेई के बीच व्यापार संतुलन को स्थापित करने पर भी होगी.
ब्रुनेई से भारत मुख्य तौर पर क्रूड ऑयल और एलएनजी का आयात करता है. लेकिन बीते कुछ सालों में इसमें लगातार कमी आई है. जैसे 2021 में ब्रुनेई ने भारत को 47.4 करोड़ डॉलर का एक्सपोर्ट किया था, जबकि भारत से आयात महज 4.8 करोड़ डॉलर का. इस तरह दोनों के बीच का ट्रेड 52.2 करोड़ डॉलर रहा.
इसके अगले साल 2022 में ब्रुनेई का एक्सपोर्ट घटकर 31.4 करोड़ डॉलर रह गया, जबकि भारत से उसका इंपोर्ट बढ़कर 6.8 करोड़ डॉलर हो गया. इसी तरह 2030 में भारत का ब्रुनेई को एक्सपोर्ट 6.7 करोड़ डॉलर रहा, जबकि ब्रुनेई से इंपोर्ट घटकर 12.8 करोड़ डॉलर पर आ गया.
भारत के क्रूड ऑयल व्यापार में रूसी तेल की बढ़ोतरी होने से अब उसका ब्रुनेई से व्यापार कम हुआ है. जबकि भारत ब्रुनेई को मुख्य तौर पर ऑटोमोबाइल, ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट, चावल और मसालों का निर्यात करता है.
ब्रुनेई की भी भारत में दिलचस्पी
पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान भारत और ब्रुनेई अपने सैन्य, रक्षा, अंतरिक्ष और अन्य तकनीकी सहयोग को बढ़ाने पर भी ध्यान देनें. दोनों देशों के बीच उपग्रह ट्रैकिंग पर 2018 के सहयोग समझौते को आगे बढ़ाने पर विचार हो सकता है और इसके लिए अंतरिक्ष सहयोग पर समझौते के एमओयू पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.
ब्रुनेई भी भारत में अपने एलएनजी कंजप्शन को बढ़ाना चाहता है. इसलिए भी भारत और ब्रुनेई रक्षा सहयोग के शुरुआती कदमों पर चर्चा शुरू कर रहे हैं. इसकी शुरुआत एक संयुक्त कार्य समूह के गठन से हो सकती है. भारत को अपने अंतरिक्ष ऑपरेशन और उपग्रह संचालन में मदद के लिए एक ग्राउंड स्टेशन बनाना है, जिसकी ब्रूनेई में स्थापना करने की अनुमति दी गई है. बदले में भारत-ब्रुनेई को उसके अंतरिक्ष अनुसंधान और वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण में सहायता करता है.
हाल में ब्रुनेई के कुछ व्यापारियों ने स्वास्थ्य और आईटी सेवा क्षेत्रों में भारत में व्यापार मेलों में भाग लिया है. सबसे हालिया भागीदारी ब्रुनेई नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव की थी. उन्होंने फरवरी 2019 में चौथे आसियान-भारत एक्सपो और शिखर सम्मेलन 2019 में भाग लेने के लिए नई दिल्ली का दौरा किया था. ब्रुनेई व्यापार मेलों में भारतीय भागीदारी छिटपुट रही है. कपड़ा और हस्तशिल्प क्षेत्र के भारतीय व्यापारियों ने दिसंबर 2019 में ब्रुनेई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एक्सपो में भाग लिया.
सिंगापुर भी जाएंगे पीएम मोदी
अपनी इस यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी सिंगापुर भी जाएंगे. सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. आसियान देशों में ये भारत के लिए सबसे अहम है. सिंगापुर भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत भी है. साल 2000 से अब तक 160 अरब डॉलर और साल 2023 में ही 11.77 अरब डॉलर का एफडीआई सिंगापुर से आया है.

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