भारत की जासूसी कर रहा पाकिस्तान? सीमा पर रूसी UAV का इस्तेमाल…दुनियाभर में बढ़ी इस सुपरकैम ड्रोन की मांग
क्या पाकिस्तान भारत से सटी सीमा पर नए हाईटेक ड्रोन का इस्तेमाल करके जासूसी कर रहा है? क्या रूस ने गुपचुप तरीके से पाकिस्तान को सुपरकैम S350 ड्रोन बेचे हैं? ड्रोन बनाने वाली रूसी कंपनी ने खुद इसका खुलासा किया है. खबर ये भी है कि रूस ने कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की थी.
सुपरकैम ड्रोन के डेवलपर अनमैन्ड सिस्टम्स ग्रुप ने यह घोषणा आर्मी-2024 इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्निकल फोरम के दौरान की है. यह कार्यक्रम 12 से 14 अगस्त तक मॉस्को में पैट्रियट कन्वेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर में आयोजित किया जा रहा है. पाकिस्तान को इस हाईटेक ड्रोन की सप्लाई को लेकर ड्रोन बनाने वाली कंपनी के दावे के बाद रूस की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं. कंपनी के बयान में कहा गया है कि वो बेलारूस और पाकिस्तान समेत कई देशों को अपने सुपरकैम वाले उन्नत मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) का निर्यात कर रही है.
ड्रोन बनाने वाली कंपनी अनमैन्ड सिस्टम्स ग्रुप ने कहा है कि सुपरकैम ड्रोन की न सिर्फ रूस में बल्कि बेलारूस, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे पूर्व सोवियत संघ के देशों में भी काफी मांग है. खास तौर से, सुपरकैम S150 को बेलारूस के सशस्त्र बलों को सप्लाई किया गया है, जहां यह विभिन्न अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ड्रोन का इस्तेमाल कमांड और स्टाफ की ट्रेनिंग, सीमा सुरक्षा और अन्य सैन्य गतिविधियों में किया जाता है, जो इसकी बहुमुखी प्रतिभा और प्रभावशीलता को दर्शाता है.
मैपिंग और निगरानी से लेकर खोज अभियान तक में सक्षम ड्रोन
सुपरकैम S150 को एक बहुउद्देशीय प्लेटफ़ॉर्म के रूप में डिज़ाइन किया गया है जिसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी कार्यक्षमताओं में मैपिंग, गश्त, निगरानी, खोज अभियान और बड़े इलाकों का सर्वेक्षण करना शामिल है. यह ड्रोन उन्नत ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, कंप्यूटर विज़न क्षमताएं और ऑटोमैटिक ट्रैकिंग और टार्गेटिंग तंत्र से लैस है. यह विशेष रूप से अपनी उच्च-सटीक हवाई फोटोग्राफी के लिए जाना जाता है, जो कि जियोडेटिक-क्लास GNSS रिसीवर स्थापित करने के विकल्प द्वारा सुगम है, जो इसे दिन के किसी भी समय विस्तृत टोही और निगरानी के लिए उपयुक्त बनाता है.
कई देशों में बढ़ी सुपरकैम ड्रोन की मांग
रूस और पूर्व सोवियत संघ के देशों से परे, इस ड्रोन के सुपरकैम ने कई अन्य देशों तक भी अपनी पहुंच बढ़ाई है. कंपनी ने खुलासा किया कि पाकिस्तान, नाइजीरिया और अंगोला उन देशों में से हैं जिन्होंने इन ड्रोन में रुचि व्यक्त की है. उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिससे कंपनी घरेलू और विदेश दोनों जगहों पर सीरियल डिलीवरी को बढ़ावा दे सकती है.
कंपनी ने कहा कि पिछले तीन सालों में ड्रोन के उत्पादन की मात्रा में दस गुना बढ़ोतरी हुई है और वो अपने निर्यात परिचालन को और बढ़ाने के लिए तैयार है. हालांकि इन देशों को आपूर्ति किए जाने वाले वेरिएंट के बारे में खास विवरण का खुलासा नहीं किया गया था, लेकिन पहले यह बताया गया था कि पाकिस्तान ने रूस से सुपरकैम एस-250 मिनी यूएवी की एक खास संख्या हासिल की है.
LoC पर भारत की जासूसी कर रहा पाकिस्तान?
ड्रोन के इस वेरिएंट का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमाओं के पास खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है. सुपरकैम एस-250 को इसकी सामरिक और तकनीकी श्रेष्ठता के लिए जाना जाता है. यह चुनौतीपूर्ण मौसम में भी तीन घंटे तक उड़ान भर सकता है और उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो निगरानी प्रदान करता है. जिससे सुरक्षा, मैपिंग और गैरकानूनी गतिविधियों का पता लगाने समेत कई मामलों में इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है. अमेरिकी सरकार की वेबसाइट ने सुपरकैम एस-250 को अपनी श्रेणी में शीर्ष यूएवी में से एक के तौर पर हाइलाइट किया है, जो कई अलग अलग तरह के कामों में इसकी विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को रेखांकित करता है.
यूक्रेन युद्ध में सुपरकैम ड्रोन
रूस ने यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में सुपरकैम ड्रोन की तैनाती में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की है. बीती 30 जुलाई को, रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेज़ोव ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सुपरकैम यूएवी तकनीक में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी. चेमेज़ोव ने बताया कि सुपरकैम ड्रोन अब टोही और कामिकेज़ दोनों संस्करणों में मौजूद है. इन ड्रोन का उत्पादन तेज़ी से हुआ है, सिर्फ़ पांच महीनों में 30 हज़ार वर्ग मीटर में फैली एक नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की गई है.
सुपरकैम ड्रोन युद्ध के मैदान में अपना महत्व साबित कर रहे हैं, खासकर जब हॉवित्जर के साथ मिलकर इसे इस्तेमाल किया जाता है. यूक्रेन युद्ध में, रूसी ऑपरेटर यूक्रेनी फायरिंग पोज़िशन और फ़ील्ड डिपो का प्रभावी ढंग से पता लगा सकते हैं और उन्हें बेअसर कर सकते हैं.
रूस के मिलिट्री ऑपरेशनों का खिलाड़ी
2023 की शुरुआत से, सुपरकैम S350 रूस के मिलिट्री ऑपरेशनों में एक प्रमुख खिलाड़ी रहा है. अपने बड़े आकार के कारण, सुपरकैम S350 का 3.5 मीटर (11.5 फीट) का पंख फैलाव है, जो ओरलान-10 से काफी बड़ा है, जिसका पंख फैलाव सिर्फ़ एक मीटर (3.3 फीट) से थोड़ा ज़्यादा है. अपने बड़े आयामों के बावजूद, सुपरकैम S350 छोटे यूएवी के बराबर रेंज और उड़ान अवधि बनाए रखता है. साल 2023 के अंत तक, यह अनुमान लगाया गया था कि यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा नियोजित ड्रोनों में से 15-20% सुपरकैम S350 थे. ये ड्रोन एडवांस कैमरों, वीडियो उपकरणों और थर्मल इमेजर्स से लैस हैं जो इन्हें किसी इलाके के ज़्यादा सटीक 3D मॉडल और फोटोमैप बनाने में सक्षम बनाते हैं.
ओलंपिक फोटोग्राफरों की तुलना में तेज़ी से तस्वीरें खींचता है नई पीढ़ी का सुपरकैम ड्रोन
इस बीच, आर्मी-2024 इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्निकल फ़ोरम में, रूस ने नई पीढ़ी के सुपरकैम S350M को लॉन्च किया, जो यूक्रेनी सेना की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया इस ड्रोन का एक एडवांस संस्करण है. रूस ने दावा किया है कि सुपरकैम S350M ओलंपिक फोटोग्राफरों की तुलना में काफी तेज़ी से तस्वीरें खींच सकता है और उन्हें प्रसारित भी कर सकता है. ड्रोन के डेवलपर्स के मुताबिक, सुपरकैम S350M का एडवांस पेलोड इसे हाई-क्वालिटी के फ़ोटो खींचने और उन्हें ऑटोमैटिक एडिशन के लिए कंट्रोल रूम में भेजने में सक्षम बनाता है, जिसमें मशीन विज़न और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम का इस्तेमाल भी शामिल है.
हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली फोटो को प्रसारित करने, उन्हें ऑटोमैटिक रूप से प्रोसेस करने और लक्ष्य निर्धारित करने की यह प्रक्रिया समाचार एजेंसी के फ़ोटोग्राफ़रों द्वारा ओलंपिक से तस्वीरें भेजने में लगने वाले समय से काफ़ी तेज़ी से पूरी होती है, जिसमें आमतौर पर 1 से 1.5 मिनट लगते हैं और रिकॉर्ड समय 45 सेकंड का होता है. डेवलपर ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सुपरकैम मानव रहित हवाई वाहनों की नई पीढ़ी ने ऑपरेटरों के लिए सुविधा और सुरक्षा को बढ़ाया है. फोरम ने सुपरकैम एस350 के VToL (वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग) संशोधन को भी प्रदर्शित किया, जिसे सुपरकैम एसएक्स350 टिल्ट्रोटर के रूप में जाना जाता है. इस वैरिएंट की ऑटोमैटिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग क्षमताएं इसे पहाड़ों और जंगलों जैसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में तैनाती के लिए भी उपयुक्त बनाती हैं.