भारत की वजह से आज इजराइल के पास है ये शहर, जिससे चलती है उसकी इकोनॉमी

ईरान के ताजा हमले से प्रभावित इजराइल आज की तारीख में कई मोर्चों पर लड़ रहा है. लेकिन एक लड़ाई इजराइल के इतिहास में ऐसी भी रही है, जहां भारत की मदद से उसे एक ऐसा शहर मिला जो आज उसकी इकोनॉमी को चलाने में मददगार है. इस एक शहर की वजह से वह वर्ल्ड ट्रेड में अहम भूमिका निभाता है और आने वाले समय में एक बड़े इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा भी बनने जा रहा है.
इजराइल का ये शहर है हाइफा, जो आज की तारीख में एक पोर्ट सिटी है. आने वाले समय में ये ‘भारत-पश्चिमी एशिया (मिडिल ईस्ट)-यूरोप आर्थिक गलियारे’ (IMEC) का अहम पड़ाव होगा. इस गलियारे की प्लानिंग भारत में हुई जी20 की बैठक में की गई थी. वहीं भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी भी हाइफा के मुख्य पोर्ट में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर रहे हैं.
भारत की मदद से मिला हाइफा
हाइफा इजराइल में तेलअवीव और यरुशलम के बाद तीसरा सबसे बड़ा शहर है. यूरोप और एशिया के बीच होने वाले व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस शहर के पोर्ट से होकर गुजरता है. इजराइल के इसी शहर को भारतीय सैनिकों की मदद से आजाद कराया गया था. कहानी प्रथम विश्व युद्ध (First World War) के दौरान की है. उस समय भारत ब्रिटिश राज के तहत आता था. इसलिए युद्ध की स्थिति में भारतीय सैनिक ब्रिटिश राज की सेना के साथ मिलकर लड़ते थे.
हाइफा की आजादी भी फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान ही हुई. उस समय 23 सितंबर 1918 को ‘बैटल ऑफ हाइफा’ का परिणाम आया. हाइफा शहर पर से ऑटोमन साम्राज्य का अंत हो गया. उस समय तो वहां ब्रिटिश झंडा फहराया गया, लेकिन बाद में इजराइल के हिस्से ये शहर आया. इजराइल और भारत दोनों ने ही अपने इतिहास में ‘बैटल ऑफ हाइफा’ को इज्जत बख्शी और भारतीय सैनिकों के इतिहास को किताबों में दर्ज कर लिया गया.
दरअसल हाइफा को आजाद कराने के लिए सैनिकों की जो टुकड़ी वहां भेजी गई थी, उसका नाम 15th (इंपीरियल सर्विस) कैवेलरी ब्रिगेड था. इस तरह की ब्रिगेड में उस समय की रियासतों के सैनिक शामिल होते थे. हाइफा को आजाद कराने वाली ब्रिगेड में सबसे ज्यादा सैनिक जोधपुर, हैदराबाद, पटियाला और मैसूर के थे.जबकि कुछ सैनिक कश्मीर और काठियावाड़ के भी थे.
हाइफा की इकोनॉमी का हिसाब-किताब
हाइफा सिर्फ इजराइल का ही नहीं बल्कि भूमध्य सागर क्षेत्र का एक बड़ा पोर्ट है. हाइफा पोर्ट की सालाना कैपेसिटी 3 करोड़ टन मालढुलाई की है. इजराइल से कारगो का जितना मूवमेंट होता है, उसका 3 प्रतिशत अकेला हाइफा पोर्ट संभालता है. ये पोर्ट इजराइल को ना सिर्फ वर्ल्ड ट्रेड ट्रांजिट के रूप में मदद करता है, बल्कि अपने मिलिट्री उत्पादों को एक्सपोर्ट करने में भी उसे सहायता देता है.
इसके अलावा हाइफा शहर इजराइल के कंप्यूटर एंड इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का भी एक बड़ा गढ़ है. हाइफा शहर की इकोनॉमी में इस इंडस्ट्री का योगदान भी 11 प्रतिशत से अधिक है.

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