भारत की विरासत केवल इतिहास नहीं विज्ञान भी… विश्व धरोहर समिति सत्र के उद्घाटन में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया. पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व मना रहा है. मैं आप सभी को और देशवासियों को अध्यात्म और ज्ञान के इस पर्व की बधाई देता हूं. ऐसे अहम दिन इस सत्र की शुरुआत हो रही है और भारत में इसका आयोजन पहली बार हो रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि बीते सालों में हम भारत की 350 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों को वापस लाए हैं. प्राचीन धरोहरों का वापस आना वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान के भाव को दिखाता है. दुनिया के कोने-कोने से आए विशेषज्ञों का इसमें शामिल होने इस समिट की समृद्धि को दर्शाता है. ये आयोजन भारत की उस धरती पर हो रहा है जो विश्व की प्राचीनतम जीवंत सभ्यताओं में से एक है. भारत इतना प्राचीन है कि यहां वर्तमान का हर बिंदु किसी न किसी गौरवशाली अतीत की गाथा कहता है.
‘भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है’
पीएम ने आगे कहा अब दिल्ली का उदाहरण ले लीजिए. दुनिया दिल्ली को भारत की राजधानी के रूप में जानती है, लेकिन ये शहर हजारों साल पुरानी विरासतों का केंद्र भी हैं. यहां आपको कदम-कदम पर ऐतिहासिक विरासतों के दर्शन होंगे. यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर कई टन का एक स्तंभ है जो कि 2000 सालों से खुले में खड़ा है. फिर भी आज तक रस्ट रेजिस्टेंट है. इससे स्पष्ट है कि भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है, भारत की विरासत एक विज्ञान भी है. भारत के विरासत में टॉप नोज इंजीनियरिंक के एक गौरवशाली यात्रा के दर्शन होते हैं.
केदारनाथ मंदिर का जिक्र
सत्र में पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि आज भी वो जगह भौगोलिक रूप से इतनी दुर्गम है कि लोगों को कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर या हेलीकॉप्टर से जाना पड़ता है. वो स्थान आज भी किसी कंस्ट्रक्शन के लिए बहुत चैलेंजिंग है. बहुत ज्यादा बर्फबारी की वजह से वहां काम होना असंभव है, लेकिन ये जानना जरूरी है कि केदार घाटी में मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था. उसकी इंजीनियरिंग में वातावरण का ध्यान रखा गया है. वो मंदिर आज तक अटल है.
व्यापक है भारत का इतिहास: PM
मैं जिस गुजरात राज्य से आता हूं वहां धोलावीरा और लोथल जैसे स्थान हैं. धोलावीरा में सदियों पहले जिस तरह की अर्बन प्लानिंग और व्यवस्थाएं थी वो आज भी एक्सपर्ट को हैरान करते हैं. भारत का इतिहास और सभ्यता प्राचीन और व्यापक हैं. इसलिए जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं हमें अतीत को देखने के लिए नए दृष्टिकोण विकसित करने पड़ रहे हैं.
अवधारणाओं से मुक्त नई सोच की जरूरत
वर्ल्ड एक्सपर्ट को यूपी के सिनौली में मिले सबूतों के बारे में जरूर जानना चाहिए. सिनौली की वाइंडिंग कॉपर एज की है, लेकिन ये इंडस वैली सिविलाइजेशन की जगह वैदिक सिविलाइजेशन से मेल खाती है. वहां, एक 4 हजार साल पुराना रथ मिला है. ये नए तथ्य बताते हैं कि भारत को जानने के लिए अवधारणाओं से मुक्त नई सोच की जरूरत है. नए तथ्यों में, उसके आलोक में इतिहास की जो नई समझ विकसित हो रही है आप उसका हिस्सा बनें. हेरिटेज केवल हिस्ट्री ही नहीं हैं बल्कि एक साझी चेतना है. हमें हेरिटेज के इस पोटेंशियल को विश्व की बेहतरी के लिए प्रयोग करना है.

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