भारत-बांग्लादेश सीमा पर मुठभेड़ में जवान शहीद, 4 महीने बाद होने वाले थे रिटायर, परिवार के पास लौटने का था सपना
भारत-बांग्लादेश सीमा पर आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक बीएसएफ जवान शहीद हो गए. त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा पर सोमवार को जवान को मुठभेड़ में गोली लगी, जिसके बाद उन्हें फौरन अगरतला के गोविंद वल्लभ पंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही जवान की मृत्यु हो गई थी.
जवान की पहचान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सीनियर पुलिस ऑफिसर बी अरुण दिलीप के रूप में हुई, जिनकी उम्र 42 साल बताई जा रही है, ऑफिसर दिलीप महाराष्ट्र के जलगांव के रहने वाले थे. जवान को कमालपुर सब-डिवीजन में अमताली बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) के पास गोली मार दी गई.
परिवार में शोक की लहर
एक जवान बहुत हिम्मत के साथ अपने देश की रक्षा करने के लिए सीमा पर तैनात रहता है, लेकिन साथ ही वो हिम्मत, वो देश प्रेम एक मां, एक पत्नी और जवान का पूरा परिवार भी दिखाता है, जो हर पल देश की सुरक्षा के साथ-साथ अपने बेटे की सुरक्षा की भी दुआ करता रहता है. मगर जैसे ही उनको अपने बेटे की शहादत की खबर मिलती है, उनके लिए वो समय कितना मुश्किल होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. एक पल शोक की लहर दौड़ती होगी और कुछ पल के बाद अपने जवान बेटे पर गर्व होता होगा.
ऑफिसर बी अरुण दिलीप के परिवार ने जैसे ही उनकी शहादत की खबर सुनी परिवार में शौक की लहर दौड़ गई. शहीद जवान के परिवार में पत्नी, एक बेटी, दो बेटे और बुजुर्ग माता-पिता समेत दो-भाई हैं.
परिवार के पास लौटने का था सपना
शहीद अरुण 22 साल की उम्र से बीएसएफ की 105 बटालियन (सीटी/जीडी) में अपनी सेवाएं दे रहे थे. नियमों के मुताबिक बीस साल के अनुबंध के तहत उनकी सेवा महज चार महीने बाद खत्म होनी थी और वह राष्ट्रीय सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले थे, जिसके बाद वो बहुत जल्द अपने परिवार के पास लौटने वाले थे, लेकिन परिवार के पास वापस लौटने का उनका सपना अधूरा रह गया, शायद किस्मत को उनके नाम के आगे रिटायर नहीं शहीद लिखना मंजूर था.
शहीद जवान अरुण का पार्थिव शरीर अगरतला से बंगोरुलु होते हुए रात को मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचेगा, इसके बाद अगली सुबह 9 बजे तक बीएसएफ की गाड़ी जलगांव जिले के चोपड़ा स्थित उनके आवास पर पहुंचेगी. इसके बाद उनके परिवार ने जानकारी दी कि उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ रामपुरा श्मशान घाट में किया जाएगा.