भारत में सबसे खतरनाक बना ये वायरस, अबतक 80 से ज्यादा मौतें, WHO ने किया अलर्ट

भारत में इस बार बीते 20 सालों में चांदीपुरा वायरस के सबसे ज्यादा केस आए हैं. WHO के मुताबिक, जून की शुरुआत से 15 अगस्त के बीच, भारत में इस वायरस के कुल 245 मामले दर्ज किए, जिनमें 82 मौतें भी शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है भारत में पहले भी इस वायरस के मामले आते रहे हैं, लेकिन इस साल बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा केस रिपोर्ट किए गए हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की इस साल चांदीपुरा का संक्रमण बड़े स्तर पर हुआ है.
चांदीपुरा वायरस को सीएचपीवी कहते हैं. यह वायरस भारत के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में, खासकर मानसून के मौसम में इसके कुछ केस आते रहते हैं. इस साल इस इसके केस सबसे पहले गुजरात में आए थे. इसके बाद अन्य राज्यों में भी मामले दर्ज किए गए थे. चांदीपुरा वायरस संक्रमित मक्खी और मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है. बच्चों में इसके केस ज्यादा रिपोर्ट किए जाते हैं. इसका कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है. केवल लक्षणों के आधार पर ही मरीज का ट्रीटमेंट किया जाता है.
कोरोना से ज्यादा है डेथ रेट
चांदीपुरा वायरस का डेथ रेट कोरोना की तुलना में कई गुना ज्यादा है. कोरोना में डेथ रेट 2 फीसदी था. यानी 100 संक्रमितें में से 2 मरीजों की मौत का रिस्क होता था. लेकिन चांदीपुरा में यह आंकड़ा 50 से 75 फीसदी तक है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में जो 245 केस आए थे. उनमें से 82 लोगों की मौत हो गई थी. चांदीपुरा वायरस के ज्यादा केस बच्चों में आते हैं. इससे संक्रमित होने के बाद यह दिमाग पर असर करता है और दिमागी बुखार का कारण बनता है. संक्रमित होने के 48 से 72 घंटे के बीच अगर इलाज न मिले तो मौत हो सकती है. इस वायरस से होने वाली अधिकतर मौतों का कारण दिमागी बुखार ही होता है.
WHO ने किया अलर्ट
WHO ने कहा है कि 19 जुलाई के बाद से चांदीपुरा वायरस के मामलों में कमी आ रही है, लेकिन इसको लेकर अलर्ट रहने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि बारिश के बाद मच्छरों और मक्खियों से संबंधित बीमारी बढ़ने का रिस्क रहता है. चूंकि ये वायरस इनसे ही फैलता है ऐसे में अलर्ट रहकर बचाव पर ध्यान देने की जरूरत है. संक्रमितों के सैंपल की समय पर जांच और रिपोर्ट आनी चाहिए. इससे मरीज को निर्धारित समय में इलाज मिल सकता है. बीमारी की ठीक टाइम पर पहचान होगी तो वायरस से हो रही मौतों के आंकड़े को कम किया जा सकता है.

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