भारत में हो अगला शिखर सम्मेलन… जेलेंस्की ने पीएम मोदी के सामने रखा प्रस्ताव

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान भारत में दूसरा शांति सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है. जेलेंस्की ने कहा कि वह मानते हैं कि दूसरा शांति सम्मेलन होना चाहिए और ये दक्षिण के देशों में से किसी एक में आयोजित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब, कतर, तुर्की और स्विट्जरलैंड के साथ इस पर बातचीत चल रही है.
भारत में सम्मेलन करने पर जेलेंस्की ने कहा, “मैंने पीएम मोदी से कहा कि हम ग्लोबल पीस सम्मेलन को भारत में कर सकते हैं. ये एक बड़ा देश है, साथ ही सबसे बड़ा लोकतंत्र.” वहीं, पीएम मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन की यात्रा के दौरान जेलेंस्की को बताया कि यूक्रेन और रूस को तुरंत, बिना समय गंवाए युद्ध खत्म करने के लिए बैठक करनी चाहिए. भारत क्षेत्र में शांति बहाल करने में भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
युद्ध में शांति का संदेश लेकर पहुंचे थे पीएम मोदी
पीएम मोदी की लगभग नौ घंटे की यूक्रेन यात्रा, 1991 में स्वतंत्रता के बाद से किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी. यह उनके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ छह हफ्ते पहले हुई शिखर वार्ता के बाद हुई थी. हालांकि, पीएम मोदी की इस मुलाकात के बाद पश्चिमी देशों में आक्रोश पैदा हुआ था.
पीएम मोदी ने जेलेंस्की से मुलाकात के बाद कहा था, “भारत शांति का संदेश लेकर आया है. मैं आपको और पूरे वैश्विक समुदाय को आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने प्रतिबद्ध है और यह हमारे लिए सर्वोच्च महत्व का है”.
नवंबर में शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव
जेलेंस्की ने कहा कि भारत यूक्रेन की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है और ये “महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया में हर किसी को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का समान रूप से सम्मान करना चाहिए”. यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए भारत में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक पैरवी के रूप में देखा जा रहा है. जून में हुए पहले सम्मेलन में दक्षिण के देशों से समर्थन जुटाने की कोशिश की गई थी.
हालांकि, भारत ने इस पहल पर संदेह व्यक्त किया है क्योंकि इसमें रूस को शामिल नहीं किया गया है. मोदी सरकार ने साफ किया है कि समाधान केवल दोनों पक्षों के बीच संवाद के माध्यम से ही निकाला जा सकता है.

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