भैया ये सीरी फोर्ट का रास्ता है ना…अम्मा जी, शिव मंदिर जाने के लिए कौन सा मोड़ पड़ेगा?

कहीं आते-जाते वक्त ऐसे सवाल अब कम ही देखने सुनने को मिलते हैं. याद है ना आपको, पहले लोग ऐसे ही सवाल करते-करते अपनी मंजिल तक पहुंच जाते थे. कभी नुक्कड़ पर पान की दुकान वाला बाएं-दाएं बताते हुए रास्ता बता देता था तो कभी खेत किनारे जानवर चराते लोग गांव का रास्ता बड़े आसान शब्दों में बता देते थे. कई-कई किलोमीटर का सफर लोग ऐसे ही तय कर लेते थे लेकिन फिर आया गूगल मैप का जमाना. जब जहां जाना हो गाड़ी उठाई, मैप सेट किया और निकल गए, बार-बार गाड़ी रोककर किसी से रास्ता पूछने की जरूरत ही नहीं रह गई क्योंकि इंटरनेट वाले मैप रास्ते के साथ-साथ दूरी भी बताते हैं. कब पहुंचेंगे, ये भी बताते हैं. साथ ही ये भी बताते हैं कि कहां ट्रैफिक जाम है और कहां से आप दूसरा रास्ता लेकर जल्दी पहुंच जाएंगे यानी किसी से रास्ता पूछने के झंझट से मुक्ति मिल गई. गूगल मैप के ज़रिए से केवल हाईवे और बड़े शहरों के रास्ते ही नहीं बल्कि पहाड़ों और गांवों के रास्ते की ओर जाना भी आसान हो गया.

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