मंत्री हटाओ, बोर्ड बनाओ…चुनाव बाद खतरे में क्यों पड़ गई है पुडुचेरी में एनडीए की सरकार?

लोकसभा चुनाव के बाद जहां बीजेपी हार की समीक्षा करने में जुटी है, वहीं केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में विधायकों की बगावत ने पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है. पुडुचेरी में 7 बीजेपी और निर्दलीय विधायकों ने रंगास्वामी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नाराज विधायकों का नेतृत्व कालापेट से विधायक पीएम कल्याणसुंदरम और नेलिथोप से विधायक जॉनकुमार कर रहे हैं.
नाराज विधायकों ने राज्यपाल से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक अपनी बात पहुंचा दी है. इन विधायकों का कहना है कि जल्द समाधान नहीं निकलता है तो आने वाले वक्त में सरकार और पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
पुडुचेरी में विधायक नाराज क्यों हैं, 3 वजहें
1. कैबिनेट में जगह देने की मांग
पुडुचेरी में मुख्यमंत्री समेत 6 मंत्री बनाए जा सकते हैं. वर्तमान में एआईएनआर कांग्रेस कोटे से 4 और बीजेपी कोटे से 2 मंत्री सरकार में शामिल हैं. बीजेपी कोटे से ए नमस्सिवायम गृह और एके साई श्रवण कुमार शहरी विकास मंत्री हैं.
बवाल गृहमंत्री ए नमस्सिवायम को लेकर है. नाराज विधायकों का कहना है कि हालिया लोकसभा चुनाव में नमस्सिवायम पुडुचेरी लोकसभा सीट से मैदान में उतरे थे, लेकिन 1.36 लाख वोट से हार गए. ऐसे में उन्हें कैबिनेट में बने रहने का कोई हक नहीं है.
इन विधायकों का कहना है कि दोनों मंत्रियों को हटाकर किसी 2 नए चेहरे को सरकार में शामिल किया जाए, जिससे सत्ता का रोटेशन बना रहेगा. विधायकों का तर्क है कि सबसे बड़ी पार्टी एनआर कांग्रेस ने हाल ही में रोटेशन फॉर्मूले के तहत सी प्रियंगा को हटाकर पीआर थिरुमुरगन को कैबिनेट में शामिल किया था.
2. भ्रष्टाचार का आरोप भी वजह
नाराज विधायक सरकार के भीतर के भ्रष्टाचार का मामला भी उठा रहे हैं. इन विधायकों का कहना है कि हाईकमान ने अगर अभी इस पर फैसला नहीं किया, तो 2026 के चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
स्थानीय अंग्रेजी अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए निर्दलीय बगावत में शामिल निर्दलीय विधायक पी आंगलन के मुताबिक सरकार के दो मंत्रियों पर स्कूलों, कॉलेजों और धार्मिक संस्थानों के पास रेस्टो-बार खोलने में कमीशन लेने, कचरा संग्रहण में कथित भ्रष्टाचार और भर्ती में रिश्वत लेने का आरोप है. अगर समय रहते इनसे नहीं निपटा गया तो चुनाव में हार हो जाएगी.
पुडुचेरी में साल 2021 के विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा था, जिसकी बदौलत एनडीए सत्ता में वापसी कर पाई. उस वक्त बीजेपी ने प्रदेश से भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा किया था.
3. बोर्ड-निगम में भर्ती का मामला
2021 में जब पुडुचेरी में सरकार आई तो एनडीए ने 6 निर्दलीय विधायकों से भी समर्थन मांगा. बदले में इन विधायकों से बोर्ड और निगम में एडजस्ट करने का वादा किया गया. 3 साल बीत जाने के बाद भी अब तक बोर्ड-निगम का गठन नहीं हुआ है. विधायकों का विद्रोह इस कारण भी है.
पुडुचेरी सरकार के अधीन 12 बोर्ड-निगम हैं. इसके अध्यक्ष को मंत्री पद का दर्जा मिलता है. कुछ बोर्ड-निगम में उपाध्यक्ष बनाने की भी व्यवस्था है. नाराज विधायकों का कहना है कि कम से कम 20 लोग इसमें एडजस्ट हो सकते हैं, लेकिन सरकार के रवैए की वजह से यह रुका हुआ है.
पुडुचेरी में विधानसभा का समीकरण
केंद्रशासित पुडुचेरी में विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं, जिसमें सरकार बनाने के लिए कम से कम 16 सीटों की जरूरत होती है. विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस है, जिसके पास कुल 10 विधायक हैं. यहां पर बीजेपी के पास 6 सीटें हैं.
विपक्ष में डीएमके और कांग्रेस गठबंधन है. इनमें डीएमके पास 6 और कांग्रेस के पास 2 सीटें हैं. विधानसभा में 6 निर्दलीय विधायक भी हैं. इन संख्या के अलावा पुडुचेरी विधानसभा में नामित करने की भी पंरपरा है. इसके तहत विधानसभा में 3 विधायक नामित किए गए हैं.
मौजूदा आंकड़ों में अगर बड़ा उलटफेर हो, तभी यहां पर एनडीए सरकार को खतरा हो सकता है. क्योंकि कांग्रेस और डीएमके बहुमत से 8 कदम दूर है.

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