मदद, वोटबैंक या कुछ और! बांग्लादेशियों पर क्यों बरसी दीदी की ‘ममता’?

बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के ऐलान के बाद से पूरा देश हिंसा की आग में जल रहा है. अब तक 133 लोग मारे जा चुके हैं. बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम के 53 साल बाद पाकिस्तान समर्थक इस्लामी मिलिशिया रजाकारों की एक ओर चर्चा फिर से शुरू हो गयी है तो इस्लामिक कट्टरपंथी ताकत जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) ने छात्र आंदोलन को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया है. आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन अब पूरी तरह से हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन बन चुका है.
भारत बांग्लादेश का पड़ोसी देश है. हजारों की संख्या में वहां भारतीय और छात्र हैं. बांग्लादेश को लेकर विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है और वापस लौटने वाले छात्र और भारतीयों को हर सुविधा मुहैया कराई जा रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर बांग्लादेश की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. भारत वापस लौटने वाले छात्र को हर संभव मदद मुहैया करा रहा है, लेकिन उन्होंने इस मामले को पूरी तरह से बांग्लादेश का आंतरिक मामला करार दिया है. भारत पूरी तरह से बांग्लादेश में हिंसा के मामले पर ‘देखो और इंतजार करो’ की नीति का अनुसरण कर रहा है.
बांग्लादेशियों को क्यों शरण देना चाहती हैं ममता?
रविवार को भारत सरकार के स्टैंड से अलग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का बड़ा बयान सामने आ गया. कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया कि यदि बांग्लादेश के असहाय लोग शरण मांगते हैं, तो उनकी सरकार पड़ोसी देश के असहाय लोगों को आश्रय देने के लिए तैयार है. संयुक्त राष्ट्र (संयुक्त राष्ट्र) का एक प्रस्ताव है कि अगर कोई मुसीबत में है तो पड़ोसी क्षेत्र मदद कर सकते हैं.
बांग्लादेश में हिंसा को केंद्र सरकार ने आतंरिक मामला करार दिया है और चुप्पी साध रखी है, ऐसे में ममता बनर्जी के बयान की राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है. संघीय शासन व्यवस्था में अंतराष्ट्रीय मामलों पर केंद्र सरकार द्वारा ही प्रायः टिप्पणी की जाती है, लेकिन इस मामले में ममता बनर्जी ने खुद आगे बढ़कर टिप्पणी की है.
ममता बनर्जी के बांग्लादेश को लेकर दिये गये बयान के बाद टीएमसी के सांसद और लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय का बयान सामने आया है. सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि ममता दीदी के बांग्लादेश की पीएम से अच्छे संबंध हैं. जरूरत पड़ने पर दोनों एक-दूसरे से बात कर सकते हैं…” लेकिन भाजपा ने ममता बनर्जी की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
ममता के बयान पर बीजेपी ने उठाए सवाल

Mamata Banerjee on
Odd days – We will not allow Hindu refugees, who came to India to escape religious persecution, to apply for citizenship under CAA and get their legitimate rights. If they insist, we will ask illegal Rohingyas, who vote for the TMC, to burn trains, block roads pic.twitter.com/cSMqrkCF4M
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 21, 2024

ममता बनर्जी के बयान पर भाजपा ने सवाल उठाया है. भाजपा नेता अमित मालवीय ने ट्वीट कर तंज कसते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने कहा कि एक ओर ममता बनर्जी कहती हैं कि हम धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आए हिंदू शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने और उनके वैध अधिकार प्राप्त करने की अनुमति नहीं देंगी. अगर वे जोर देते हैं, तो हम अवैध रोहिंग्याओं से कहेंगे, जो टीएमसी को वोट देते हैं, ट्रेनें जलाएं, सड़कें जाम करें और लोगों को मारें.

Mamata Banerjee should know that West Bengal is an inalienable part of India. Millions of revolutionaries have sacrificed their blood to secure a homeland for Hindu Bengalis. This kind of seditious language doesnt behove a sitting Chief Minister. She must not underestimate the pic.twitter.com/3aDXeCgxV7
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 21, 2024

उन्होंने कहा किऔर अब ममता बनर्जी कहती हैं कि बांग्लादेशियों का भारत में स्वागत है. उन्होंने सवाल किया कि ममता बनर्जी को भारत में किसी का भी स्वागत करने का अधिकार किसने दिया? आव्रजन और नागरिकता विशेष रूप से केंद्र के अधिकार क्षेत्र में हैं. राज्यों के पास कोई अधिकार नहीं है. यह बंगाल से झारखंड में अवैध बांग्लादेशियों को बसाने की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गठबंधन की नापाक योजना का हिस्सा है, ताकि वे चुनाव जीत सकें.
क्या वोटबैंक पॉलिटिक्स कर रही हैं ममता?
‘पश्चिम बंगालदेश’ पुस्तक के लेखक और रिप्यूजी मूवमेंट के नेता डॉ मोहित रॉय कहते हैं कि वास्तव में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को पश्चिम बांग्लादेश बनाना चाहती हैं. वो जो स्लोगन देती हैं जय बांग्ला… यह बांग्लादेश का स्लोगन है, जिसका मूल लक्ष्य पाकिस्तान से पूर्व बंग को अलग करना था. अब ममता बनर्जी बांग्लादेश के लोगों के लिए राज्य का दरवाजा खोलने की बात कर रही हैं. यह उनके अधिकार के बाहर है और बांग्लादेश एक संप्रुभु देश है और अपने देश की अंतराष्ट्रीय नीति है, जो केंद्र सरकार निर्धारित करती है.
उन्होंने कहा कि वास्तव में ममता बनर्जी बांग्लादेश के मामले को उठाकर राज्य में अपना वोटबैंक को मजबूत करना चाहती हैं. पहले लेफ्ट पार्टियां और अब ममता बनर्जी की पार्टी राज्य में बांग्लादेश से मुस्लिम घुसपैठ को समर्थन करती रही है और इस बयान के पीछे भी उनकी मुस्लिम वोटबैंक को प्रश्रय देने की भावना है.
उन्होंने कहा कि1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान 30 लाख लोगों को पाकिस्तानी सेना ने मार डाला था. उस समय काफी संख्या में बांग्लादेश से शरणार्थी भारत आये थे और भारत सरकार ने शरण भी दी थी, लेकिन उसके बाद भी भारत में बांग्लादेश से घुसपैठ जारी है और बांग्लादेशियों के साथ-साथ रोहिंग्या भी इस देश में आ रहे हैं और तृणमूल कांग्रेस की सरकार और उनके नेता उन्हें आश्रय दे रहे हैं और अब फिर बांग्लादेश के लोगों के लिए दरवाजा खोलने की बात कर ममता बनर्जी इस वोटबैंक का और भी मजबूत करना चाहती हैं.
पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश के बीच करीबी रिश्ता
वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकरमणि तिवारी कहते हैं कि पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश का बहुत ही करीबी रिश्ता है. देश विभाजन के पहले दोनों ही एक ही प्रदेश के अंग थे. बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के लोगों में एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति भी है. दोनों देश के लोगों के रिश्ते एक-दूसरे के देश में हैं. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और पश्चिम बंगाल की सीएम के रिश्ते भी काफी अच्छे हैं. ऐसे में संभव है कि ममता बनर्जी ने सौजन्यता के नाते बांग्लादेश के लोगों को आश्रय देने की बात कही हो. जहां तक बांग्लादेश से घुसपैठ की बात है. यह निरंतर जारी है और इसके लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी समान रूप से जिम्मेदार है.
क्या दूसरी इंदिरा बनना चाहती हैं ममता?
बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं कि बांग्लादेश में हिंसा को लेकर ममता बनर्जीराष्ट्रीय राजनीति में अपनी छवि को और भी मजबूत करना चाहती हैं. बांग्लादेश में हिंसा के बाद इस देश में लोगों के आने की कोई बात नहीं थी, लेकिन ममता बनर्जी ने आगे बढ़कर मदद की पेशकश कर दी है. रविवार को कोलकाता की रैली ने ममता बनर्जी के मंत्री अरुप विश्वास ने उन्हें भारत का मूक्ति सूर्य करार दिया. इससे पहले 1971 के बांग्लादेश संग्राम के दौरान कांग्रेस ने इंदिरा गांधी को एशिया का मुक्ति सूर्य बताया था. उस समय तात्कालीन पीएम स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं को पूरी तरह से समर्थन दिया था और उनकी मदद से वजह से पाकिस्तान को शिकस्त मिली थी और बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र बना था. इस बयान से साफ है कि ममता बनर्जी खुद की राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही हैं. बता दें कि ममता बनर्जी ने इसी रैली से दावा किया कि एनडीए की सरकार स्थिर नहीं है और कभी भी यह सरकार गिर सकती है.

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