मद्रास HC ने रेप के आरोपी को किया बरी, कहा- ‘प्यार और जंग के बीच कोई नियम नहीं’
मद्रास हाई कोर्ट में एक अजीब से मामले की सुनवाई हुई जिसका फैसला और भी ज्यादा अजीब था. मद्रास हाई कोर्ट ने एक रेप के आरोपी को बरी करते हुए कहा कि प्यार और जंग में सब जायज होता है. जितना कोर्ट का ये कथन अजीब है उससे भी ज्यादा अटपटा है ये मामला. यहां एक महिला ने एक आदमी पर रेप का आरोप लगाया था. उसने ये आरोप तब लगाया था जब उसका बच्चा होने वाला था.
बात है साल 2014 की जब महिला गर्भवती हुई थी. इसके बाद उसने आरोपी के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करवाया था. इसके बाद महिला ने बच्चे को जन्म दिया तो कोर्ट ने बच्चे के पालन पोषण को लेकर चिंता जताई. महिला ने अपने बयान में ये बात बताई थी कि आरोपी के साथ वह कई बार शारीरिक संबंध बना चुकी है. कोर्ट ने बच्चे के भविष्य को देखते हुए दोनों को बात करने के लिए मध्यस्थता का रास्ता बताया.
क्या था मामला?
इसके बाद साल 2017 में आरोपी ने अपनी सजा के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया. इस दौरान आरोपी की अपील लंबित रही, जिसको देखते हुए अदालत ने पहले बच्चे के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की इसी को देखते हुए कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया. लेकिन, इस मध्यस्थता का नतीजा ये हुआ कि दोनों को एक और बच्चा हो गया. इसके बाद मामला और पैचीदा हो गया. इसी मामले की सुनवाई पर मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला और आरोपी दोनों व्यस्क हैं. महिला को अच्छी तरह से पता है कि वह क्या कर रही है. कोर्ट ने कहा कि अगर महिला और आरोपी अपनी स्वतंत्र इच्छा से जीने का रास्ता चुनते हैं, तो कानूनी व्यवस्था कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकती, सिवाय इसके कि वो अपना आखिरी फैसला बता दें कि उन्हें साथ होना है या नहीं.
कोर्ट ने क्या कहा?
मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में महिला पक्ष यह साबित नहीं कर पाया है कि वास्तव में कोई अपराध हुआ था. कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हुआ है क्योंकि शिकायतकर्ता ने झूठी एफआईआर दर्ज करवाई होगी. हालांकि, यह बहुत पहले की कहानी है और कोर्ट इस मुद्दे पर दोबारा विचार करने का इरादा नहीं रखता है. महिला ने माना था कि वह कई बार आरोपी के साथ शारीरिक संबंधों में रह चुकी है और इस दौरान उसने कोई आपत्ति नहीं जताई थी. जब वह गर्भवती हो गई तब उसने रेप का मामला दर्ज करवा दिया और उसके बाद दूसरा बच्चा भी हुआ. वह जानती थी या कम से कम उसे पता होना चाहिए था कि वह क्या कर रही है. इसको देखते हुए कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए आरोपी व्यक्ति को सभी आरोपों से बरी कर दिया.