ममता सरकार की याचिका पर SC में 27 अगस्त को सुनवाई, 77 जातियों को OBC में शामिल करने का है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 77 जातियों को OBC में शामिल करने के मामले पर मंगलवार को सुनवाई से इनकार कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की याचिका पर सुनावाई के लिए 27 अगस्त को अगली तारीख तय की है. इससे पहले कोलकाता हाईकोर्ट ने ममता सरकार के फैसले पर रोक लगाई थी.
पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील सिब्बल ने कहा कि मामले की सुनवाई आज की जाए, हमें छात्रवृत्ति लंबित होने पर रोक लगाने की जरूरत है. इससे एनईईटी परीक्षाएं प्रभावित होंगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर रोक से इंकार किया था.
SC ने ममता सरकार से मांगी रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल में 77 जातियों को OBC में शामिल करने के मामले पर अपनी पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को एक नोटिस भेजा था. कोर्ट ने कहा था कि 77 जातियों को OBC लिस्ट में क्यों शामिल किया गया? राज्य सरकार इन जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की जानकारी मुहैया कराए.
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि इन जातियों को ओबीसी सूची में किस आधार पर शामिल किया गया, उसकी जानकारी दे. कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर सूची में शामिल करने से पहले उनके सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए किए गए सर्वेक्षण की जानकारी देने को कहा था. वहीं. अब 27 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होगी.
कोलकाता हाईकोर्ट ने इस फैसले पर लगाई थी रोक
कोलकाता हाईकोर्ट ने मई में ममता सरकार की ओर जारी इस फैसले पर रोक लगाई थी. साथ ही कोर्ट ने ममता सरकार की ओर से साल 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र भी रद्द कर दिए. हाईकोर्ट ने अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 तक ओबीसी के तहत मुस्लिमों समेत 77 जातियों को ओबीसी में शामिल करने के फैसले को रद्द कर दिया था.
ये भी पढ़ें- शराब घोटाला मामले में CM केजरीवाल को झटका, राउज एवेन्यू कोर्ट ने 27 अगस्त तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत
हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी के इस फैसले को गैर संवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इन जातियों को ओबीसी में शामिल करने पीछे धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है. कोर्ट ने कहा था कि इन जातियों को ओबीसी में शामिल करना राजनीतिक उद्देश्य हो सकता है. और इसे वोट बैंक के रूप में देखा गया है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *