मराठी, बंगाली समेत 5 भाषाओं को मिला शास्त्रीय भाषा दर्जा, पीएम मोदी ने कही ये बात
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार कोहुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार का यह एक ऐतिहासिक निर्णय है. उन्होंने कहा कि हमारी विरासत पर गर्व करने, हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने और सभी भारतीय भाषाओं एवं हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के साथ पूरी तरह मेल खाता है.
बता दें कि शास्त्रीय भाषाएं के माध्यम से भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षण का काम किया जाता है. ये भाषाएं प्रत्येक समुदाय के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के मील के पत्थर का सार है.
पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि हमारी सरकार भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को संजोती है और उसका जश्न मनाती है। हम क्षेत्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने की अपनी प्रतिबद्धता में भी अडिग रहे हैं.
Marathi is Indias pride.
Congratulations on this phenomenal language being accorded the status of a Classical Language. This honour acknowledges the rich cultural contribution of Marathi in our nations history. Marathi has always been a cornerstone of Indian heritage.
I am
— Narendra Modi (@narendramodi) October 3, 2024
उन्होंने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि कैबिनेट ने फैसला किया है कि असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया जाएगा! ये सभी खूबसूरत भाषाएं हैं, जो हमारी जीवंत विविधता को उजागर करती हैं. सभी को बधाई.
साल 2004 में सबसे पहले हुआ था फैसला
भारत सरकार ने सबसे पहले 12 अक्टूबर, 2004 में इस संबंध में फैसला किया और शास्त्रीय भाषाओं के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाई गई. जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा की घोषणा की गई. उसके बाद संस्कृत, कन्नड़, मलयालम, तेलुगु और ओडिया भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया.
सरकारी बयान में कहा गया है कि 2013 में महाराष्ट्र सरकार ने मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध करने किया गया था. उस प्रस्ताव को भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति (एलईसी) को भेजा गया. भाषाविज्ञान विशेषज्ञ समिति ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की.इस साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा की मान्यता देना यह राज्य एक बड़ा चुनावी मुद्दा था.
इसी तरह से प्राकृत, असमिया, पाली और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के भी प्रस्ताव प्राप्त हुए. भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति (साहित्य अकादमी के अधीन) की 25 जुलाई, 2024 को एक बैठक हुई. इस बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया और साहित्य अकादमी कोभाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.
सीएम ममता ने किया फैसले का स्वागत
सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि बंगाली/बांग्ला को आखिरकार भारत सरकार द्वारा क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दे दिया गया है.
Most happy to share that Bengali/ Bangla has been finally accorded the status of a classical language by Government of India.
We had been trying to snatch this recognition from Ministry of Culture, GOI and we had submitted three volumes of research findings in favour of our
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) October 3, 2024
उन्होंने कहा कि हम संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार से यह मान्यता देने के लिए लगातार बात कर रहे थे और हमने अपने दावे के पक्ष में शोध निष्कर्षों के तीन खंड प्रस्तुत किए थे. केंद्र सरकार ने आज शाम हमारे शोधपूर्ण दावे को स्वीकार कर लिया है और हम आखिरकार भारत में भाषाओं के समूह में सांस्कृतिक शिखर पर पहुंच गए हैं.
सीएम शिंदे ने कही ये बात
माझा मराठाचि बोलु कौतुके।
परि अमृतातें ही पैजा जिंके ॥
समस्त मराठी जनांचे हार्दिक अभिनंदन!!!
अखेर माय मराठीला अभिजात भाषेचा दर्जा मिळाला! एका लढ्याला यश आले. यासाठी महाराष्ट्र सरकारने केंद्राकडे सतत पाठपुरवठा केला होता. आपल्या लाडक्या भाषेचा यथोचित सन्मान केल्याबद्दल पंतप्रधान
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) October 3, 2024
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्र के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि सभी मराठी वासियों को बधाई!!! मराठी भाषा का शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल गया. एक लड़ाई सफल रही. इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने लगातार केंद्र का सहयोग किया था. हम अपनी प्रिय भाषा को उचित सम्मान देने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, साथ ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत को धन्यवाद देते हैं.