मर चुकी थी मां, फिर भी दिया बच्चे को जन्म… इजराइल के अटैक ने छीन ली कई जिंदगियां
10 महीनों से ज्यादा समय से गाजा में हो रहे नरसंहार ने गाजा में तबाही मचा दी है, कई लोग अपने परिवार, घर और अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन इन सभी के बावजूद भी इजराइल का अटैक गाजा पर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इजराइल आए दिन गाजा पर बम बरसा रहा है. इन हमलों से उन नन्हीं जानों ने पर भी खतरा मंडरा रहा है जिसने अभी तक कोख के बाहर तक की दुनिया नहीं देखी है.
इजराइल ने लगातार 24 घंटे बमबारी किया जिसमें 30 लोगों ने अपनी जान गंवा दी, उन्हीं 30 लोगों में से शामिल थी ओला अदनान हर्ब अल-कुर्द, जो कि 9 महीने की गर्भवती थी. कुर्द नुसेरात रिफ्यूजी कैंप में रहती थी, जिस वक्त हमला किया गया वो अपने घर में ही मौजूद थी. हमला खत्म होने के बाद जब डॉक्टर जांच के लिए आए तो उन्होंने कुर्द की धड़कनों पर ध्यान दिया जो कि अभी भी हल्की चल रही थी, जिसके बाद उसे मिडिल गाजा के अल-आवदा अस्पताल पहुंचाया गया.
ऑपरेशन के समय मौत के करीब थी कुर्द
कुर्द की उम्र केवल 20 साल की थी, उसका ऑपरेशन करने वाले सर्जन अकरम हुसैन ने बताया कि ऑपरेशन रूम में ले जाते हुए ही कुर्द लगभग मर चुकी थी, उन्होंने बताया कि लाख कोशिशों के बाद भी डॉक्टरों की टीम कुर्द को बचाने में सफल नहीं रही लेकिन उसके बच्चे को बचा लिया गया. बच्चे का जन्म सिजेरियन ऑपरेशन के माध्यम से कराया गया, हालांकि, जन्म लेने के बाद भी बच्चे को कई मेडिकल परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि गंभीर हालात में पैदा हुए बच्चे को ऑक्सीजन और मेडिकल हेल्प देने के बाज स्थिर कर दिया गया. बच्चे को नाम मालेक यासीन रखा गया है. जानकारी के मुताबिक, मिसाइल अटैक में ही कुर्द का पति भी घायल हो गया है.
जंग के बीच ज्यादा झेल रही गर्भवती महिला
अल-आवदा अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, नुसेरात रिफ्यूजी कैंप पर हुए हमले में 7 लोग मारे गए हैं और नुसेरात की छत पर खेल रहे 4 बच्चे भी घायल हो गए, जिनमें से एक बच्चे का एक पैर काटना पड़ गया. गाजा में बने हुए इस तरह के हालात की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को हो रही है, उन्हें हर रोज हड़तालों का सामना करना पड़ता है और उन्हें कई सारी सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने बताया कि गाजा में फिलहाल के समय में 2 मिलियन से ज्यादा लोग हैं, जिनके लिए अस्पताल में केवल 1500 बेड ही उपलब्ध हैं, जबकि इस जंग के शुरू होने से पहले 3500 बेड होते थे. अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इस जंग में गाजा में अभी तक 38,919 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से ज्यादातर नागरिक हैं.