मसूद अजहर के चेहरे पर घिनौनी मुस्कान थी, मन कर रहा था कि… कंधार हाईजैक पर क्या-क्या बोले पूर्व DIG?
नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज IC814:द कंधार हाइजैक ने कंधार हाईजैक केस को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है. इस केस पर बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन DIG एसपी वैद्य ने कहा कि बहुत ही कड़ी मशक्कत के बाद तीन आतंकवादियों को बंधकों के बदले छोड़ने का फैसला किया गया था. पूर्व DIG ने कहा कि ISI के इशारे पर आतंकवादियों ने बंधकों के बदले बहुत से आतंकवादियों की रिहाई की मांग की थी.
उन्होंने बताया कि हमारी तरफ से जो लोग थे, उन्होंने लंबी बातचीत और कड़ी मशक्कत के बाद इस बात पर सहमति बनाई कि सिर्फ तीन आतंकवादियों की रिहाई के बदले बंधकों को छोड़ा जाएगा, जिनमें मसूद अजहर, उमर शेख, और मुश्ताक जरगर शामिल थे. वैद्य ने बताया कि तब मसूद अजहर जम्मू की अति-सुरक्षित जेल में बंद था. जब सरकार ने उसे छोड़ने का फैसला लिया, तब जम्मू-कश्मीर के पुलिस चीफ ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी कि वे मसूद अजहर को जम्मू की जेल से अपनी कस्टडी में लेकर जम्मू के टेक्निकल एयरपोर्ट पर दिल्ली से आ रहे अधिकारियों के हवाले कर दें. उन्हें इस बात की भी हिदायत दी गई थी कि इसका पता मीडिया को न चले.
जिंदा वापस न भेजा जाए
मसूद अजहर को छोड़ने की घटना का जिक्र करते हुए एस पी वैद्य ने कहा कि जब वे मसूद अजहर को लेने जेल गए, तो उसके चेहरे पर एक घिनौनी मुस्कान थी, जैसे वह कह रहा हो कि आखिरकार तुम्हारी सरकार को मुझे छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. वैद्य कहते हैं कि उन्हें मालूम था कि यह दानव, यह राक्षस (मसूद अजहर) जब छूटेगा, तब हजारों निर्दोष लोगों की जान लेगा और ऐसा ही हुआ पाकिस्तान जाने के बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद बनाई और भारत पर सैकड़ों हमले किए, जिनमें संसद भवन पर हमला, मुंबई हमला, और पुलवामा हमला शामिल हैं. पूर्व DIG ने कहा कि उसे छोड़ते समय उनका मन कर रहा था कि इसे जिंदा वापस न भेजा जाए.
क्या था कंधार हाईजैक
दिसंबर 1999 में नेपाल के काठमांडू से दिल्ली आ रहे भारतीय विमान को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था. इस विमान में ज्यादातर पैसेंजर्स भारतीय थे. आतंकवादी ने इसके बदले 36 आतंकवादियों के रिहाई की मांग की थी. आतंकी इसे काठमांडू से अमृतसर और लाहौर के बाद अफगानिस्तान के कंधार ले गए थे. वहां 176 पैसेंजर्स की सेफ रिहाई के बदले 3 आतंकियों को सरकार ने रिहा किया था, जो कि मौलाना मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक जरग थे.