महाराष्ट्र: फडणवीस के बाद अमित शाह से मिले अजीत पवार, क्या मंथन से निकलेगा अमृत?

लोकसभा चुनाव के बाद से महाराष्ट्र की सियासत में एनसीपी प्रमुख व डिप्टी सीएम अजीत पवार को सबसे ज्यादा चुनौतियों से जुझना पड़ रहा है. एनडीए खेमे में आने के बाद अपनी पहली ही परीक्षा में एनसीपी फेल होती दिखाई दे रही है, जिसके बाद से अजीत पवार लगातार बीजेपी नेताओं और संघ विचारकों के निशाने पर आ गए हैं. ऐसे में मुंबई से लेकर दिल्ली तक मेल-मिलाप और बैठकों का दौर जारी है. अजीत पवार ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री के साथ मिलने के बाद मुंबई में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ मुलाकात की, लेकिन सवाल यह उठता है कि मंथन से क्या विधानसभा चुनाव के पहले ‘अमृत’ निकलेगा?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी उठापटक काफी तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव में फ्लॉप रहने के बाद मुश्किल से गुजर रहे अजीत पवार अपनी सियासी ताकत को मजबूत करने में जुट गए हैं, क्योंकि बीजेपी के नेता से लेकर मंत्री तक उन्हें घेरने में जुटे हैं. ऐसे में अजीत पवार मंगलवार को देर रात दिल्ली पहुंचे और उन्होंने अमित शाह के साथ मुलाकात की. इस दौरान काफी देर तक दोनों नेताओं के बीच मंथन होता रहा. माना जा रहा है कि राज्य के सियासी हालात और विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर अजीत पवार और अमित शाह के बीच बातचीत हुई हैं. इसके बाद मुंबई पहुंचने पर अजीत पवार से डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मिलने पहुंचे.
अजीत पवार ने शुरू की सियासी बैटिंग
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात करके अजीत पवार ने भले ही विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बैटिंग शुरू कर दी हो, लेकिन बीजेपी नेताओं के साथ उनकी केमिस्ट्री नहीं बन पाना एक बड़ा सवाल है. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने सत्र के दौरान अजित पवार और बीजेपी नेताओं के बीच समन्वय की कमी पर नाराजगी जताई है. अजीत पवार एक बार फिर से फंड न देने को लेकर सवालों के घेरे में है. कैबिनेट बैठक में अजित पवार से फंड को लेकर बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने नाराज़गी भी जताई है.
फंड को लेकर नाराजगी
बीजेपी कोटे से ग्राम विकास मंत्री गिरीश महाजन और अजीत पवार में भी फंड को लेकर अच्छी-खासी बहस हुई थी. ऐसे में फंड को लेकर अजीत पवार ने गुस्से में मंत्रियों को सुनाया की क्या अब मैं अपनी जमीन बेचकर फंड दूंगा. महाविकास अघाड़ी की सरकार के दौरान भी अजीत पवार के ऊपर फंड न देने के आरोप कांग्रेस और शिवसेना के विधायक/मंत्रियों ने लगाए थे. ऐसे में अब महायुति सरकार के दौरान अजीत पवार पर बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने फंड न देने का सवाल खड़े कर रहे हैं. इससे यह साबित होता है कि बीजेपी और अजीत पवार के बीच सियासी केमिस्ट्री नहीं बन पा रही है. विधानसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने अजीत पवार से बेहतर समन्वय बनाने की बात कही है.
सीट शेयरिंग पर अजीत पवार ने की बात
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सियासी हलचल बढ़ चुकी है. अमित शाह ने पुणे की रैली के जरिए चुनावी अभियान का आगाज भी कर दिया है, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. ऐसे में एनसीपी प्रमुख अजीत पवार ने दिल्ली की दौड़ लगाकर शाह के सामने अपनी सीटों की डिमांड रख दी है. सूत्रों की माने तो गृहमंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग के दौरान अजित पवार ने जल्द से जल्द विधानसा सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने पर जोर दिया. लोकसभा चुनावों की तरह आखिरी समय तक सीटों के बंटवारे को न टालने की बात कही.
माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग और एनडीए गठबंधन में एनसीपी की भूमिका को लेकर अजित पवार ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के लिए समय मांगा था. महाराष्ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी के नेता 160 से 170 सीटो पर चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं, जिसके लिहाज से एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के लिए करीब 120 सीटें ही बच रही हैं. एनसीपी और शिवसेना की तरफ से 100-100 सीटों की डिमांड की जा रही थी, लेकिन अमित शाह से मुलाकात के बाद अजीत पवार खेमे की तरफ से 80 से 9 सीट की बात कही जा रही है. ऐसे में सीट शेयरिंग का मामला एनडीए में उलझा हुआ है.
लोकसभा चुनाव के बाद बदले सियासी हालात
अजीत पवार को बीजेपी ने जिस उम्मीद के साथ अपने साथ मिलाया था, वो सफल नहीं हो सकी. अजीत पवार की पार्टी अपने कोटे की 4 में से एक सीट ही जीत सकी है. इसके अलावा पश्चिमी महाराष्ट्र में शरद पवार का दबदबा कायम रहा और अजीत पवार बेअसर रहे. मराठा वोटों को साधने में बीजेपी ने अपने ही वोटबैंक (ओबीसी) को गंवा दिया है. इसीलिए बीजेपी अब नए सिरे से महाराष्ट्र की सियासत में अपनी वापसी के लिए काम कर रही है. ऐसे में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए प्लान बनाया है कि बिना सीएम चेहरे के साथ उतरेगी. इसके अलावा बड़े भाई की भूमिका में बीजेपी रहेगी. इस तरह शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार को अपनी शर्तों पर साथ रखने का प्लान बनाया गया है.
लोकसभा चुनाव बना अजीत पवार के लिए मुश्किल
एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना सात लोकसभा सीटें जीतकर अपनी साख को कुछ हद तक बचाए रखने में सफल रही है, लेकिन अजीत पवार को महज एक सीट जीतने के चलते चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. बीजेपी में एक धड़ा लोकसभा की हार का ठीकरा अजीत पवार के सिर पर फोड़ रहा. ऐसे में बीजेपी नेतृत्व भी अजीत पवार को बहुत ज्यादा सियासी स्पेस देने के मूड में नहीं है, क्योंकि वो इस बात को समझ रहे हैं कि शरद पवार अब उन्हें बहुत ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं. ऐसे में अजीत पवार के पास एनडीए के साथ रहने के सिवा कोई विकल्प नहीं दिख रहा है. इसीलिए दिल्ली से मुंबई तक बैठक का दौर जारी है, लेकिन क्या मंथन से अजीत पवार के लिए कोई सॉल्यूशन निकलेगा?

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