महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में बार्गेनिंग, बीजेपी की क्या होगी बॉर्डर लाइन?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है.केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरे से एक बात तो साफ हो गई है कि बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. बीजेपी ने गठबंधन के पार्टनर तय कर लिए है, लेकिन सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने नहीं आ सका है. बीजेपी ने इस बार के चुनाव में मिशन-160 के टारेगट फिक्स कर रखे हैं, लेकिन यह तभी हो पाएगा जब खुलकर चुनाव लड़े. एनसीपी और शिवसेना जिस तरह से सीटों की डिमांड अपने लिए कर रही है, उसे देखते हुए सीट बार्गेनिंग में बीजेपी कितनी सीटें अपने लिए तय करती है?
बीजेपी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ कुछ दूसरे छोटे-दल को लेकर चुनावी मैदान में उतरेगी. अमित शाह ने बीजेपी कोर ग्रुप के साथ मुंबई में बैठक कर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. इस दौरान बीजेपी नेताओं के साथ सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हुई. अब राज्य की बैठक के बाद अजित पवार की एनसीपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर दिल्ली में मुहर लगेगी. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी कितनी सीटों पर इस बार चुनाव लड़ेगी?
पिछले विधानसभा चुनाव का पैटर्न
पिछले तीन विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लड़ने का पैटर्न देखें तो 2014 से पहले और उसके बाद की स्थिति काफी बदल गई है. 2014 से पहले बीजेपी महाराष्ट्र में छोटे भाई की भूमिका में थी लेकिन अब बड़े भाई के रोल में है. राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 2009 में बीजेपी 119 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और शिवसेना ने 160 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. इससे पहले 2004 में बीजेपी 111 सीट पर तो शिवसेना 163 सीट पर चुनाव लड़ी थी. इस तरह बीजेपी कम सीट पर तो शिवसेना ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ती रही है लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद स्थिति बदल गई.
पहली बार बना बीजेपी का सीएम
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया था और दोनों ही दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने अकेले जब चुनाव लड़ा तो उसे अपनी सियासी ताकत का एहसास हुआ. 2014 में बीजेपी ने 260 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 122 सीट पर उसको जीत मिली. बीजेपी ने पहली बार महाराष्ट्र में सौ सीटें जीतने का आंकड़ा क्रॉस किया और पहली बार अपना मुख्यमंत्री बनाने में भी सफल रही.
गठबंधन में उठाना पड़ा नुकसान
2019 में जब बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में रही और शिवसेना छोटे भाई के रोल में. बीजेपी ने राज्य की 288 सीटों में से 164 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि शिवसेना ने 124 सीट पर चुनाव लड़ा था. बीजेपी अपने कोटे की 164 सीटों में से 105 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि 55 सीटों पर दूसरे नंबर और 4 सीट पर तीसरे नंबर पर रही. इस तरह बीजेपी को अकेले चुनाव लड़ने पर लाभ तो गठबंधन में नुकसान उठाना पड़ा.
विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारा
महाराष्ट्र की 240 सीटों पर बीजेपी का अपना सियासी आधार है, लेकिन विपक्षी एकता के चलते कारगार साबित नहीं होती. इसलिए बीजेपी को गठबंधन के लिए मजबूर होना पड़ता है. बीजेपी एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के साथ सरकार चला रही है. 2024 लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 संसदीय सीटों में से बीजेपी ने 28, शिवसेना ने 15, एनसीपी ने 4 और राष्ट्रीय समाज पक्ष ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था. इस फॉर्मूले पर तीनों के बीच सीट शेयरिंग हुई थी. माना जा रहा है इस आधार पर विधानसभा चुनाव में भी सीट बंटवारा हो सकता है, लेकिन अजीत पवार और शिंदे की पार्टी तैयार नहीं हो रही हैं.
सीटों की मांग
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना 100 से 110 सीटों की डिमांड कर रही है तो अजीत पवार की एनसीपी 60 से 70 सीट की मांग रखी है. महाराष्ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी अगर शिंदे और अजीत पवार को उनकी मनमाफिक सीटें दे देती है, उसे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 100 से 110 सीटें ही बचेंगी. बीजेपी इस फॉर्मूले पर कभी तैयार नहीं होगी. बीजेपी ने 2019 में 164 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें 105 सीटें जीती थी.
पॉवर के मुताबिक सीटें
2024 में बीजेपी जिन 28 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, उसे अगर विधानसभा सीटों में तब्दील कर देतें है तो 168 सीटें होती हैं. इस तरह बीजेपी का प्लान 160 सीटों पर चुनाव लड़ने का है. बीजेपी नेताओं ने महाराष्ट्र की लगभग 160 सीटों पर चुनाव जीतने का टारगेट फिक्स किया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे के दौरान सहयोगी दलों शिवसेना और एनसीपी की ताकत और जीतने की संभावना को देखते हुए सीटें दी जाएंगी.
सीट शेयरिंग पर सहमति
बीजेपी इस बात को जानती है कि अगर 160 से कम सीटों पर चुनाव लड़ती है तो उसके जीत का आंकड़ा 100 से कम हो जाएगा. बीजेपी इन्हीं सारे गुणा भाग में जुटी है. ऐसे में बीजेपी शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी को सीट देने का रास्ता तलाश रही है, जिसमें शिवसेना को 70 सीटें देने पर विचार कर सकती है तो एनसीपी के लिए 60 सीटें छोड़ सकती है. इसके अलावा 8 सीटें बीजेपी छोटे दलों को दे सकती है. इस स्थिति में बीजेपी के पास चुनाव लड़ने के लिए 150 सीटें ही बचेंगी. बीजेपी एनडीए में बड़ा भाई बने रहना चाहती है, लेकिन सीट शेयरिंग पर सहमति बनाना आसान नहीं है.