मानसून में पहाड़, नदी, झरने, घाटियों वाले नज़ारे देखने को मिलेंगे राजस्थान के इस इलाके में
देश के कई इलाकों में मॉनसून दस्तक दे चुका है और कई इलाकों में दस्तक देने वाला है. घूमने के शौकीन लोगों को इंतजार रहता है मानसून के सक्रिय होने का. बारिश के मौसम में राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व के कई राज्य देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद होते हैं. इन सब में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पर्यटक स्थल सबसे सेफ रहते हैं. एक तरफ रिमझिम बारिश तो साथ ही सुंदर पहाड़, घाटियां, नदी, झरने देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ आसानी से खींच लेते हैं. भारत के पर्यटक स्थलों में राजस्थान का अहम स्थान है.
राजस्थान में ऐसा ही एक शहर है जो सौ द्वीपों के नाम से मशहूर है. इस शहर को राजस्थान में बागड़ प्रदेश के साथ राजस्थान में मानसून के प्रवेश का द्वार भी बोला जाता है. यहां पर आपको भारत की त्रिपुरा सुंदरी माता शक्तिपीठ के दर्शन करने को तो मिलेंगे ही साथ ही मशहूर माही बांध भी देखने को मिलेगा. इसके अलावा सुंदर प्रकृति दृश्य, ऐतिहासिक मंदिर, पर्यटक स्थलों, पुराने किलों के साथ परंपरागत राजस्थानी-आदिवासी सांस्कृतिक विरासत जैसे खजानों को अपने अंदर समेटे हुआ है गुजरात-मध्य प्रदेश की सीमा पर बसा बांसवाड़ा.
राजस्थान के दक्षिण में मौजूद है बांसवाड़ा
राजस्थान के चेरापूंजी यानी सबसे अधिक बारिश वाला जिला बांसवाड़ा उदयपुर से 160 किलोमीटर दक्षिण में और राजधानी जयपुर से 507 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित है, जिसकी दूरी मध्य प्रदेश के रतलाम से सिर्फ 85 किलोमीटर की है तो वहीं गुजरात से ये 100 किलोमीटर पर स्थित है. बांसवाड़ा का नाम सुनकर लगता है कि इसका संबंध कहीं न कहीं बांस के पेड़ों से होगा. इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता है कि किसी जमाने में यहां पर बांस के पेड़ों की अधिकता हुआ करती थी और इसी वजह से इस शहर का नाम बांसवाड़ा रखा गया.
इतिहासकारों के अनुसार मगध के सम्राट अजातशत्रु का यहां शासन था. बात अगर शहर की स्थापना की करें तो भील राजा वाहिया चरपोटा ने बसाया था. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि भील बाहुल इस कस्बे के राजा वाहिया जिन्हें बांसिया भील के नाम से भी जाना जाता था, उनके ही नाम पर इस शहर का बांसवाड़ा नाम पड़ा था. यहां पर स्थित सैकड़ों झरने, पहाड़ियां, उतार-चढ़ाव वाले रास्ते, भील राजाओं के महल के साथ कई ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की वजह से ये जगह दुनिया भर में मशहूर है. एक नजर डालते हैं ऐसी ही कुछ मशहूर जगहों पर.
त्रिपुर सुंदरी मंदिर:
बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर दूर जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित है त्रिपुर सुंदरी मंदिर. ऐसा कहा जाता है कि कभी इस देवी मंदिर के पास किले हुआ करते थे जिन्हें शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी के नाम से जाना जाता था. इन्हीं किलों के नाम पर देवी को मां त्रिपुरसुंदरी कहा जाने लगा. ये एक प्रमुख शक्तिपीठ है. इस मंदिर में मां त्रिपुर सुंदरी की काले पत्थर से बनी 18 भुजाओं वाली सुंदर मूर्ति मौजूद है. यहां नवरात्रों के दौरान देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक मां का आशीर्वाद लेने आते हैं.
मदारेश्वर मंदिर:
बांसवाड़ा शहर के उत्तर-पूर्व के पास ही मदारेश्वर महादेव मंदिर का एक मंदिर मौजूद है. ये मंदिर प्राकृतिक पहाड़ी में बनी गुफा में बना हुआ है. इस मंदिर का प्राकृतिक रूप बेहद आकर्षित करने वाला है. खासकर सावन के महीने में इस मंदिर में श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है. जैसे की इसके नाम से पता चलता ये भगवान शिव का मंदिर है तो यहां साल भर शिव भक्तों का मेला लगा रहता है.
कल्पवृक्ष:
कल्पवृक्ष एक साथ मौजूद दो पेड़ हैं जिन्हें एक जोड़े के रुप में मान्यता मिली हुई है. कल्पवृक्ष में जो मोटे तने वाला पेड़ है उसे मादा कल्पवृक्ष के रूप में जाना जाता है और पतले तने वाले पेड़ को नर के रूप में पूजा जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस कल्पवृक्ष के जोड़े को राजा-रानी के रूप में पूजा जाता है, साथ ही इनकी पूजा करने वालों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं. मध्य प्रदेश के रतलाम की तरफ से बांसवाड़ा की तरफ सड़क मार्ग से आने वाले राहगीर इन पेड़ों के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं जबकि पर्यटक स्थलों से दूर होने के चलते खास रुचि रखने वाले पर्यटक ही यहां तक पहुंच पाते हैं.
इसके अलावा यहां पर कई ऐसे स्थान भी हैं जो बिल्कुल प्रकृति के बीचों बीच स्थित हैं. इनमें प्रमुख है 400 सीढ़ियां वाला सवाईमाता मंदिर, प्रसिद्ध हनुमान भण्डारिया मंदिर, राजस्थान का जलियांवाला बाग जहां 17 नवम्बर 1913 को पन्द्रह सौ राष्ट्रभक्त आदिवासियों की अंग्रेजों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. 12वीं शताब्दी का भगवान ब्रह्मा का मंदिर, जहां आदमकद भगवान ब्रह्मा की मूर्ति स्थित है.
एक छोटी सी पहाड़ी, जंगल, झील के खूबसूरत नजारे पेश करता सिंगपुरा गांव, महाराज जगमाल सिंह की रानी लंची बाई के लिए बनाई गई आनंद सागर झील, बोहरा मुस्लिम समाज की अब्दुल्ला पीर दरगाह, प्रसिद्ध जैन समाज का अंदेश्वर पार्श्वनाथजी का मंदिर, डायलाब झील, माही डैम, राज मंदिर, चाचा कोटा डैम जहां से हरी-भरी पहाड़ियों का मनोहर दृश्य बिलकुल समुद्र के तट जैसा दिखता है. ऐसी कई जगहें हैं जो बांसवाड़ा को खास बनाती हैं.
इन सभी पर्यटक स्थलों को देखने के लिए मानसून का मौसम सबसे बढ़िया रहता है. खासकर सावन के महीने में यहां प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़े दिखाई देती जो बहुत ही खूबसूरत लगता है. वैसे फरवरी के महीने तक यहां का मौसम अच्छा रहता है.