मानसून में भारत के इन नेशनल पार्क में हाथियों को करीब से देखें
जहां तक मानसून के मौसम में जंगली जानवरों को देखने की बात है तो भारत के कई राज्यों में नेशनल पार्क बनाए गए हैं. जहां जंगली जानवरों और पक्षियों को आसानी से मस्ती करते देखा जा सकता है, लेकिन हाथियों को करीब से देखने के लिए कुछ ही जगहा हैं, जहां से हाथी प्रेमी हाथियों को खुले जंगल में मस्ती करते देख सकते हैं. भारत के राजस्थान और केरल राज्य को हाथियों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. भारत में हाथियों को करीब से देखने के लिए कुछ पर्यटन स्थल हैं, जहां पर हाथियों के साथ कुछ पल बिताया जा सकता है. आइए भारत के हाथी संरक्षण और पुनर्वास केंद्रों पर एक नज़र डालते हैं जहां पर्यटक हाथियों को करीब से देख भी सकते हैं.
सिंहभूम एलीफेंट सेंचुरी : इस सेंचुरी को 2001 में झारखंड, भारत के सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां जिलों की सीमा पर बनाया गया था. ये सेंचुरी भारत में हाथियों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए बनाई गई पहली सेंचुरी है. इस सेंचुरी के साथ दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को भी मिला दिया गया है. यहां पर पर्यटक हाथियों के साथ कई जंगली जानवरों को भी खुले में मस्ती करते हुए देख सकते हैं. सिंहभूम एलीफेंट सेंचुरी झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 150 किमी की दूरी पर स्थित है.
मयूरभंज एलीफेंट सेंचुरी: ओडिशा के सिमलीपाल-कुलडीहा-हदगढ़ के नेशनल पार्क में बनी हुई है. जिसे मयूरभंज एलीफेंट सेंचुरी के नाम से जाना जाता है. इस खूबसूरत सेंचुरी में हाथी बड़ी संख्या में रहते हैं. हाथियों के संरक्षण के कार्यक्रम को करीब से देखने के लिए पर्यटकों को इस सेंचुरी में जरूर जाना चाहिए. हाथियों के अलावा यहां अन्य जंगली जानवरों और पक्षियों को भी देखा जा सकता है. साथ ही यहां के प्राकृतिक नजारों में खूबसूरत पानी के झरने, औषधीय पेड़, पहाड़ों की खूबसूरती को भी निहारा जा सकता है.
इस सेंचुरी में हाथियों को नदी के पानी में नहाते और मस्ती करते हुए देखने का एक अलग ही मजा है. इसके अलावा जंगल में उछल-कूद करते हिरण, नाचते हुए मोर और पक्षियों की खूबसूरत आवाजें भी सुनी जा सकती हैं. मयूरभंज एलीफेंट सेंचुरी के पास ही पर्यटकों को देखने के लिए सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, हदगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी है. इस सेंचुरी में हाथियों के बीच रहने के लिए टूरिस्ट कॉटेज भी बने हुए हैं. मयूरभंज एलीफेंट सेंचुरी राजधानी कटक से करीब 160 किमी, रांची से 300 किमी, कोलकाता से करीब 360 किमी दूर है.
अनामुडी एलीफेंट सेंचुरी: केरल में पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर स्थित अनामुडी एलीफेंट सेंचुरी में पर्यटकों को देखने के लिए हाथियों के साथ-साथ कई जंगली जानवर मिलते हैं. यहां की हरी-भरी पहाड़ियों पर हाथियों को घूमते हुए आसानी से देखा जा सकता है. हाथियों के अलावा इस सेंचुरी में टाइगर, तेंदुआ, पैंथर, बाइसन, नीलगिरि तहर, हिरण, सांभर, लंगूर, भालू, उड़ने वाली गिलहरी सहित कई जंगली जानवरों खुले में देखा जा सकता है. अनामुडी एलीफेंट सेंचुरी कोच्चि से 160 किमी, मदुरै से 200 किमी, और कोयंबटूर से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
गारो-हिल्स एलीफेंट रिजर्व: मेघालय में हाथियों की बड़ी आबादी है जिनके संरक्षण के लिए सरकार ने दो रिजर्व बनाए हुए हैं. इन रिजर्व में हाथियों को संरक्षित और पुनर्वासित किया जा रहा है. गारो हिल्स एलीफेंट रिजर्व मेघालय का सबसे पुराना हाथी रिजर्व है. इस पार्क में जंगली जानवर, पक्षी के साथ आदिवासियों की संस्कृति रहन-सहन और खान-पान को भी करीब से देखने को मिलता है. गारो हिल्स एलीफेंट रिजर्व गुवाहाटी से 280 किमी और शिलांग से 350 किमी दूर है.
रिपु एलीफेंट सेंचुरी : यह सेंचुरी असम के बायोस्फीयर रिजर्व में बनी हुई है, जो असम-पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है. पूर्वोत्तर भारत मे एशियाई हाथियों की यहां बड़ी संख्या यहां पर मौजूद हैं. रिपु के घने जंगल में हाथियों को खुले में घूमते हुए आसानी से देखा जा सकता है. इसके अलावा इस सेंचुरी के पास ही टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क भी है. जहां पर्यटकों टाइगर के साथ-साथ दूसरे जंगली जानवरों और पक्षियों को भी देख सकते हैं. यह दुनिया की एकमात्र ऐसी जगह है जहां पिग्मी हॉग भी रहता है.
महानदी एलीफेंट रिजर्व : उड़ीसा की मुख्य नदी महानदी के किनारे हाथियों को संरक्षित करने के लिए महानदी एलीफेंट रिजर्व बनाया गया है. इस पार्क में हाथियों को खुले में आसानी से घूमता हुआ देख सकते हैं. इसके पास सतकोसिया टाइगर रिजर्व है जहां पर कई जंगली पशु-पक्षियों को आसानी से देख सकते हैं. साथ महानदी के खतरनाक मगरमच्छों को नदी के किनारे की चट्टानों पर धूप सेंकते हुए आसानी से देखा जा सकता है. महानदी एलीफेंट रिजर्व राजधानी कटक से करीब 40 किमी की दूरी पर स्थित है.
महानदी एलीफेंट रिजर्व : ओडिशा की प्रमुख नदी महानदी के तट पर हाथियों को संरक्षित करने के लिए महानदी एलीफेंट रिजर्व बनाया गया है. इस पार्क में हाथियों को खुले में घूमते हुए आसानी से देखा जा सकता है. इसके पास ही सतकोसिया टाइगर रिजर्व है जहां कई जंगली जानवर और पक्षी आसानी से देखे जा सकते हैं. इसके अलावा महानदी के खतरनाक मगरमच्छों को नदी किनारे चट्टानों पर धूप सेंकते हुए आसानी से देखा जा सकता है. महानदी का एलीफेंट रिजर्व राजधानी कटक से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
थेप्पाकाडु एलीफेंट कैंप : यह तमिलनाडु के नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है. इसे मुदुमलाई वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है. इस कैंप में बड़ी संख्या में हाथी रहते हैं. बांदीपुर टाइगर रिजर्व, वायनाड वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी इसके पास ही स्थित हैं. ये सभी नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है. यहां पर जंगली हाथियों को जंगल में खाते-पीते, मौज-मस्ती करते आसानी से देखा जा सकता है. थेप्पाकाडु एलीफेंट कैंप भी नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व के अंदर बना हुआ है. पर्यटक इस कैंप में हाथी सफारी का आनंद भी उठा सकते हैं. थेप्पाकाडु एलीफेंट कैंप मैसूर से लगभग 90 किमी, कोयंबटूर से 120 किमी की दूरी पर स्थित है.
दुबारे एलीफेंट कैंप : कर्नाटक में कावेरी नदी के किनारे स्थित है दुबारे एलीफेंट कैंप. यहां पर पर्यटकों के लिए हाथी की सवारी की सुविधा मिलती है. कावेरी नदी के किनारे पर पर्यटकों को कई जंगली जानवरों और पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं. कावेरी नदी के किनारा बेहद खूबसूरत जहां से प्राकृति खूबसूरत नजारों को कैमरे में कैद किया जा सकता है. मैसूर से दुबारे हाथी कैंप की दूरी करीब 100 किमी, मंगलुरु से करीब 160 किमी है.
जयपुर का हाथी गांव: आमेर किले पर भारत का एकमात्र हाथी गांव बना हुआ है. इस हाथी गांव में 100 से ज्यादा हाथी रहते हैं. यहां आने वाले पर्यटक अपनी रुचि के अनुसार इन हाथियों की सवारी करने का मजा ठा सकते हैं, साथ ही इन हाथियों के साथ कुछ यादगार पल का मजा ले सकते हैं. जयपुर के आमेर किले पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक उत्सव के दौरान इन हाथियों को रंग-बिरंगे परिधानों से खास तौर पर सजाया जाता है.
मथुरा का हाथी संरक्षण केंद्र: उत्तर भारत में हाथियों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के मथुरा में हाथियों के संरक्षण का काम चल रहा है. केंद्र वन्यजीव संस्था यानी एसओएस चलाती है. इस संस्था में पर्यटक हाथियों के साथ कुछ समय बिताने और उनको जानने का मौका मिलता है.