मालदीव हो गया सेट…अब चीन के 50 साल पुराने दोस्त को डील करेगा भारत
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर बिन इब्राहिम पहली बार भारत दौरे पर आ रहे हैं. 3 दिवसीय यात्रा के दौरान वह मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री इब्राहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे.
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की यात्रा के जरिए भारत और मलेशिया के द्विपक्षीय रिश्तों के और मजबूत होने की उम्मीद है. दोनों देशों के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में मलेशिया यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर करने के लिए रणनीतिक साझेदारी पर ज़ोर दिया था.
कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश
विदेश मंत्रालय के मुताबिक कल यानी 20 अगस्त को मलेशियाई प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया जाएगा, इसके बाद अनवर इब्राहिम राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे और फिर प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता होगी.
दरअसल अनवर इब्राहिम का यह दौरा भारत के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है. मलेशिया और भारत के संबंधों में साल 2019 में तब कड़वाहट आ गई जब तत्कालीन मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संत्र को संबोधित करते हुए कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया था.
हालांकि बीते कुछ सालों में दोनों देशों के बीच रिश्तों में काफी सुधार हुआ है. खासतौर पर प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भारत के साथ संबंधों के लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है. भारत मलेशिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक है और उम्मीद की जा रही है कि मलेशियाई प्रधानमंत्री के इस दौरे के बाद दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे.
भारत-मलेशिया संबंधों पर चीन की नज़र!
मलेशिया के प्रधानमंत्री का भारत दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में चीन-मलेशिया के डिप्लोमेटिक संबंधों को 50 साल पूरे हुए हैं. चीन और मलेशिया के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत रहे हैं, जून में दोनों देशों ने आर्थिक और व्यापार समझौते को 5 साल के लिए रिन्यू करने पर सहमति जताई थी. साल 2009 से चीन मलेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, पिछले साल दोनों देशों के बीच 98.90 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ.
वहीं भारत भी मलेशिया के व्यापारिक साझेदारों की टॉप 10 की लिस्ट में आता है. चीन अक्सर भारत के पड़ोसी देशों को भड़काने और उकसाने की नीति पर काम करता रहा है. वह नहीं चाहता कि एशियाई महाद्वीप में भारत उससे बड़ी शक्ति बनकर उभरे, यही वजह है कि वह भारत विरोधी एजेंडा अपनाकर उन देशों को अपनी ओर खींचने की कोशिश करता है जिनके भारत से अच्छे संबंध रहे हैं.
उधर मलेशियाई प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. मलेशिया भारत के साथ डिजिटल, फिनटेक और सेमीकंडक्टर क्षेत्रों में साझेदारी के लिए हाथ आगे बढ़ा सकता है. ऐसे में ज़ाहिर है कि दोनों देशों की बढ़ती नज़दीकियों पर चीन की नज़र होगी.
मालदीव के साथ संबंधों में सुधार
भारत का पड़ोसी मुल्क मालदीव भी कुछ समय पहले तक चीन के बहकावे में आकर भारत के खिलाफ खड़ा था, लेकिन भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों की बदौलत अब दोनों देशों के संबंधों में काफी बदलाव देखने को मिला है. हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के मालदीव दौरे ने चीन की साजिशों पर लगाम लगा दिया है. दरअसल भारत और मालदीव के बीच UPI पेमेंट को लेकर एक MOU साइन किया गया. माना जा रहा है कि इस समझौते से मालदीव के टूरिज्म सेक्टर में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
एक ओर भारत और मालदीव के रिश्ते पटरी पर लौट रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर मलेशियाई प्रधानमंत्री भी भारत को लेकर सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं, उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, ऐसे में भारत की बढ़ती धाक से चीन की टेंशन बढ़ सकती है.