मिडिल ईस्ट तनाव के 4 किरदार, गाजा सीजफायर डील पर वार-पलटवार, किसके दावे में है दम?

मिडिल ईस्ट में तनाव बरकरार है, एक ओर गाज़ा में इजराइली हमले जारी हैं तो दूसरी ओर हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत को लेकर ईरान-इजराइल के बीच युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. इस संघर्ष और तनाव को कम करने का एक ही रास्ता है वो है गाज़ा में सीज़फायर डील और बंधकों की रिहाई.
सीजफायर डील को लेकर अमेरिका, मिस्त्र और क़तर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं. पिछले हफ्ते क़तर की राजधानी दोहा में 2 दिन की बातचीत के बाद अमेरिका और इजराइल ने समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं. वहीं दूसरी ओर हमास और ईरान ने इन दोनों देशों की नीयत पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.
अमेरिका ने दिए पॉजिटिव संकेत
दोहा में 15 और 16 अगस्त को गाज़ा सीज़फायर डील को लेकर बातचीत हुई, हालांकि इस बातचीत में हमास के प्रतिनिधियों ने हिस्सा नहीं लिया. दोहा में मध्यस्थ देशों और इजराइली डेलीगेशन के बीच हुई बैठक में गाज़ा में संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई को लेकर चर्चा हुई. अमेरिका और इजराइल का कहना है कि वो समझौते के करीब हैं और दोनों ही देशों की ओर से जल्द सीजफायर डील होने की संभावना जताई गई है. अगली बैठक बुधवार को मिस्त्र की राजधानी काहिरा में होगी.
अमेरिका-इजराइल पर हमास का आरोप
वहीं हमास ने इस बैठक को लेकर अमेरिका और इजराइल पर हमला बोला है, ईरानी न्यूज़ एजेंसी IRNA के मुताबिक हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध विराम के लिए अमेरिका की ओर से कोई वास्तविक इच्छा नहीं है. फिलिस्तीन की स्थानीय मीडिया के मुताबिक, हमास के वरिष्ठ अधिकारी ओसामा हमदान का आरोप है कि अमेरिका इस बातचीत का दिखावा कर इजराइल को और अधिक नरसंहार करने के लिए समय देने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा है कि इस प्रस्तावित समझौते में फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की स्पष्ट गारंटी होनी चाहिए.
इसके अलावा हमास के अधिकारी ओसामा हमदान ने इजराइल पर भी हमला बोला है उन्होंने कहा है कि अब हर कोई समझ गया है कि नेतन्याहू और इजरायल सरकार युद्ध विराम समझौते पर सहमत होने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा है कि बैठक में इजराइल ने उस समझौते को खारिज कर दिया है जिस पर पहले सहमति बन चुकी थी, वह अब नए सिरे से नई शर्तों के साथ डील करना चाहते हैं. ओसामा हमदान ने इजराइली रक्षा मंत्री के पुराने बयान का जिक्र करते हुए कहा है कि इस डील को हासिल करने में एक ही बाधा है वो है इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू.
ईरान ने भी अमेरिका पर उठाया सवाल
वहीं इससे पहले ईरान ने भी सीजफायर डील को लेकर अमेरिका पर बड़ा आरोप लगाया था. ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अली बाघेरी कानी ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका गाज़ा युद्ध विराम की बातचीत में ‘न्यूट्रल मीडिएटर’ नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष के बीच यहूदियों को खतरनाक हथियार मुहैया कराकर इस नरसंहार में भागीदार बन चुका है.
संघर्ष विराम की कोशिशें जारी
7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद शुरू हुए इस युद्ध में गाज़ा में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. जहां हमास ने करीब 200 इजराइली नागरिकों को बंधक बनाया था तो वहीं इजराइल लगातार वेस्ट बैंक और फिलिस्तीनी क्षेत्रों में रेड कर हजारों फिलिस्तीनी नागरिकों को गिरफ्तार कर चुका है.
22 नवंबर 2023 को हमास और इजराइल के बीच 4 दिनों का संघर्ष विराम हुआ, इस दौरान करीब 50 इजराइली बंधक और 150 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई हुई थी. इसके बाद से सीजफायर डील पर सहमति की कोशिश की जा रही है लेकिन अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है. 10 दिसंबर 2023 को अमेरिका, क़तर और मिस्त्र की ओर से एक तीन स्तरीय सीजफायर डील का प्रस्ताव रखा गया था, जिस पर हमास के अधिकारी तो राज़ी हो गए लेकिन इजराइल ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. इसी के बाद इजराइल की मंशा पर सवाल उठने लगे, कहा जाने लगा कि नेतन्याहू की सरकार गाजा में संघर्ष विराम नहीं चाहती इसलिए उसने इस प्रस्ताव को ठुकराया.
नेतन्याहू की नई शर्तों से अटकी डील?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमास उन तीन स्तरीय प्रस्ताव पर सहमति चाहता है जो UNSC से भी पारित हो चुका है. वहीं इजराइली प्रधानमंत्री ने एक बार फिर नई शर्तें रखीं हैं. सूत्रों के मुताबिक इजराइल दक्षिणी गाजा में अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहता है, साथ ही नेतन्याहू की मांग है कि वह गाजा में जगह-जगह चेक प्वाइंट्स बनाएंगे और उत्तरी गाजा में लौटने वाले फिलिस्तीनियों को तलाशी के बाद ही जाने दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि इजराइल की इन नई शर्तों की वजह से ही हमास ने सीजफायर डील की बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया है.

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