मुस्लिम वर्ल्ड पर रूस की नजर, अमेरिका के दोस्त की ईरान के करीब लाने में जुटा

बहरीन के किंग हमाद बिन ईसा अल खलीफा ने गुरुवार को अपनी दो दिवसीय रूस यात्रा पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की, इसके अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए नेताओं द्वारा सहमति जताई गई. पुतिन से मुलाकात के बाद बहरीन के किंग ने ईरान के साथ भी रिश्ते सुधारने की इच्छा जताई है.
बहरीन की सरकारी न्यूज एजेंसी ने जानकारी दी है कि मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के दौरान, किंग हमाद ने कहा है कि बहरीन और ईरान के बीच राजनयिक संबंधों को बहाल न करने का कोई कारण नहीं है. 2016 में तेहरान में सऊदी एंबेसी पर हुए हमले के बाद बहरीन ने ईरान के साथ अपने रिश्ते खत्म कर दिए थे. किंग ने अब फिर से ईरान के साथ रिश्ते बहाल करने के संकेत दिए हैं.
बहरीन की अमेरिका से करीबी और ईरान से विवाद
ईरान और अमेरिका की दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है. बहरीन एक छोटा देश है, लेकिन अपनी भौगोलिक स्थिति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. बहरीन में अमेरिकी नौसेना का 5वां फ्लीट भी तैनात है और किंगडम की नीतियां लंबे समय से अमेरिका और ब्रिटेन समर्थित रही हैं. हाल के दिनों में हूतियों के खिलाफ लाल सागर में अमेरिकी गठबंधन सेना की कार्रवाई में भी बहरीन की जमीन के इस्तेमाल होने की खबरें आई हैं.
मध्य पर्व में तैनात अमेरिकी सैनिक
वहीं ईरान बहरीन के रिश्तों की बात करें तो बहरीन लंबे समय से ईरान पर देश की शिया आबादी को सुन्नी सरकार के खिलाफ भड़काने का आरोप लगाता आया है. 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान हुए बहरीन में प्रदर्शनों को यहां कि राजशाही ने बुरी तरह कुचल दिया था. बाद में इन प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप भी आंशिक रूप से ईरान पर ही लगाया गया था.
क्षेत्र का तनाव ला रहा मुस्लिम देशों को करीब
पुतिन के साथ अपनी बातचीत के दौरान बहरीन किंग ने कहा, “अरब वर्ल्ड मध्य पूर्व मुद्दे पर एक शांति सम्मेलन आयोजित करने की आवश्यकता पर पूरी तरह सहमत है,” उन्होंने आगे कहा कि “अरब समिट में गाजा युद्ध को समाप्त करने के आह्वान पर पहली बार अरब देशों में सर्वसम्मति देखी गई है.” किंग हमाद ने ये भी कहा कि मध्य पूर्व में शांति लाने के लिए रूस बड़ी भूमिका निभा सकता है. किंग ने आगे कहा, “गाजा में शांति वार्ता की शुरुआत के लिए सबसे पहले मैं जिसकी तरफ देखूंगा वो देश रूस है.”
इजराइल की बमबारी के बाद मलबे के ऊपर खड़े गाजावासी.
मुस्लिम देशों से करीबी बढ़ा रहा रूस
यूक्रेन युद्ध के बाद ज्यादातर पश्चिमी देशों ने रूस से किनारा कर लिया है. चीन, ईरान और नॉर्थ कोरिया के साथ रूस के पहले से अच्छे संबंध हैं. लेकिन देश के ऊपर बढ़ते खतरे और प्रतिबंधों के बोझ का मुकाबला करने के लिए रूस इस्लामिक देशों का रुख कर रहा है. पिछले कुछ सालों में रूस की विदेश नीति का झुकाव इस्लामिक देशों की ओर देखा गया है.
हाल ही में रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने ‘रूस-इस्लामिक वर्ल्ड स्ट्रैटेजिक विजन ग्रुप’ की बैठक में OIC सदस्य देशों के राजदूतों के साथ हिस्सा लिया था. बैठक में लावरेव ने कहा था कि रूस इस्लामिक देशों के साथ खड़ा है और उन्हें मजबूत करना रूसी विदेश नीति की निरंतर प्राथमिकताओं में से एक है. लावरेव ने ये भी कहा था कि देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के रास्ते खुद तय करने का उनका अधिकार है, इसमें किसी बाहरी ताकत का दखल देना सही नहीं है.

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