मेटल डिटेक्टर, पुख्ता सुरक्षा… फिर भी डोनाल्ड ट्रंप की रैली में कैसे चल गई गोली?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. ट्रंप पर हुए हमले को सुरक्षा में चूक माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि हमले से पहले ही कुछ लोगों ने छत पर मौजूद बंदूकधारियों को देखा था, लेकिन पुलिस इधर-उधर व्यस्त थी. इस हमले में गोली ट्रंप के दाहिने कान को छुती हुई निकल गई, जिसकी वजह से पूर्व राष्ट्रपति को मामूली चोटें भी आई हैं. इस बीच हमलावर को लेकर अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने बड़ा दावा किया है.
अमेरिका की जांच एजेंसी FBI ने बताया है कि हमलावर थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के वोटर आईडी कार्ड से पता चला है कि वो ट्रंप की ही रिपब्लिकन पार्टी से था. हालांकि, उसने बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े एक ग्रुप को 15 डॉलर यानी 1250 रुपए का चंदा भी दिया था. फिलहाल एफबीआई इस घटना की कई एंगल से जांच कर ही है. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव भी होने वाले हैं ऐसे में एक ऐसे पूर्व राष्ट्रपति पर हमला होना सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं.
घटना पर और क्या बोली एफबीआई?
ट्रंप पर हुए हमले के बाद अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई का बयान सामने आया. एफबीआई ने कहा कि स्पॉट पर हमारे कई एजेंट और दूसरी एजेंसी के लोग मौजूद है. पब्लिक को इस हमले से जुड़ी जो भी सूचना है हमें बताएं. हमले के पीछे हमलावर की क्या मंशा थी इसका पता अभी तक नहीं चला है. घटना की जांच हो रही है.
अमेरिकी कानून के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति जहां जाएंगे, सीक्रेट सर्विस के एजेंट उनके साथ जाएंगे. उनके सुरक्षा का स्तर क्या होगा, ये सीक्रेट सर्विस अपनी खुफिया इनपुट, कोर्डिनेशन क्षमता के आधार पर तय करती है. पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा में कितने एजेंट होते हैं, ये भी उनके संभावित खतरों और वो कितने समय से कार्यालय से बाहर हैं, इस पर निर्भर करता है.
24 घंटे करते हैं सुरक्षा, फिर भी चल गई गोली
आम तौर पर पूर्व राष्ट्रपति जिन्होंने हाल ही में पद छोड़ा है, जब वह बाहर जाते हैं तो उनके साथ चार एजेंट होते हैं. 24 घंटे की उनकी सुरक्षा करते हैं. अगर वो कहीं बाहर जाते हैं, तो पहले सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां जाएंगे, जगह की जांच करेंगे. अगर वो किसी सम्मेलन में जा रहे हैं तो सीक्रेट सर्विस एजेंट उस सम्मेलन हॉल की जांच करेंगे. उनके पास बम सूंघने वाले कुत्ते होंगे. मतलब सुरक्षा के फूलप्रुफ इंतजाम होते हैं.

1865 में हुई थी US सीक्रेट सर्विस की स्थापना
अमेरिकी सीक्रेट सर्विस की स्थापना 1865 में हुई थी. इसकी स्थापना अमेरिकी करेंसी की जालसाजी से निपटने के लिए बनाया गया था, लेकिन 1901 से इसे अमेरिका के राष्ट्रपति की सुरक्षा का काम सौंपा गया. 1958 में फॉर्मर प्रेसिडेंट एक्ट पास हुआ. इसके बाद 1965 से यूएस सीक्रेट सर्विस पूर्व राष्ट्रपतियों की भी लाइफ टाइम प्रोटेक्शन करने लगी. सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा दायरे में पूर्व राष्ट्रपति के अलावा उनकी पत्नी और उसके बच्चे (16 साल से नीचे) भी आते हैं. पत्नी अगर दूसरी शादी कर लेती हैं तो सुरक्षा हट जाती है..
इन घातक हथियारों से लैस होते हैं एजेंट
अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा में लगे सीक्रेट सर्विस के एजेंट कई घातक हथियारों से लैस होते है. सुरक्षा में जितने भी जवान तैनात रहेंगे उनके पास ग्लॉक 19 Gen 5 MOS पिस्तौल रहती है. इसके अलावा FN P90 सब मशीन गन, SR-16 CQB असॉल्ट राइफल से भी लैस होते हैं. सीक्रेट सर्विस के एजेंट को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वो कठिन से कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने में सक्षम होते हैं.
क्या है सीक्रेट सर्विस?

1865 में US सीक्रेट सर्विस की स्थापना हुई
1901 में अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा
1958 में फॉर्मल प्रेसिडेंट एक्स पास हुआ
1965 में पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा मिला
पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी और बच्चों की सुरक्षा भी करते हैं

कार्यक्रम से पहले सुरक्षा के कर देते हैं पुख्ता

कार्यक्रम स्थल के 1 किमी के दायरे में चेकिंग
आसपास की इमारतों की छतों की जांच
जांच के बाद सिक्योरिटी बैरिकेडिंग
मेटल डिटेक्टर से होकर कार्यक्रम में एंट्री
ट्रंप की गाड़ी के आगे-पीछे मजबूत सुरक्षा घेरा
पोडियम और स्टेज के आसपास 2 दर्जन से जवान मौजूद

(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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