मॉस्को के बाद कीव… यूक्रेन में PM मोदी के दौरे का एजेंडा क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोलैंड और यूक्रेन दौरा कल से शुरू होने जा रहा है. कल से शुरू होने जा रहे इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं. मॉस्को से लेकर वॉशिंगटन तक हलचल देखी जा रही है. कल 45 वर्ष बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री वॉरसॉ की धरती पर कदम रखेगा. 21-22 अगस्त को दो दिवसीय पोलैंड दौरे के बाद पीएम मोदी कीव पहुंचेंगे.
रिपोर्ट्स के अनुसार पीएम मोदी पोलैंड से ट्रेन के जरिए 10 घंटे का सफर तय करके यूक्रेन जाएंगे. नरेंद्र मोदी 30 वर्ष बाद यूक्रेन जा रहे पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की वेबसाइट पर पीएम मोदी के कीव दौरे से जुड़ी आधिकारिक जानकारी शेयर की गई है.
पीएम मोदी के दौरे पर यूक्रेन ने क्या लिखा?
जेलेंस्की की वेबसाइट पर पीएम मोदी के दौरे के बारे में लिखा है कि 23 अगस्त को यूक्रेन के फ़्लैग डे के मौक़े पर भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी यूक्रेन के आधिकारिक दौरे पर रहेंगे. द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में ये किसी भारतीय पीएम का पहला दौरा होगा. इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर बात की जाएगी. भारत और यूक्रेन के बीच कई दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.
मॉस्को के 44 दिन बाद कीव दौरा
प्रधानमंत्री मोदी, जेलेंस्की के न्योते पर ही यूक्रेन की यात्रा कर रहे हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा उनके रूस दौरे से ठीक 44 दिन बाद हो रहा है. वो भी ऐसे वक्त में जब यूक्रेन ने बीते दिनों में रूस की सीमा में घुसकर हमले तेज किए हैं. कुर्स्क में दोनों देशों के बीच भीषण जंग चल रही है. यूक्रेन ने रूस के कुछ इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया है. आशंका जताई जा रही है कि रूस जल्द यूक्रेन पर बड़ा हमला कर सकता है. ऐसे में सवाल ये है कि पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे के मायने क्या हैं…
शांति का संदेश देंगे पीएम मोदी
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की नीति ‘शांति संदेश’ की है. पिछले महीने जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ Andriy Yermak ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ फोन पर बातचीत की थी. इस बातचीत में उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी यूक्रेन में शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
यूक्रेन को क्या है उम्मीद?
यूक्रेन को पीएम मोदी से ये उम्मीद क्यों है इसे जानने के लिए इस जंग में भारत का स्टैंड समझना जरूरी है. दरअसल भारत युद्ध की शुरुआत से ही बातचीत के जरिए समाधान का पक्षधर रहा है. भारत का मानना है कि दोनों देशों के आपसी बातचीत से निकला कोई ऐसा रास्ता ही एकमात्र समाधान हो सकता है जो दोनों को स्वीकार्य हो. भारत ने हमेशा कहा है कि ये युग युद्ध का नहीं है.
पीएम मोदी ने जुलाई में रूस दौरे पर राष्ट्रपति पुतिन के सामने भी साफ शब्दों में कहा था कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं ढूंढा जा सकता है. इससे पहले SCO समिट में भी पुतिन के आगे पीएम मोदी शांति की बात कर चुके हैं. पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे का एजेंडा शेयर करते हुए विदेश मंत्रालय ने भी यही कहा है कि भारत, रूस-यूक्रेन यु्द्ध में शांति की बात करता आया है और बातचीत से समाधान का पक्षधर है.
रूस-यूक्रेन दोनों के सामने शांति का प्रस्ताव रख चुके हैं मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ही वो एकमात्र ग्लोबल लीडर हैं जो पुतिन और जेलेंस्की दोनों दुश्मन राष्ट्र के नेताओं के सामने शांति का प्रस्ताव रख चुके हैं. हालांकि जो जेलेंस्की आज पीएम मोदी को युद्ध का समाधान निकालने की उम्मीद से न्योता देकर अपने देश बुला रहे हैं. इन्होंने 9 जुलाई को पीएम मोदी के रूस दौरे के समय उनकी निंदा भी की थी. पीएम मोदी और पुतिन के गले लगने वाले दृश्यों को शांति की कोशिशों के लिए झटका बताया था. तब से लेकर अब तक युद्धक्षेत्र में हालात काफी बदल चुके हैं. अब जेलेंस्की भी समझ रहे हैं कि युद्ध के समाधान का रास्ता पीएम मोदी से होकर ही गुजरता है इसलिए जेलेंस्की उनके स्वागत की तैयारी कर रहे हैं. फिलहाल भारत का स्टैंड साफ है कि वो किसी एक पक्ष के हित की बात नहीं करेगा, बल्कि दोनों के लिए स्वीकार्य समाधान का रास्ता खोजने में मदद करेगा.
पौलेंड दौरा क्यों है खास?
पीएम मोदी पोलैंड और यूक्रेन दोनों देशों के दौरे पर जा रहे हैं लेकिन युद्ध के कारण उनके कीव दौरे की चर्चा ज्यादा है. इस बीच पीएम मोदी के पोलैंड दौरे को इतिहास वाले लेंस से देखना जरूरी है, तब आप पीएम के वॉरसॉ दौरे की अहमियत को समझ पाएंगे. दरअसल पोलैंड दौरे पर पीएम मोदी जामनगर-कोल्हापुर से जुड़े महराजा मेमोरियल पर भी जाएंगे. इस मेमोरियल का इतिहास वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध की एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है जिसके लिए पोलैंड आज भी भारत का कृतज्ञ है. तत्कालीन नवानगर के शासक दिग्विजय सिंहजी रणजीत सिंहजी जडेजा ने सोवियत संघ से निकाले गए एक हज़ार से ज़्यादा पोलिश महिलाओं और बच्चों को रखने के लिए एक शिविर की स्थापना की थी. इसके तुरंत बाद, कोल्हापुर शहर के पास एक और केंद्र स्थापित किया गया जिसमें लगभग 5,000 पोलिश शरणार्थियों को रखा गया. इस घटना की याद में वॉरसॉ में मेमोरियल की स्थापना की गई थी.
-Tv9 ब्यूरो

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