यंग ब्रिगेड के पास बीजेपी की कमान, प्रभारियों की औसत उम्र घटी; क्या हैं मायने?
लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 23 राज्यों के प्रभारी नियुक्त किए हैं. संगठन में हुई इस नियुक्ति में कई नाम चौंकाने वाले हैं तो सूची में कुछ ऐसे भी नाम हैं, जो पहले से ही इस पद पर काबिज थे. हालांकि, बीजेपी की इस सूची में सबसे खास बात नेताओं की कम उम्र है.
मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक हालिया नियुक्त बीजेपी के 23 में से 12 प्रभारियों की उम्र 60 साल से कम है. 2 प्रभारी तो 45 साल से भी कम उम्र के हैं. 38 साल के अनिल एंटोनी को नगालैंड और मेघालय का प्रभार सौंपा गया है.
इन नियुक्तियों के बाद बीजेपी संगठन में शामिल नेताओं की औसत उम्र करीब 58 साल की हो गई है. 2019 के आंकड़ों से अगर देखा जाए तो यह 2 साल कम है. 2019 में जो संगठन का पुनर्गठन किया गया था, उसमें नेताओं की औसत उम्र 60 साल थी.
राजनीतिक दलों में प्रभारियों का क्या काम है?
संघीय व्यवस्था होने की वजह से भारत में हर पार्टी राष्ट्रीय इकाई के साथ-साथ प्रदेश इकाई का भी गठन करती है. प्रभारी का काम राष्ट्रीय और प्रदेश इकाई के बीच कॉर्डिनेट करने की जिम्मेदारी होती है. बीजेपी में महासचिव या उपाध्यक्ष पद के नेता को राज्य का प्रभार सौंपा जाता है.
ये प्रभारी चुनाव की रणनीति तैयार करने के साथ-साथ जमीन के फीडबैक को राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंचाता है. इसके अलावा प्रभारियों के जिम्मे बूथ मैनेजमेंट और उम्मीदवार चयन का काम भी रहता है. कुल मिलाकर पार्टी के प्रभारी को ही संगठन का चेहरा कहा जाता है.
3 फैक्ट्स जो बताते हैं कि बीजेपी संगठन की कमान यूथ ब्रिगेड के पास है
1. भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को 23 राज्यों के प्रभारी नियुक्त किए. इनमें बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक और ओडिशा जैसे बड़े राज्य हैं. इन राज्यों के प्रभारियों की औसत उम्र 58.65 है. 38 साल के अनिल एंटोनी सबसे कम उम्र के प्रभारी बनाए गए हैं. अनिल को नगालैंड का प्रभार दिया गया है.
73 साल के जावड़ेकर सबसे उम्रदराज महासचिव हैं. जावड़ेकर को केरल का प्रभार दिया गया है. 43 साल के नितिन नवीन को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है. पार्टी के 4 प्रभारियों (सतीश पूनिया, देवेश कुमार, दुष्यंत पटेल और अशोक सिंघल) की उम्र 59 साल है.
प्रभारी श्रीकांत शर्मा और सुनील बंसल की उम्र 54 साल है. इसी तरह तरुण चुग (52 साल), अजित गोपाछरे (53 साल) और आशीष सूद (58 साल) के हैं. प्रभारी विनोद तावड़े और निर्मल सुराना की उम्र 60 साल है. इन नेताओं का औसतन उम्र 58.65 है.
2. छत्तीसगढ़ की कमान पहले 72 साल के ओम माथुर के पास थी, लेकिन पार्टी ने अब राज्य का प्रभार 43 साल के नितिन नवीन को सौंपी है. नितिन पहले ओम माथुर के साथ यहां सह प्रभारी की भूमिका में थे.
इसी तरह हिमाचल में पार्टी ने 63 साल के अविनाश राय खन्ना की जगह 54 साल के श्रीकांत शर्मा को प्रभारी बनाया है. वहीं 53 साल के नलिन कोहली की जगह पर बीजेपी ने 38 साल के अनिल एंटोनी को नगालैंड का प्रभार दिया गया है.
3. बीजेपी के विरोधी पार्टी कांग्रेस के राज्य प्रभारियों की औसत उम्र 64.5 साल है, जो बीजेपी से करीब 6 साल ज्यादा है. सचिन पायलट कांग्रेस के सबसे कम उम्र 44 साल के महासचिव हैं. बिहार के प्रभारी मोहन प्रकाश सबसे उम्रदराज 73 साल के हैं.
कांग्रेस के अधिकांश प्रभारियों की उम्र 60-70 साल के बीच है. 60 से कम उम्र के सिर्फ 5 प्रभारी हैं, जिनमें 49 साल के मणिकम टैगोर, 51 साल के भंवर जितेंद्र सिंह, 52 साल की प्रियंका गांधी, 55 साल के दीपक बाबरिया और 57 साल के रणदीप सुरजेवाला का नाम शामिल हैं.
अब इसके मायने भी समझिए
बीजेपी अभी केंद्र और कई राज्यों की सत्ता में है, जिस वजह से पार्टी की पहली कतार के नेता सरकार में शामिल हो गए हैं. इनमें अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण का नाम मुख्य रूप से शामिल हैं.
ऐसे में संगठन में जो नए नेताओं को कमान दी गई है, उसे दूसरी दूसरी कतार के नेताओं (सेकेंड लाइन लीडरशिप) को स्थापित करने के तौर पर देखा जा रहा है. इसलिए भी पार्टी ने ज्यादातर नए नेताओं को छोटे राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी है.
नए चेहरे को संगठन में जगह देने के पीछे युवा मतदाताओं को रिझाना भी एक कारण है. सीएसडीएस के मुताबिक 2019 के मुकाबले 2024 में 18 से लेकर 45 साल तक के युवाओं के वोट बीजेपी को कम मिले.
18 से 25 साल तक के 40 प्रतिशत मतदाताओं ने 2019 में बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था, जो इस बार घटकर 39 प्रतिशत हो गया. 26 से 35 साल के 39 प्रतिशत युवाओं ने 2019 में बीजेपी को वोट दिया था, जो इस बार घटकर 37 प्रतिशत हो गया.